‘ॐ जय शिव ओंकारा’ शिव आरती(Shiv Aarti – Om Jai Shiv Omkara):अर्थ, महत्व, और लाभ
नमस्कार दोस्तों! भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। ‘ॐ जय शिव ओंकारा’ शिव जी के सबसे पावन मंत्रों में से एक है। ‘शिव आरती’ के ज़रिए भक्तगण शिवजी की भक्ति में लीन होकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। चलिए गहराई से जानें शिव आरती के बारे में।
शिव आरती
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
—– Addition —-
लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा…॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
शिव आरती का अर्थ
शिव आरती में भगवान शिव के रूप, वेशभूषा, शक्ति, वाहन, और दयालु स्वभाव का गुणगान किया गया है। यह आरती भगवान शिव के प्रति समर्पण का भाव दर्शाती है, उन्हें ब्रह्मांड के स्वामी और सभी देवताओं में अग्रणी मानते हुए उनकी प्रशंसा करती है। आरती में शिव जी के विभिन्न स्वरूपों का भी वर्णन है, जो उनकी सर्वव्यापकता और शक्ति का प्रतीक हैं। अंततः, शिव आरती में भगवान शिव से आशीर्वाद की याचना की जाती है, साथ ही यह विश्वास व्यक्त किया जाता है कि वे अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर उनकी रक्षा करते हैं और उनके मनोरथ पूर्ण करते हैं।
आरती का महत्व
- कल्याणकारी: शिव आरती से जीवन में शांति और कल्याण प्राप्त होता है।
- संकटों से मुक्ति: शिव जी को संकटमोचन भी कहा जाता है। ‘शिव आरती’ से भक्तों पर आने वाले संकट दूर होते हैं।
- इच्छापूर्ति: सच्चे मन से ‘शिव आरती’ करने से भक्तों के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
शिव आरती करने की विधि
- सोमवार के दिन या किसी भी शुभ दिन सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर लें।
- भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने पूजा का स्थान तैयार करें।
- शिवजी को बेलपत्र, धतूरा, जल, दूध, फूल, फल, इत्यादि अर्पित करें।
- दीपक प्रज्वलित करें, धूप और अगरबत्ती जलाएं।
- शिव आरती का श्रद्धापूर्वक गायन करें।
- आरती के बाद शिवजी के मंत्रों का जाप करें।
आरती के लाभ
शिव आरती का गायन भक्तों के लिए अनेक लाभों से युक्त है:
आध्यात्मिक लाभ:
- मन को शांति मिलती है: शिव आरती के मधुर शब्दों का गायन मन को शांत और एकाग्र करता है।
- नकारात्मक विचारों से मुक्ति: शिव जी की भक्ति से नकारात्मक विचारों और भावनाओं से मुक्ति मिलती है।
- भक्ति भावना बढ़ती है: शिव आरती का गायन भक्तों में भक्ति भावना और आस्था को बढ़ाता है।
धार्मिक लाभ:
- देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है: शिव आरती से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- पापों का नाश होता है: शिव जी की भक्ति से पापों का नाश होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- मनोरथ पूर्ण होते हैं: सच्चे मन से शिव आरती करने पर भक्तों के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
सांस्कृतिक लाभ:
- संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव होता है: शिव आरती भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का एक तरीका है।
- सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं: शिव आरती एक साथ गाने से सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं और सकारात्मक वातावरण बनता है।
- स्वास्थ्य लाभ: शिव आरती गाने से वातावरण शुद्ध होता है, तनाव कम होता है, और एकाग्रता में सुधार होता है।
अन्य लाभ:
- घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है: शिव आरती गाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है: शिव जी ज्ञान के देवता हैं, इसलिए उनकी भक्ति से बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- आत्मविश्वास बढ़ता है: शिव जी की भक्ति से आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
