चैत्र नवरात्रि 2024: संपूर्ण व्रत संकल्प विधि- ऐसे लें संकल्प (Navratri Vrat Sankalp Vidhi)

पर user द्वारा प्रकाशित

Navratri Vrat Sankalp

Table Of Contents
  1. परिचय
  2. व्रत का महत्व और उद्देश्य
  3. व्रत के प्रकार
  4. व्रत का संकल्प कैसे लिया जाता है?
  5. नवरात्रि में व्रत रखने के सामान्य नियम
  6. नवरात्रि में प्रसाद और भोजन के नियम:
  7. नवरात्रि व्रत खोलने के नियम (पारायण):
  8. पारायण के नियम:
  9. उपवास के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:
  10. भक्तों के अनुभव:

परिचय

नवरात्रि बस आने को हैं! भक्तजन उत्साह से माता की आराधना की तैयारियों में लग चुके हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सच्चे मन से किया गया उपवास और साधना व्यक्ति को मां दुर्गा के और करीब ले जाती है। यदि आप भी इस चैत्र नवरात्रि पर व्रत करने का विचार कर रहे हैं, तो कुछ बातों को ध्यान में रखना और व्रत का संकल्प सही विधि से लेना बेहद आवश्यक है। आइए, जानते हैं चैत्र नवरात्रि में व्रत के संकल्प से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी!

व्रत का महत्व और उद्देश्य

उपवास या व्रत एक तप है जो शरीर और आत्मा, दोनों को शुद्ध करता है। व्रत रखने से हम भक्तिभाव से माता के प्रति अपना समर्पण प्रकट करते हैं। नवरात्रि में रखे जाने वाले व्रत का निम्नलिखित उद्देश्य होता है:

  • आध्यात्मिक विकास: व्रत का पालन करने से भौतिक सुखों से ध्यान हटाकर भक्ति के मार्ग पर लगाने में मदद मिलती है।
  • मनोकामना पूर्ति: माना जाता है कि नवरात्रि में सच्चे मन से व्रत करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • शांति और समृद्धि: व्रत के माध्यम से, मन में शांति आती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

व्रत के प्रकार

नवरात्रि में विभिन्न प्रकार से व्रत रखे जाते हैं। आइए इनके बारे में जानते हैं:

  • निर्जला उपवास: इस व्रत में पूरे नौ दिनों तक अन्न और जल दोनों का त्याग किया जाता है। यह व्रत बहुत कठिन है और शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों द्वारा ही किया जाना चाहिए।
  • फलहार व्रत: इस व्रत में दिन में सिर्फ एक बार फलाहार किया जाता है। फलों के अलावा दूध, दही, साबूदाना, कुट्टू या सिंघाड़े के आटे से बनी चीजें खाई जा सकती हैं।
  • एक समय का व्रत: इसमें दिन में केवल एक ही समय अन्न या फलाहार ग्रहण किया जाता है।

व्रत का संकल्प कैसे लिया जाता है?

व्रत का संकल्प सुबह पूजा करते समय लिया जाता है। सबसे पहले अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और कलश स्थापना करें। इसके बाद, जल से भरा हुआ पात्र हाथों में लेकर मां दुर्गा का ध्यान करके संकल्प बोलें। आप चाहें, तो यह संकल्प हिंदी या अपनी क्षेत्रीय भाषा में भी ले सकते हैं।

नवरात्रि में व्रत रखने के सामान्य नियम

1. सात्विक जीवनशैली:

  • व्रत के दौरान शराब, मांस, मदिरा, तांबाकू, प्याज, लहसुन आदि का सेवन न करें।
  • सात्विक भोजन करें जैसे कि फल, दूध, दही, साबूदाना, कुट्टू, सिंघाड़ा आदि।
  • दिन में कम से कम दो बार स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।
  • सत्य बोलें, दान करें और दूसरों की सेवा करें।

2. पूजा-अर्चना:

  • प्रतिदिन सुबह और शाम की पूजा करें।
  • दुर्गा सप्तशती, चंडी पाठ या अन्य मंत्रों का जाप करें।
  • माता दुर्गा की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं।
  • कलश स्थापना, कन्या पूजन, हवन आदि भी कर सकते हैं।

