श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa)
परिचय
नमस्कार दोस्तों! भगवान कृष्ण हिंदू धर्म में सबसे प्रिय और पूजनीय देवताओं में से एक हैं। उनकी लीलाएं, उनका ज्ञान, और उनका असीम प्रेम अनगिनत भक्तों को प्रेरित करता है। श्री कृष्ण चालीसा एक बेहद लोकप्रिय भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण के गुणों और रूप का वर्णन करता है। आइए, आज इस चालीसा की गहराई में उतरें, इसके लाभों को जानें, और पूजा विधि से परिचित हों।
श्री कृष्ण कौन हैं?
भगवान कृष्ण विष्णु भगवान के आठवें अवतार हैं। उनका जन्म पृथ्वी पर धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए हुआ था। महाभारत में, उन्होंने अर्जुन के सारथी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पवित्र ‘भगवद् गीता’ के उपदेश दिए। भगवान कृष्ण भक्तों के लिए प्रेम, ज्ञान और करुणा के प्रतीक हैं।
श्री कृष्ण चालीसा
॥ दोहा ॥
बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्बा फल, पिताम्बर शुभ साज॥
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
॥ श्री कृष्ण चौपाई ॥
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन।
जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
जय नट-नागर नाग नथैया।
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।
आओ दीनन कष्ट निवारो॥
वंशी मधुर अधर धरी तेरी।
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो।
आज लाज भारत की राखो॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
रंजित राजिव नयन विशाला।
मोर मुकुट वैजयंती माला॥
कुण्डल श्रवण पीतपट आछे।
कटि किंकणी काछन काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे।
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥
करि पय पान, पुतनहि तारयो।
अका बका कागासुर मारयो॥
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला।
भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई।
मसूर धार वारि वर्षाई॥
लगत-लगत ब्रज चहन बहायो।
गोवर्धन नखधारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।
मुख महं चौदह भुवन दिखाई॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो।
कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें॥
करि गोपिन संग रास विलासा।
सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहारयो।
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।
उग्रसेन कहं राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो।
मातु देवकी शोक मिटायो॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी।
लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भिन्हीं तृण चीर सहारा।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥
असुर बकासुर आदिक मारयो।
भक्तन के तब कष्ट निवारियो॥
दीन सुदामा के दुःख टारयो।
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥
प्रेम के साग विदुर घर मांगे।
दुर्योधन के मेवा त्यागे॥
लखि प्रेम की महिमा भारी।
ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
भारत के पारथ रथ हांके।
लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाये।
भक्तन हृदय सुधा वर्षाये॥
मीरा थी ऐसी मतवाली।
विष पी गई बजाकर ताली॥
राना भेजा सांप पिटारी।
शालिग्राम बने बनवारी॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो।
उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करी तत्काला।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।
दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला।
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥
अस नाथ के नाथ कन्हैया।
डूबत भंवर बचावत नैया॥
सुन्दरदास आस उर धारी।
दयादृष्टि कीजै बनवारी॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै।
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥
॥ दोहा ॥
यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥
कृष्ण चालीसा के पाठ की विधि (Puja Vidhi)
- स्नान इत्यादि के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- भगवान कृष्ण की एक प्रतिमा या चित्र को एक पवित्र स्थान पर स्थापित करें।
- भगवान कृष्ण को धूप, दीप, फूल, फल आदि अर्पित करें।
- श्रद्धा और विश्वास से श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करें।
- पाठ के बाद भगवान कृष्ण की आरती करें।
कृष्ण चालीसा के पाठ का महत्व (Importance)
- कृष्ण चालीसा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है।
- यह आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है।
- मान्यता है कि यह भक्तों की मनोकामनाओं को पूरी करता है।
- चालीसा का पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता आती है।
- इसे भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और आस्था प्रदर्शित करने का एक माध्यम भी माना जाता है।
कृष्ण चालीसा से मिलने वाले लाभ (Benefits)
- मानसिक शांति: कृष्ण चालीसा का पाठ मन में अशांति और तनाव को कम करता है।
- संकट से मुक्ति: मान्यता है कि श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं।
- अच्छा स्वास्थ्य: चालीसा का नियमित पाठ स्वास्थ्य लाभ देता है और मन को प्रसन्न रखता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: कृष्ण चालीसा का पाठ आत्मविश्वास बढ़ाने और सफलता के मार्ग खोलने में सहायता करता है।
- भक्ति में वृद्धि: यह भगवान श्री कृष्ण के प्रति प्रेम बढ़ाता है और भक्ति मार्ग को सरल बनाता है।
श्री कृष्ण चालीसा
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भक्तों के अनुभव (Devotee Stories)
चालीसा की शक्ति और कृष्ण भक्ति की महिमा को दर्शाने के लिए, कुछ भक्तों के अनुभव सांझा करना इस ब्लॉग को और भी समृद्ध करेगा। इन कहानियों को सच्चाई और विश्वसनीयता के साथ प्रस्तुत करें।
कृष्ण चालीसा के लिए पूजन सामग्री (Pujan Samagri for Krishna Chalisa)
भगवान कृष्ण की पूजा के दौरान कृष्ण चालीसा का पाठ विशेष फलदायी होता है। यहां कुछ आवश्यक सामग्रियां दी गई हैं जो आपको पाठ के लिए चाहिए होंगी:
- भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर: इसे आप अपने पूजा स्थान पर स्थापित करेंगे।
- धूप या अगरबत्ती: सुगंधित वातावरण बनाने के लिए।
- दीपक और घी/तेल: प्रकाश के लिए, जो ज्ञान का प्रतीक है।
- फूल: भगवान को अर्पित किए जाते हैं। तुलसी के पत्ते विशेष रूप से प्रिय हैं।
- फल और मिठाई: नैवेद्यम (प्रसाद) के रूप में।
- चंदन का लेप या रोली: भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर पर लगाने के लिए।
- शुद्ध जल: एक छोटे से कलश या बर्तन में।
शास्त्रों के अनुसार
कुछ भक्त दूध, दही, शहद, तुलसी के पत्ते, और माखन जैसे पदार्थों को शामिल करके पंचामृत भी अर्पित करते हैं।
निष्कर्ष
नियमित रूप से श्री कृष्ण चालीसा का पाठ अपने भीतर की भक्ति को जगाने का एक सुंदर तरीका है। यह हमें भगवान के प्रति समर्पण करने और उनकी शरण लेने की याद दिलाता है। प्रिय पाठकों, यदि आपको श्री कृष्ण चालीसा के बारे में यह ब्लॉग पोस्ट उपयोगी लगा, तो इसे अन्य कृष्ण भक्तों के साथ साझा अवश्य करें!
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