हनुमान आरती
- हनुमान आरती: शक्ति, भक्ति और विजय का दिव्य गान
- हनुमान आरती की उत्पत्ति
- हनुमान आरती की पूजा विधि
- आरती
- हनुमान आरती का महत्व
- आरती के लाभ
- हनुमान आरती से जुड़ी कथा
- हनुमान जी के भक्तों के अनुभव
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- हनुमान आरती से जुड़े मंत्र
- हनुमान जी के अन्य शक्तिशाली स्तोत्र
- क्या आप हनुमान आरती का महत्व समझ गए हैं?
हनुमान आरती: शक्ति, भक्ति और विजय का दिव्य गान
हनुमान जी, शक्ति, भक्ति और अमरता के प्रतीक हैं। उनकी आरती एक भक्त के दिल से निकलने वाली एक विशेष प्रार्थना है, जो पवनपुत्र की शरण में आत्मसमर्पण करता है।
क्या आप जानते हैं कि हनुमान आरती करने से जीवन में आने वाली सारी बाधाएं दूर हो सकती हैं? आइए इस शक्तिशाली आरती के महत्व, विधि और लाभों पर एक नजर डालते हैं।
हनुमान आरती की उत्पत्ति
आरती की रचना किसने की यह निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है। माना जाता है कि इसकी रचना तुलसीदास जी ने की थी। हालांकि, सदियों से कई भक्तों और संतों ने इस आरती को अलग-अलग रूपों में गाया है।
हनुमान आरती की पूजा विधि
हनुमानजी की पूजा और आरती मंगलवार और शनिवार के दिन विशेष रूप से की जाती है। आइए, जानते हैं कि एक सरल तरीके से कैसे कर सकते हैं हनुमान जी की आरती:
- सामग्री: हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर, फूल, धूप, दीप, कपूर, चंदन, सिंदूर, फल, और प्रसाद।
- आसन: हनुमान जी के सामने एक स्वच्छ आसन बिछाएं।
- स्नान: सबसे पहले खुद स्नान करें और हनुमान जी की मूर्ति को भी गंगाजल से स्नान कराएं।
- वस्त्र और पुष्प: हनुमानजी को नए वस्त्र पहनाएं और फूलों से श्रृंगार करें।
- तिलक: सिंदूर और चंदन से हनुमानजी को तिलक लगाएं।
- धूप-दीप: धूप, दीप, और कपूर जलाएं।
- आरती: हनुमान जी की आरती गाएं।
- प्रसाद: हनुमान जी को उनका पसंदीदा प्रसाद चढ़ाएं (जैसे बेसन के लड्डू आदि)।
- प्रार्थना: अंत में हनुमान जी से अपने और सभी के लिए सुख, शांति, और समृद्धि की कामना करें।
आरती
श्री हनुमंत स्तुति ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥
॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥
हनुमान आरती का महत्व
- संकटों का निवारण: हनुमान आरती विघ्नहर्ता का आह्वान है। भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि संकट के समय हनुमान जी की शरण में जाने से राहत मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का वास: हनुमान आरती के भक्तिमय शब्दों से मन में सकारात्मकता और शांति आती है।
- आध्यात्मिक विकास: यह आरती भक्त को प्रभु राम के प्रति समर्पण के भाव की ओर ले जाती है।
- भय से मुक्ति: हनुमानजी को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनकी आरती करने से मन से डर दूर होता है।
आरती के लाभ
- मनोकामनाओं की पूर्ति
- शत्रुओं पर विजय
- बुरी शक्तियों से रक्षा
- शारीरिक और मानसिक बल में वृद्धि
- जीवन में सफलता
- आत्मविश्वास में वृद्धि
हनुमान आरती से जुड़ी कथा
एक कथा के अनुसार, जब लंका युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए, तो उन्हें बचाने के लिए हनुमानजी हिमालय से संजीवनी बूटी लेने गए थे। रास्ते में कालनेमी नामक राक्षस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन हनुमानजी उसका अंत कर आगे बढ़ गए। माना जाता है कि रावण ने भी हनुमानजी को रोकने की चेष्टा की थी। उस समय, हनुमानजी ने विशाल रूप धारण किया और इस आरती का गान किया था।
हनुमान जी के भक्तों के अनुभव
हनुमान जी की भक्ति में अपार शक्ति है। सदियों से, अनगिनत भक्तों ने हनुमानजी की कृपा से अपने जीवन में चमत्कार होते देखे हैं। कुछ भक्त अपने कठिन समय में हनुमान आरती करने से मिली राहत के अनुभव साझा करते हैं। बहुत से लोगों का कहना है कि नियमित रूप से आरती करने से उनका जीवन सकारात्मकता से भर गया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. हनुमान आरती करने का सबसे अच्छा समय क्या है?
हनुमान आरती सुबह या शाम, किसी भी समय की जा सकती है। हालांकि, मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
2. क्या हनुमान आरती घर पर कर सकते हैं?
