नवरात्रि का चौथा दिन(Navratri Fourth Day) – माँ कूष्मांडा(Maa Kushmanda)
नमस्ते! नवरात्रि के पहले तीन दिनों में माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, और माँ चंद्रघंटा का आशीर्वाद प्राप्त करके हम माँ दुर्गा की उपासना के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। आज हम बात करेंगे नवरात्रि के चौथे दिन की अधिष्ठात्री देवी माँ कूष्माण्डा के बारे में। इस दिन, हम देवी के सृजन शक्ति के स्वरूप से साक्षात्कार करते हैं।
कूष्मांडा का अर्थ
शब्द का अर्थ इस प्रकार है:
- वह देवी जो ब्रह्मांड की निर्माता हैं।
- वह देवी जो ब्रह्मांड की रक्षा और पालन करती हैं।
- वह देवी जो अपने भक्तों को आरोग्य, धन, और बल प्रदान करती हैं।
कूष्मांडा नाम की व्युत्पत्ति
‘कूष्मांडा’ दो अलग-अलग शब्दों से मिलकर बना है:
- कूष्मा: यह शब्द ‘कद्दू’ या ‘कुम्हड़ा’ का संस्कृत रूप है। यह एक सब्जी है जो बेल पर लगती है। इसका संबंध प्रजनन क्षमता, पोषण, और जीवन देने वाली शक्ति से है।
- अंडा: इसका अर्थ है ‘ब्रह्मांडीय अंडा’ यानी वह जिसके भीतर पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है। यह सृजन की उत्पत्ति का प्रतीक है।
माँ कूष्मांडा का स्वरूप
माँ कूष्मांडा का स्वरूप अत्यंत भव्य और आकर्षक है।
स्वरूप का वर्णन:
- माँ कूष्मांडा का तेजस्वी स्वरूप सूर्य के समान है।
- उनके आठ हाथ हैं।
- उनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, और गदा रहते हैं।
- उनके आठवें हाथ में जप की माला है।
- उनका वाहन सिंह है।
- वे हरे रंग के वस्त्र पहने हुए हैं।
- वे कमल के फूल पर विराजमान हैं।
माँ कूष्मांडा का महत्व
माँ कूष्मांडा नवदुर्गा का चौथा स्वरूप हैं। उनका महत्व अनेक प्रकार से है:
सृजन की शक्ति
माँ कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचना करने वाली आदिशक्ति माना जाता है। उन्होंने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांडीय अंडे को जन्म दिया और सृष्टि की उत्पत्ति की।
पालनहार
माँ कूष्मांडा केवल सृष्टि की रचना करने वाली ही नहीं, बल्कि पालनहार भी हैं। वे ब्रह्मांड की देखभाल करती हैं और सभी जीवों को जीवन प्रदान करती हैं।
आशा और सकारात्मकता
माँ कूष्मांडा का स्वरूप आशा और सकारात्मकता का प्रतीक है। उनकी मुस्कान भक्तों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
रोगों से मुक्ति
माँ कूष्मांडा को रोगों से मुक्ति प्रदान करने वाली देवी भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को स्वास्थ्य और आरोग्य प्राप्त होता है।
आर्थिक समृद्धि
माँ कूष्मांडा को धन और समृद्धि की देवी भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को धन और समृद्धि प्राप्त होती है।
ज्ञान और विद्या
माँ कूष्मांडा को ज्ञान और विद्या की देवी भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को ज्ञान और विद्या प्राप्त होती है।
माँ कूष्मांडा की पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है। उनकी पूजा विधि सरल है:
पूजा विधि:
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- एक चौकी पर हरे रंग का वस्त्र बिछाएं और माँ कूष्मांडा की प्रतिमा या तस्वीर रखें।
- कलश पर मौली बांधकर आम के पत्तों के साथ चौकी पर रखें।
- माँ को रोली, चावल, हरी इलायची, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- माँ का ध्यान और मंत्रो का जाप करें।
- आरती करें।
- प्रसाद वितरण करें।
माँ कूष्मांडा का ध्यान:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे ॥
पूजा सामग्री
माँ कूष्मांडा के लिए पूजा सामग्री इस प्रकार है:
पूजा सामग्री | विवरण |
---|---|
देवी की प्रतिमा या तस्वीर | माँ कूष्मांडा की मूर्ति या तस्वीर |
