मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta): शांति और शक्ति की देवी – जानिए कथा, पूजा विधि, और मंत्र

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maa chanderghanta (मां चंद्रघंटा)

परिचय

नवरात्रि के पावन उत्सव के तीसरे दिन भक्तजन मां दुर्गा के तीसरे रूप, मां चंद्रघंटा, की आराधना करते हैं। देवी चंद्रघंटा ममता, सौम्यता, शांति, और साहस की प्रतीक हैं। आइए, जानते हैं मां चंद्रघंटा की कथा, पूजा विधि, मंत्र और आशीर्वाद के बारे में।

मां चंद्रघंटा कौन हैं?

मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं। शास्त्रों के अनुसार इनके मस्तक के अर्धचंद्राकार मुकुट से चंद्र सदृश आभा निकलती है, इसलिए इन्हें ‘चंद्रघंटा’ नाम से जाना जाता है। ‘घंटा’ शब्द का अर्थ है ‘घंटी’, जो युद्ध-घोष का प्रतीक भी है। इस प्रकार माता का यह स्वरूप भक्तों को अभय प्रदान करने के साथ, बुरी शक्तियों के विनाश को भी दर्शाता है।

मां चंद्रघंटा की कथा: शिव और पार्वती का विवाह

  • देवी पार्वती का श्रृंगार: पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती और भगवान शिव के विवाह के लिए जब देवी ने विचित्र शृंगार किया, तो उनकी छवि को देखकर भगवान शिव अचंभित हो गए। उसी समय बारात में आए भगवान शिव के गण भी पार्वती के इस विचित्र रूप को देखकर विस्मित और भयभीत हो गए।
  • पार्वती के परिवार का अनुरोध: माता पार्वती के माता-पिता और अन्य परिजनों को देवी पार्वती का यह रूप भयावह लगा और उन्होंने भगवान शिव से अनुरोध किया कि वे देवी को अपना एक सौम्य और सुंदर रूप धारण करने के लिए कहें।
  • चंद्रघंटा का प्रकटीकरण: भगवान शिव और पार्वती के परिवार की विनती पर देवी पार्वती ने अपना सौम्य और आकर्षक रूप धारण किया। उनका यह नया रूप स्वर्णिम आभा लिए हुए था, और उनके माथे पर अर्धचंद्राकार मुकुट था, जिसके कारण उनके स्वरूप को ‘चंद्रघंटा’ नाम से जाना जाने लगा। इस रूप में उन्होंने दस हाथ धारण किए जिनमें विभिन्न अस्त्र-शस्त्र सुशोभित थे।

कथा का महत्व

मां चंद्रघंटा की यह कथा हमें यह संदेश देती है कि सांसारिक आकर्षणों से परे आंतरिक सुंदरता और भक्ति का ही अत्यधिक महत्व है। यह हमें यह भी सिखाती है कि ईश्वर अपने भक्तों की भावनाओं का आदर करते हैं।

मां चंद्रघंटा का स्वरूप

मां चंद्रघंटा स्वर्ण के समान चमकीली हैं और उनकी दस भुजाएं हैं। अपने हाथों में वह खड्ग, त्रिशूल, गदा, कमल का फूल, धनुष-बाण, कमण्डल, जपमाला, और शंख धारण करती हैं। एक हाथ अभय मुद्रा में तथा एक हाथ वरद मुद्रा में है। उनका वाहन सिंह है और वे हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहती हैं। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित रहता है जिससे स्वर्णिम आभा निकलती है। उनके गले से घंटे की आवाज आती है जो भयानक स्वर में भक्तों के सभी दुश्मनों के लिए दहाड़ बनकर भयंकर प्रतिध्वनि उत्पन्न करती है।

मां चंद्रघंटा पूजन सामग्री

मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

1. मूर्ति या चित्र: मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र पूजा के लिए आवश्यक है।

2. फूल: सफेद या पीले रंग के फूल, जैसे कि चमेली, गुलाब, या कमल, देवी को अर्पित किए जाते हैं।

3. धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है।

4. रोली, अक्षत, और सिंदूर: रोली, अक्षत, और सिंदूर देवी को चढ़ाए जाते हैं।

5. फल: विभिन्न प्रकार के फल देवी को भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं।

6. नैवेद्य: नैवेद्य देवी को भोजन के रूप में चढ़ाया जाता है। नैवेद्य में दूध से बनी चीजें, जैसे कि खीर या हलवा, शामिल हो सकते हैं।