3. शारीरिक और मानसिक अनुशासन:

  • व्रत के दौरान अपनी दिनचर्या में अनुशासन बनाए रखें।
  • सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके पूजा करें।
  • दिन में शांत रहें और ध्यान करें।
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें और सकारात्मक सोच रखें।
  • ज़रूरत पड़ने पर फलाहार करें।

4. व्रत खोलने के नियम:

  • नवरात्रि के नौवें दिन कन्या पूजन करें।
  • कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें।
  • इसके बाद स्वयं भोजन करें।

व्रत रखते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखें:

  • यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो व्रत रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को व्रत नहीं रखना चाहिए।
  • व्रत के दौरान ज़्यादा कमजोरी महसूस होने पर फलाहार कर सकते हैं।
  • अपनी क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें।

नवरात्रि में प्रसाद और भोजन के नियम:

नवरात्रि में व्रत रखने वाले भक्तों के लिए प्रसाद और भोजन के कुछ विशेष नियम होते हैं। इन नियमों का पालन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

प्रसाद के नियम:

  • प्रसाद हमेशा ताजा और सात्विक होना चाहिए।
  • प्रसाद बनाते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • प्रसाद में प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा आदि का प्रयोग न करें।
  • प्रसाद को सबसे पहले माता दुर्गा को भोग लगाएं।
  • भोग लगाने के बाद प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें।

भोजन के नियम:

  • व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें।
  • भोजन में फल, दूध, दही, साबूदाना, कुट्टू, सिंघाड़ा आदि शामिल करें।
  • व्रत के दौरान भोजन कम मात्रा में और धीरे-धीरे खाएं।
  • भोजन करते समय मन शांत रखें और भक्तिभाव में लीन रहें।
  • भोजन के बाद थोड़ा पानी पी सकते हैं।

कुछ विशेष नियम:

  • व्रत के दौरान नमक का सेवन कम करें।
  • व्रत के दौरान तला-भुना भोजन न खाएं।
  • व्रत के दौरान चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक आदि न पीएं।
  • व्रत के दौरान ज़्यादा भूख लगने पर फलाहार कर सकते हैं।

नवरात्रि में प्रसाद और भोजन के कुछ विशेष व्यंजन:

  • फल: सेब, केला, अंगूर, अनार, संतरा, मौसमी आदि।
  • दूध और दही: दूध, दही, पनीर, खीर, रायता आदि।
  • साबूदाना: साबूदाना की खिचड़ी, वड़ा, टिक्की आदि।
  • कुट्टू: कुट्टू की पूड़ी, सब्जी, पराठा आदि।
  • सिंघाड़ा: सिंघाड़े की पूड़ी, सब्जी, पराठा आदि।

नवरात्रि व्रत खोलने के नियम (पारायण):

नवरात्रि का व्रत खोलने का विधि-विधान भी महत्वपूर्ण है। इसे पारायण भी कहते हैं। पारायण करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।

पारायण के नियम:

1. कन्या पूजन:

  • नवरात्रि के नौवें दिन कन्या पूजन करें।
  • 9 कन्याओं को घर बुलाकर उनका पैर धोएं, तिलक लगाएं और उन्हें भोजन करवाएं।
  • कन्याओं को दक्षिणा और भेंट स्वरूप वस्तुएं दें।

2. व्रत खोलने का समय:

  • व्रत दशमी तिथि को सूर्योदय के बाद और द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले खोलना चाहिए।
  • द्वादशी तिथि के बाद व्रत खोलने से व्रत का फल नहीं मिलता।

3. व्रत खोलने की विधि:

  • सबसे पहले माता दुर्गा की आरती करें और उनसे क्षमा याचना करें।
  • इसके बाद कन्याओं को भोजन करवाएं।
  • कन्याओं को विदा करने के बाद स्वयं भोजन करें।
  • भोजन में फल, दूध, दही, साबूदाना, कुट्टू, सिंघाड़ा आदि शामिल करें।

4. कुछ विशेष नियम:

  • व्रत खोलते समय भोजन धीरे-धीरे और कम मात्रा में खाएं।
  • व्रत खोलने के बाद तुरंत भारी भोजन न करें।
  • व्रत खोलने के बाद पानी ज़्यादा मात्रा में न पीएं।