हां, बिल्कुल! हनुमान आरती घर पर आसानी से की जा सकती है।
3. हनुमान आरती कितनी बार करनी चाहिए?
हनुमान आरती रोज करने से आपको कई लाभ मिल सकते हैं। आप इसे अपनी श्रद्धा के अनुसार दिन में एक या अधिक बार कर सकते हैं।
4. क्या महिलाएं भी हनुमान आरती कर सकती हैं?
जी हां, हनुमानजी की पूजा और आरती करने में कोई लैंगिक प्रतिबंध नहीं है। महिलाएं भी पूरी श्रद्धा से उनकी आरती
हनुमान आरती से जुड़े मंत्र
आरती करते समय, इन मंत्रों को जपने से भी आपको आशीर्वाद मिलता है:
- हनुमान मूल मंत्र: ॐ हं हनुमते नमः
- हनुमान गायत्री मंत्र: ॐ आंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमत प्रचोदयात्
- हनुमान बीज मंत्र: ॐ ऐं भ्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः
हनुमान जी के अन्य शक्तिशाली स्तोत्र
आरती के अलावा भक्त ये स्तोत्र भी उनका आशीर्वाद पाने के लिए गा सकते हैं:
हनुमान चालीसा:
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा, भगवान हनुमान की भक्ति का एक अत्यंत लोकप्रिय स्तोत्र है। यह चालीस चौपाइयों (छंदों) का एक संग्रह है, जो हनुमानजी के जीवन, शक्ति, और भक्तों के प्रति उनकी करुणा का वर्णन करते हैं।
हनुमान चालीसा का महत्व:
- संकटों का निवारण: हनुमानजी को संकटमोचन के रूप में जाना जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से विश्वास है कि भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: हनुमानजी को बल और सिद्धि का देवता भी माना जाता है। कहा जाता है कि हनुमान चालीसा का भक्तिभाव से पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- आत्मिक विकास: हनुमान चालीसा भक्त को भक्ति और समर्पण के मार्ग पर ले जाता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: हनुमान चालीसा के शब्दों में अपार शक्ति होती है जो मन में सकारात्मकता और शांति का संचार करती है।
बजरंग बाण:
भगवान शिव द्वारा रचित एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसे हनुमानजी को समर्पित किया गया है। यह 108 छंदों (श्लोकों) का संग्रह है, जो हनुमानजी के वीरतापूर्ण कार्यों, उनकी अद्भुत शक्तियों और उनके भक्तों के प्रति अटूट भक्ति का वर्णन करते हैं।
बजरंग बाण का महत्व:
- कठिन समय में सहायता: बजरंग बाण कठिन समय और बाधाओं से उबरने के लिए एक शक्तिशाली स्तोत्र माना जाता है।
- रक्षा और सुरक्षा: बजरंग बाण का पाठ करने से भक्तों को नकारात्मक शक्तियों से रक्षा मिलती है।
- विजय प्राप्ति: बजरंग बाण शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक माना जाता है।
- साहस और आत्मविश्वास: बजरंग बाण का पाठ करने से भक्तों में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
हनुमानाष्टक:
भगवान हनुमान के आठ गुणों का वर्णन करने वाला एक संस्कृत स्तोत्र है। यह 36 छंदों (श्लोकों) का संग्रह है, जो हनुमानजी की शक्ति, बुद्धि, भक्ति, वीरता, और अन्य अद्भुत गुणों का विस्तृत वर्णन करते हैं।
हनुमानाष्टक का महत्व:
- आध्यात्मिक विकास: हनुमानाष्टक का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- ज्ञान और विद्या: हनुमानजी को ज्ञान और विद्या का देवता भी माना जाता है। हनुमानाष्टक का पाठ करने से भक्तों को ज्ञान और विद्या प्राप्ति में सहायता मिलती है।
- मोक्ष प्राप्ति: हनुमानजी को मोक्षदायक देवता भी माना जाता है। हनुमानाष्टक का पाठ करने से भक्तों को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
निष्कर्ष:
हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और हनुमानाष्टक, भगवान हनुमान की भक्ति के तीन महत्वपूर्ण स्तोत्र हैं। इन स्तोत्रों का पाठ करने से भक्तों को जीवन में अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि:
- इन स्तोत्रों का पाठ करते समय मन शुद्ध और एकाग्र होना चाहिए।
- इन स्तोत्रों का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए।
- इन स्तोत्रों का पाठ करते समय हनुमानजी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठना चाहिए।
क्या आप हनुमान आरती का महत्व समझ गए हैं?
प्रिय पाठकों, इस हनुमान आरती पर केंद्रित ब्लॉग को पढ़कर आशा है कि आप भक्ति मार्ग पर एक कदम और आगे बढ़ गए होंगे। क्या आपको लगता है कि हनुमान आरती के बारे में कुछ और जोड़ा जाना चाहिए था? अपने विचार कमेंट में साझा करें!
हनुमान जी की असीम कृपा आप पर बनी रहे! जय श्री राम! जय बजरंगबली!
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