श्री सत्यनारायण जी की आरती(Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti):अर्थ, महत्व, और लाभ

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श्री सत्यनारायण जी की आरती(Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti):अर्थ, महत्व, और लाभ

नमस्कार दोस्तों! हिंदू धर्म में, श्री सत्यनारायण जी की कथा और आरती का बड़ा महत्व है। भगवान सत्यनारायण जी भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं। इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं तथा मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आइए, आज हम श्री सत्यनारायण भगवान की आरती का अर्थ, महत्व, कथा और पूजा विधि को समझें।

श्री सत्यनारायण जी की आरती

जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रत्‍‌न जडि़त सिंहासन,
अद्भुत छवि राजै ।
नारद करत निराजन,
घण्टा ध्वनि बाजै ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भये कलि कारण,
द्विज को दर्श दियो ।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर,
कंचन महल कियो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कठारो,
जिन पर कृपा करी ।
चन्द्रचूड़ एक राजा,
तिनकी विपत्ति हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

वैश्य मनोरथ पायो,
श्रद्धा तज दीन्ही ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी,
फिर-स्तुति कीन्हीं ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

भाव भक्ति के कारण,
छिन-छिन रूप धरयो ।
श्रद्धा धारण कीन्हीं,
तिनको काज सरयो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वाल-बाल संग राजा,
वन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों,
दीनदयाल हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

चढ़त प्रसाद सवायो,
कदली फल, मेवा ।
धूप दीप तुलसी से,
राजी सत्यदेवा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

श्री सत्यनारायण जी की आरती,
जो कोई नर गावै ।
ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति,
सहज रूप पावे ॥

जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा ॥

आरती का अर्थ

भगवान सत्यनारायण के गुणों का वर्णन आरती में किया गया है। आरती से भगवान की भक्ति और प्रेम भाव बढ़ता है। आरती करते समय मन शांत और एकाग्र होता है। आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। आरती से मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है। आरती से सुख-समृद्धि और बुराइयों से सुरक्षा मिलती है। आरती से आत्मिक उन्नति और ज्ञान प्राप्त होता है।

आरती का महत्व

  • भक्ति और प्रेम: आरती से भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम भाव बढ़ता है।
  • मन को शांति: आरती करते समय मन शांत और एकाग्र होता है।
  • माँ का आशीर्वाद: आरती से भगवान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
  • सकारात्मकता: आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  • मनोकामनाएं: आरती से मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है।
  • सुख-समृद्धि: आरती से सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • बुराइयों से सुरक्षा: आरती से नकारात्मक ऊर्जा और बुराइयों से सुरक्षा मिलती है।
  • आत्मिक उन्नति: आरती से आत्मिक उन्नति और ज्ञान प्राप्त होता है।

आरती करने की पूजा विधि

  1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. भगवान सत्यनारायण का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
  3. दीपक, धूप, अगरबत्ती जलाएं और फूल, फल, मेवा आदि चढ़ाएं।
  4. आरती गाएं और कथा पढ़ें या सुनें।
  5. पंचामृत और प्रसाद बांटें।

श्री सत्यनारायण जी की आरती के लाभ

आरती करने से भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम भाव बढ़ता है।

आरती करते समय मन शांत और एकाग्र होता है।

आरती से भगवान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।

आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

आरती से मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है।

आरती से सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।

आरती से नकारात्मक ऊर्जा और बुराइयों से सुरक्षा मिलती है।

आरती से आत्मिक उन्नति और ज्ञान प्राप्त होता है।

भक्तों की कहानियां और उनका अनुभव

श्रीमती रीना एक गृहिणी थीं। उनका जीवन कई समस्याओं से भरा हुआ था। उनके पति का व्यवसाय अच्छा नहीं चल रहा था, और घर में अक्सर कलह होती थी। एक दिन, उन्होंने संतोषी माता की आरती करना शुरू किया। कुछ ही महीनों में, उनके जीवन में बदलाव आने लगे। उनके पति का व्यवसाय अच्छा चलने लगा, और घर में शांति और समृद्धि आ गई।

श्रीमान विनय एक युवा लड़के थे। वे एक अच्छी नौकरी और जीवनसाथी की तलाश में थे। उन्होंने संतोषी माता की आरती करना शुरू किया। कुछ ही समय में, उन्हें अपनी मनचाही नौकरी और जीवनसाथी मिल गया।

श्रीमती रमा एक विधवा थीं। उनके बेटे को गंभीर बीमारी थी। उन्होंने संतोषी माता की आरती करना शुरू किया। कुछ ही हफ्तों में, उनके बेटे का स्वास्थ्य बेहतर होने लगा, और वह पूरी तरह से ठीक हो गया।

यह कुछ कहानियां हैं जो संतोषी माता के भक्तों ने अनुभव की हैं। इन कहानियों से पता चलता है कि संतोषी माता की आरती करने से भक्तों को सुख, समृद्धि, मनोकामनाओं की पूर्ति और संकटों से मुक्ति मिलती है।

यहाँ कुछ अन्य अनुभव दिए गए हैं जो भक्तों ने साझा किए हैं:

  • “मैंने संतोषी माता की आरती करना शुरू किया, और मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगे।”
  • “मैंने संतोषी माता से प्रार्थना की, और उन्होंने मेरी मनोकामना पूरी की।”
  • “जब मैं संकट में था, तो संतोषी माता ने मेरी मदद की।”

निष्कर्ष:

दोस्तों, आरती करना भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम दिखाने का एक सुंदर तरीका है। श्री सत्यनारायण भगवान अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बरसाते हैं। नियमित तौर पर उनकी आरती और कथा हमारे जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा भरती है। आइए, हम सब मिलकर भगवान सत्यनारायण से प्रार्थना करें कि वे सभी के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  • कौन-कौन से दिन श्री सत्यनारायण जी की पूजा कर सकते हैं?
    • पूजा किसी भी शुभ दिन, जैसे कि पूर्णिमा, अमावस्या, मंगलवार, गुरुवार, शनिवार, या रविवार को की जा सकती है।
  • क्या पूजा के लिए कोई विशेष समय होता है?
    • पूजा प्रातःकाल या सायंकाल में की जा सकती है।
  • क्या पूजा अकेले भी की जा सकती है?
    • हाँ, पूजा अकेले भी की जा सकती है।
  • क्या पूजा के लिए कोई विशेष वेशभूषा होती है?
    • पूजा के लिए स्वच्छ और सात्विक वेशभूषा पहननी चाहिए।
  • क्या पूजा में कोई मंत्र भी होता है?
    • हाँ, पूजा में “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप किया जाता है।
  • क्या पूजा के बाद कोई विशेष भोजन भी बनाया जाता है?
    • हाँ, पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, हलवा, या अन्य मिठाई बनाई जाती है।

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