भानु सप्तमी (Bhanu Saptami) : सूर्य देव की आराधना का पावन पर्व

पर user द्वारा प्रकाशित

सूर्य: जीवन का आधार, ऊर्जा का स्रोत, और ब्रह्मांड का प्रकाश स्तंभ। भानु सप्तमी, सूर्य देव को समर्पित एक पावन पर्व, जो फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है।

भानु सप्तमी का महत्व

  • सूर्य देव का प्राकट्य: पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन सूर्य देव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे और धरती से अंधकार को दूर किया था।
  • मोक्ष प्राप्ति: भानु सप्तमी पर व्रत रखने और सूर्य देव की पूजा करने से मोक्ष प्राप्ति की मान्यता है।
  • पापों से मुक्ति: सच्चे मन से सूर्य देव की आराधना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

भानु सप्तमी के अन्य नाम

  • अर्क सप्तमी
  • अचला सप्तमी
  • सूर्यरथ सप्तमी
  • आरोग्य सप्तमी
  • सूर्य सप्तमी

भानु सप्तमी पर सूर्य पूजन

  • स्नान: सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें।
  • संकल्प: सूर्य भगवान की पूजा करने या व्रत रखने का संकल्प लें।
  • पूजा: पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ़ मुख कर के बैठ जायें। सूर्य देव को लाल चंदन, अक्षत्, लाल पुष्प, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • आरती: कपूर या गाय के घी के दीपक से सूर्य भगवान की आरती उतारें।
  • अर्घ्य: तांबे के पात्र में स्वच्छ जल भरकर उसमें लाल चंदन, अक्षत और लाल रंग का फूल डालें। ‘ॐ सूर्याय नमः’ मन्त्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
  • मंत्र: ‘ऊँ घृणि सूर्याय नम:’ और ‘ॐ सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करें।
  • नमक: यदि हो सके तो इस दिन भोजन या फलाहार में नमक का प्रयोग न करें।

भानु सप्तमी के लाभ

  • रोगों से मुक्ति: रोगी व्यक्ति को असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • बुद्धि का विकास: बुद्धि व व्यक्तित्व का विकास होता है।
  • मानसिक शांति: मानसिक शांति मिलती है।
  • स्मरण शक्ति: स्मरण शक्ति अत्यंत तीव्र होती है।
  • धन-धान्य: घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।
  • मोक्ष: सभी सांसारिक कष्ट दूर होते हैं, और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • भानु सप्तमी पर सूर्य भगवान की पूजा करने से रोगी व्यक्ति को असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है, और वो दीर्घायु होता है।
  • इस दिन सूर्य देव को जल अर्पित करने से बुद्धि व व्यक्तित्व का विकास होता है, मानसिक शांति मिलती है, और स्मरण शक्ति अत्यंत तीव्र होती है।
  • भानु सप्तमी के दिन प्रयागराज संगम में डुबकी लगाना भी बहुत शुभ माना जाता है, इससे जातक को मनचाहा फल मिलता है।
  • पूजा-पाठ संपन्न करने के बाद भानु सप्तमी पर दान-पुण्य करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।
  • इस दिन सच्चे मन से सूर्य आराधना करने वाले जातकों के सभी सांसारिक कष्ट दूर होते हैं, और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भानु सप्तमी: सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने का एक पावन अवसर।

यह भी जानें:

  • भानु सप्तमी 2024: 3 मार्च 2024

भानु सप्तमी पूजा विधि

  • भानु सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें।
  • इसके पश्चात् सूर्य भगवान की पूजा करने या व्रत रखने का संकल्प लें।
  • अब पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ़ मुख कर के बैठ जायें।
  • पूजा में सूर्य देव को लाल चंदन, अक्षत्, लाल पुष्प, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • इसके बाद कपूर या गाय के घी के दीपक से सूर्य भगवान की आरती उतारें।
  • इस दिन तांबे के पात्र में स्वच्छ जल भरकर उसमें लाल चंदन, अक्षत और लाल रंग का फूल डालें।
  • अब ‘ॐ सूर्याय नमः’ मन्त्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
  • अर्थ देने के दौरान सूर्य भगवान से प्रार्थना करें कि वो आप पर और आपके परिवार पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें।
  • भानु सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा करते समय उनके बीज मंत्र ‘ ऊँ घृणि सूर्याय नम:’ और ‘ ॐ सूर्याय नम:’ का जाप अवश्य करें।
  • यदि हो सके तो इस दिन भोजन या फलाहार में नमक का प्रयोग न करें।

आशा है कि इस लेख से आपको भानु सप्तमी की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी।


0 टिप्पणियाँ

प्रातिक्रिया दे

Avatar placeholder

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

hi_INहिन्दी