7. पान: पान देवी को अर्पित किया जाता है।

8. सुपारी: सुपारी देवी को अर्पित की जाती है।

9. दक्षिणा: दक्षिणा देवी को दान के रूप में दी जाती है।

10. वस्त्र: सफेद या पीले रंग के वस्त्र देवी को चढ़ाए जाते हैं।

11. आभूषण: देवी को आभूषण भी चढ़ाए जा सकते हैं।

12. जप माला: जप माला देवी की पूजा के लिए उपयोग की जाती है।

चंद्रघंटा पूजा विधि

यहां मैं आपको मां चंद्रघंटा की पूजा विधि का विस्तृत विवरण दे रहा हूं:

पूजा की तैयारी:

  • पूजा का समय: मां चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा की तैयारी करें।
  • पूजा सामग्री: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री इकट्ठा करें, जैसे कि मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र, फूल, दीप, धूप, रोली, अक्षत, सिंदूर, फल, नैवेद्य, पान, सुपारी, दक्षिणा, वस्त्र, आभूषण, जप माला, आदि।
  • पूजा स्थान: पूजा के लिए एक स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र को पूर्व दिशा में स्थापित करें।

पूजा विधि:

  1. आचमन: देवी को जल अर्पित करके पूजा शुरू करें।
  2. स्नान: देवी को दूध, दही, घी, शहद, और जल से स्नान कराएं।
  3. वस्त्र: देवी को सुंदर वस्त्र पहनाएं।
  4. आभूषण: देवी को आभूषण पहनाएं।
  5. सुगंध: देवी को सुगंध अर्पित करें।
  6. पुष्प: देवी को फूल अर्पित करें।
  7. दीप: देवी के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
  8. धूप: देवी को धूप अर्पित करें।
  9. नैवेद्य: देवी को भोजन अर्पित करें।
  10. ताम्बूल: देवी को ताम्बूल अर्पित करें।
  11. दक्षिणा: देवी को दान दिया जाता है।
  12. प्रदक्षिणा: देवी की परिक्रमा की जाती है।
  13. स्तवन: देवी की स्तुति की जाती है।
  14. नमस्कार: देवी को प्रणाम किया जाता है।
  15. क्षमा प्रार्थना: देवी से क्षमा मांगी जाती है।
  16. आशीर्वाद: देवी से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

मंत्र:

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नम:

अर्थात,
ओमकार स्वरूपी सबका कल्याण करने वाली माता चंद्रघंटा को हमारा बारंबार नमस्कार हो।

आरती:

मां चंद्रघंटा की आरती भी पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आप निम्नलिखित आरती का पाठ कर सकते हैं:

यह मां चंद्रघंटा की पूजा विधि का विस्तृत विवरण है। आप इस विधि का पालन करके मां चंद्रघंटा की पूजा कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

मां चंद्रघंटा मंत्र

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नम:

अर्थात,
ओमकार स्वरूपी सबका कल्याण करने वाली माता चंद्रघंटा को हमारा बारंबार नमस्कार हो।

चंद्रघंटा देवी के आशीर्वाद

  • मां चंद्रघंटा अपने भक्तों के सभी दुख और कष्ट दूर करती हैं।
  • देवी भक्तों के स्वास्थ्य, धन, और बल में वृद्धि करती हैं।
  • चंद्रघंटा माता की साधना से भक्तों को शक्ति, साहस, और निर्भीकता की प्राप्ति होती है।
  • इनकी पूजा से भक्तों के भय और शत्रुओं का नाश होता है।
  • देवी चंद्रघंटा की भक्ति से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भक्तों के अनुभव

मां चंद्रघंटा के भक्तों ने कई प्रकार के अनुभव किए हैं। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाला है। अन्य भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें शक्ति और साहस प्रदान किया है। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उनकी मनोकामनाएं पूरी की हैं।

  • एक भक्त ने बताया कि वह कई वर्षों से एक बीमारी से पीड़ित थे। उन्होंने मां चंद्रघंटा की पूजा शुरू की और कुछ ही महीनों में वे पूरी तरह से ठीक हो गए।
  • एक अन्य भक्त ने बताया कि वह एक परीक्षा में फेल हो गए थे। उन्होंने मां चंद्रघंटा की पूजा शुरू की और अगली बार उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
  • एक तीसरे भक्त ने बताया कि वह एक गंभीर आर्थिक संकट में थे। उन्होंने मां चंद्रघंटा की पूजा शुरू की और कुछ ही महीनों में उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया।

नवरात्रि का तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा का पावन पर्व

नवरात्रि में तीसरे दिन चंद्रघंटा माता की आराधना के साथ भक्त अपने मन से भय और अन्य विकारों को दूर कर लेते हैं। आइए आज हम सब मां चंद्रघंटा के चरणों में अपना मन समर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।


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