नवरात्रि का व्रत खोलने का महत्व:

  • व्रत खोलने का विधि-विधान व्रत के फल को पूर्ण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • कन्या पूजन से माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • व्रत खोलने के बाद सात्विक भोजन करने से शरीर और मन शुद्ध होता है।

उपवास के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:

उपवास शरीर और मन को शुद्ध करने का एक प्रभावी साधन है। उपवास करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि उपवास का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।

1. स्वास्थ्य:

  • यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो उपवास रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उपवास नहीं रखना चाहिए।
  • कमजोरी, थकान, या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में उपवास न रखें।

2. भोजन:

  • उपवास के दौरान हल्का और सात्विक भोजन करें।
  • फल, दूध, दही, साबूदाना, कुट्टू, सिंघाड़ा आदि का सेवन करें।
  • भोजन धीरे-धीरे और कम मात्रा में खाएं।
  • ज़्यादा भूख लगने पर फलाहार कर सकते हैं।
  • भोजन के बाद पानी ज़्यादा मात्रा में न पीएं।

3. स्वच्छता:

  • उपवास के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • स्नान, ध्यान, और पूजा-पाठ करें।
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें और सकारात्मक सोच रखें।
  • क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।

4. आराम:

  • उपवास के दौरान पर्याप्त आराम करें।
  • ज़्यादा काम न करें और थकान से बचें।
  • योग, ध्यान, और श्वास-प्रश्वास के व्यायाम करें।
  • अच्छी नींद लें।

5. सावधानियां:

  • उपवास के दौरान धूम्रपान, शराब, और अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन न करें।
  • ज़्यादा गर्मी या ज़्यादा ठंड में जाने से बचें।
  • ज़्यादा शारीरिक श्रम न करें।
  • यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

भक्तों के अनुभव:

नवरात्रि में व्रत और पूजा करने से भक्तों के जीवन में अनेक सकारात्मक बदलाव आते हैं। यहां कुछ भक्तों के अनुभव दिए गए हैं जो आपको प्रेरित करेंगे:

1. स्वास्थ्य लाभ:

  • सुनीता: मैं पिछले 5 सालों से नवरात्रि का व्रत रख रही हूं। पहले मुझे कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं, लेकिन व्रत रखने से मेरा स्वास्थ्य काफी बेहतर हुआ है।
  • अजय: मैं मधुमेह का रोगी हूं। नवरात्रि के व्रत ने मेरे रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद की है।

2. मनोकामना पूर्ति:

  • दीपिका: मैं लंबे समय से शादी के लिए प्रयासरत थी। नवरात्रि में व्रत और माता की आराधना के बाद मेरी शादी एक अच्छे व्यक्ति से हो गई।
  • राजेश: मैं नौकरी की तलाश में था। नवरात्रि के व्रत ने मुझे अपनी मनपसंद नौकरी प्राप्त करने में मदद की।

3. आध्यात्मिक उन्नति:

  • मोनिका: नवरात्रि के व्रत ने मुझे ध्यान और आध्यात्मिकता के मार्ग पर अग्रसर किया है।
  • रवि: व्रत रखने से मेरा मन शांत रहता है और मैं जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने लगा हूं।

4. पारिवारिक सुख:

  • नीलम: नवरात्रि के व्रत ने मेरे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाई है।
  • अमित: पहले मेरे परिवार में अक्सर झगड़े होते थे। लेकिन व्रत रखने से घर का माहौल सकारात्मक और खुशनुमा हो गया है।

निष्कर्ष:

इन अनुभवों से यह स्पष्ट है कि नवरात्रि का व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक प्रभावी साधन भी है। यदि आप भी अपने जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं, तो इस चैत्र नवरात्रि से व्रत का संकल्प लेने में देरी न करें!

नोट: यह केवल कुछ भक्तों के अनुभव हैं। व्रत का प्रभाव व्यक्ति-व्यक्ति पर भिन्न हो सकता है।


0 टिप्पणियाँ

प्रातिक्रिया दे

Avatar placeholder

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

hi_INहिन्दी