वस्त्र | चौकी के लिए हरे रंग का वस्त्र |
पूजा के बर्तन/सामान | कलश, दीपक, अगरबत्ती स्टैंड, आरती की थाली |
भोग और प्रसाद | फल, फूल, मिठाई, पान, सुपारी, हरी इलायची |
अन्य सामग्री | रोली, अक्षत (चावल), जल, धूप, घी, दक्षिणा |
अतिरिक्त सामग्री (वैकल्पिक)
- कुम्हड़ा या कद्दू (पूजा के प्रसाद में सम्मिलित करने के लिए)
- हवन सामग्री
नवरात्रि के चौथै दिन का शुभ मुहूर्त
नवरात्र के चौथे दिन माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्माण्डा की पूजा का बहुत महत्व है। इस वर्ष नवरात्रि का दूसरा दिन 18 अक्टूबर 2023 को है।
अमृत काल – सुबह 10:24 से दोपहर 12:01 तक ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:25 से सुबह 05:13 तक
माँ कूष्मांडा को क्या भोग लगाएं
माँ दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। इस दिन मालपुए का भोग लगाया जाता है। यदि आप किसी कारणवश मालपुए का भोग न लगा पाएं तो मातारानी को गुड़ का भोग भी लगाया जा सकता है।
मालपुए बनाने के लिए, सबसे पहले दूध में चीनी डालकर एक घंटे के लिए रख दें। इसके बाद, एक बर्तन में आटा छानें। फिर इसमें सौंफ, इलायची और नारियल का बुरादा डालकर मिलाएं। जब दूध में चीनी घुल जाए, तो इसको आटे में डालें और मिलाएं। इसके बाद एक कड़ाही में घी डालकर उसको गर्म करें, फिर उसे पूरी के आकार में घी में डालें। मालपुआ को दोनों तरफ से पलट कर लाल होने तक सेकें और फिर माता को इसका भोग लगाएं।
माँ कूष्मांडा की कथा
सृष्टि की रचना:
प्राचीन काल में, जब ब्रह्मांड केवल अंधकारमय शून्य था, तब माँ कूष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांडीय अंडे को जन्म दिया।
ब्रह्मांड का पालन:
माँ कूष्मांडा ने केवल ब्रह्मांड की रचना ही नहीं की, बल्कि उसका पालन भी किया।
देवी का स्वरूप:
माँ कूष्मांडा का स्वरूप अत्यंत भव्य और आकर्षक है। उनके आठ हाथ हैं, जिनमें वे कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, और गदा धारण करती हैं।
माँ कूष्मांडा की की आरती
ॐ जय कूष्मांडा माँ मैया जय कूष्मांडा माँ शरण तिहारी आए शरण तिहारी आए कर दो माता दया जय जय कूष्मांडा माँ
ॐ जय कूष्मांडा माँ मैया जय कूष्मांडा माँ शरण तिहारी आए शरण तिहारी आए कर दो माता दया ॐ जय कूष्मांडा माँ
अष्टभुजा जय देवी आदिशक्ति तुम माँ मैया आदिशक्ति तुम माँ आदि स्वरूपा मैया आदि स्वरूपा मैया जग तुमसे चलता ॐ जय कूष्मांडा माँ
चतुर्थ नवरात्रों में भक्त करे गुणगान मैया भक्त करे गुणगान स्थिर मन से माँ की स्थिर मन से माँ की करो पूजा और ध्यान ॐ जय कूष्मांडा माँ
सच्चे मन से जो भी करे स्तुति गुणगान मैया करे स्तुति गुणगान सुख समृद्धि पावे सुख समृद्धि पावे माँ करे भक्ति दान ॐ जय कूष्मांडा माँ
शेर है माँ की सवारी कमंडल अति न्यारा मैया कमंडल अति न्यारा चक्र पुष्प गले माला चक्र पुष्प गले माला माँ से उजियारा ॐ जय कूष्मांडा माँ
ब्रह्माण्ड निवासिनी ब्रह्मा वेद कहे मैया ब्रह्मा वेद कहे दास बनी है दुनिया दास बनी है दुनिया माँ से करुणा बहे ॐ जय कूष्मांडा माँ
पाप ताप मिटता है दोष ना रह जाता मैया दोष ना रह जाता जो माता में रमता जो माता में रमता निश्चित फल पाता ॐ जय कूष्मांडा माँ
अष्ट सिद्धियां माता भक्तों को दान करें मैया भक्तों को दान करें व्याधि मैया हरती व्याधि मैया हरती सुखों से पूर्ण करे ॐ जय कूष्मांडा माँ
कुष्मांडा माता की आरती नित गाओ आरती नित गाओ माँ करेगी सब संभव माँ करेगी सब संभव चरण सदा ध्याओ ॐ जय कूष्मांडा माँ
ॐ जय कूष्मांडा माँ मैया जय कूष्मांडा माँ शरण तिहारी आए शरण तिहारी आए कर दो माता दया जय जय कूष्मांडा माँ X3
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