भक्तों की कहानियां और उनका अनुभव
कहानी 1:
मेरा नाम रमा है। मैं बचपन से ही शिव जी की भक्त हूं। रोज सुबह मैं शिव आरती करती हूं। कुछ साल पहले, मैं एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गई थी। डॉक्टरों ने भी उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने रोज सुबह शिव आरती करना शुरू किया और शिव जी से प्रार्थना की। धीरे-धीरे मेरी तबीयत सुधरने लगी और मैं पूरी तरह से ठीक हो गई। मैं शिव जी की कृपा के लिए सदैव आभारी रहूंगी।
कहानी 2:
मेरा नाम रवि है। मैं एक बिजनेसमैन हूं। कुछ साल पहले मेरे बिजनेस में बहुत घाटा हुआ था। मैं हताश और निराश हो गया था। एक दिन मैंने एक मंदिर में शिव आरती सुनी। शिव जी की आरती सुनकर मुझे बहुत शांति मिली। मैंने शिव जी से प्रार्थना की और उनसे मदद मांगी। धीरे-धीरे मेरे बिजनेस में सुधार होने लगा और आज मैं पहले से भी ज्यादा सफल हूं। मैं शिव जी की कृपा के लिए सदैव आभारी रहूंगा।
कहानी 3:
मेरा नाम रीना है। मैं एक गृहिणी हूं। मेरी शादीशुदा जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव थे। मैं हमेशा परेशान रहती थी। एक दिन मैंने एक शिव मंदिर में शिव आरती में भाग लिया। शिव जी की आरती सुनकर मुझे बहुत सुकून मिला। मैंने शिव जी से प्रार्थना की और उनसे अपने जीवन में सुख और शांति लाने के लिए कहा। धीरे-धीरे मेरे जीवन में सुधार होने लगा। मेरे पति और बच्चों के साथ मेरे संबंध बेहतर हुए और आज मैं एक खुशहाल जीवन जी रही हूं। मैं शिव जी की कृपा के लिए सदैव आभारी रहूंगी।
निष्कर्ष:
दोस्तों, शिव आरती भक्ति और शक्ति का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारे संकल्प और सकारात्मक दृष्टिकोण को मजबूत करती है। जीवन में आने वाली चुनौतियां हमारे आत्मविश्वास को तोड़ सकती हैं, लेकिन शिव जी पर अटूट विश्वास हमें फिर से खड़ा होने की शक्ति देता है। उनकी भक्ति हमें निराशा के बादल में भी आशा की किरण दिखाती हैं। यदि आप अभी दुखी या निराश हैं, या फिर मनचाहा फल नहीं मिल रहा है, तो बस शिव जी में विश्वास बनाए रखिए!
आइए हम सभी नियमित रूप से ‘ॐ जय शिव ओंकारा’ का मंत्रोच्चार कर महादेव की भक्ति में लीन हों। उनकी असीम कृपा आपका जीवन सुख, शांति, और समृद्धि से भर देगी। हर हर महादेव!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: ‘ॐ जय शिव ओंकारा’ मंत्र का क्या अर्थ है?
उत्तर:
- ‘ॐ’ ब्रह्मांड का मूल मंत्र है और शिवजी को आदि शक्ति माना जाता है।
- ‘जय’ का अर्थ है विजय और ‘शिव’ का अर्थ है कल्याणकारी।
- ‘ओंकारा’ ओंकार का प्रतीक है, जो शिवजी के आदि स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है।
इस प्रकार, ‘ॐ जय शिव ओंकारा’ मंत्र का अर्थ है: “हे कल्याणकारी शिव, मैं आपकी विजय की स्तुति करता हूं।”
प्रश्न 2: ‘ॐ जय शिव ओंकारा’ मंत्र का जप कैसे करें?
उत्तर:
- शांत जगह पर बैठें और अपनी आंखें बंद करें।
- मन में शिवजी का ध्यान करें।
- ‘ॐ जय शिव ओंकारा’ मंत्र का 108 बार जप करें।
- आप माला का उपयोग कर सकते हैं या बिना माला के भी जप कर सकते हैं।
प्रश्न 3: ‘ॐ जय शिव ओंकारा’ मंत्र का जप करने का सबसे अच्छा समय कब है?
उत्तर:
- आप इस मंत्र का जप किसी भी समय कर सकते हैं।
- सुबह-शाम का समय मंत्र जप करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
- सोमवार, प्रदोष काल, और महाशिवरात्रि के दिन इस मंत्र का जप करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
प्रश्न 4: क्या ‘ॐ जय शिव ओंकारा’ मंत्र का जप करने के लिए कोई विशेष नियम हैं?
उत्तर:
- इस मंत्र का जप करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं हैं।
- बस ध्यान रखें कि आप मंत्र का जप श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
- जप करते समय मन में किसी भी प्रकार का नकारात्मक विचार न आने दें।
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