ज्येष्ठ माह की कालाष्टमी (Kalashtami of Jyeshtha month) : भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्ति का पावन अवसर
कालाष्टमी: एक पावन पर्व जो ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के काल भैरव रूप की पूजा की जाती है।
कालाष्टमी का महत्व
- काल भैरव की कृपा: कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
- नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति: इस दिन व्रत रखने और विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों, भय एवं शत्रुओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
- रोगों से मुक्ति: सच्चे मन से पूजा पाठ करने से रोगों से भी छुटकारा मिलता है।
- सुख-समृद्धि: परिवार के समस्त जन भी स्वस्थ और सुखी जीवन जीते हैं।
कालाष्टमी 2024
- तिथि: 3 मार्च 2024
- अष्टमी प्रारम्भ: 03 मार्च, 08:44 AM
- अष्टमी समाप्त: 04 मार्च, 08:49 AM
कालाष्टमी के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक
- प्रातः सन्ध्या: प्रातः 05 बजकर 06 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक
- अभिजित मुहूर्त: 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 58 मिनट से 06 बजकर 23 मिनट तक
- सायाह्न सन्ध्या: शाम 06 बजकर 01 मिनट से 07 बजकर 14 मिनट तक
- अमृत काल: 03 मार्च की सुबह 04 बजकर 59 मिनट से 06 बजकर 40 मिनट तक
विशेष योग:
- त्रिपुष्कर योग: सुबह 07 बजकर 53 मिनट से दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक
- रवि योग: सुबह 06 बजकर 20 मिनट से दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक
कालाष्टमी पूजा विधि
- स्नान: सूर्योदय से पहले स्नान करें।
- संकल्प: कालाष्टमी व्रत रखने का संकल्प लें।
- पूजा: पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बैठें। भगवान काल भैरव को काले चंदन, अक्षत्, काले पुष्प, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- आरती: कपूर या गाय के घी के दीपक से भगवान काल भैरव की आरती उतारें।
- मंत्र: ‘ॐ ह्रीं भैरवाय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- अर्घ्य: तांबे के पात्र में स्वच्छ जल भरकर उसमें काले चंदन, अक्षत और काले रंग का फूल डालें। ‘ॐ ह्रीं भैरवाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए भगवान काल भैरव को अर्घ्य दें।
कालाष्टमी के दिन करें ये कार्य
- कुत्तों को भोजन: काले कुत्ते को भोजन खिलाएं क्योंकि काले कुत्ते को भगवान काल भैरव का वाहन माना जाता है।
- ब्राह्मणों को भोजन: काशी जैसे हिंदू तीर्थ स्थानों पर ब्राह्म
कालाष्टमी पर क्या न करें? (Things to Avoid on Kaalashtami)
कालाष्टमी के पावन पर्व पर कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, जिन्हें करने से बचना चाहिए:
- मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें: कालाष्टमी के दिन व्रत रखने वालों को मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- क्रोध और हिंसा से बचें: इस पवित्र दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहें। शांति बनाए रखें और सकारात्मक विचारों को अपनाएं।
- असत्य न बोलें: सत्य बोलें और किसी का अहित न करें।
- अश शुद्धता से रहें: पूजा स्थल और स्वयं को साफ-सुथरा रखें।
कालाष्टमी के लोकप्रिय आयोजन (Popular Practices on Kaalashtami)
कालाष्टमी के दिन कुछ लोकप्रिय आयोजन भी देखने को मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना: शिव मंदिरों में विशेष रूप से भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त भगवान को जलाभिषेक करते हैं और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए मंत्रों का जाप करते हैं।
- ज्योतिषीय अनुष्ठान: कुछ क्षेत्रों में ज्योतिषीय अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य अशुभ प्रभावों को कम करना और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना होता है।
- भंडारा (भोजन वितरण): कुछ स्थानों पर भंडारे का भी आयोजन किया जाता है, जहां गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन वितरण किया जाता है।
कालाष्टमी का समापन (Conclusion of Kaalashtami)
कालाष्टमी का समापन अगले दिन सूर्योदय के बाद होता है। व्रत रखने वाले भक्त सूर्योदय के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है।
कालाष्टमी का पर्व भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने का एक सुनहरा अवसर है। आइए, इस पावन पर्व को श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाएं और भगवान काल भैरव के आशीर्वाद प्राप्त करें।
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