नवरात्रि का पाँचवां दिन(Navratri Fifth Day) – माँ स्कंदमाता(Maa Skandmata)
नमस्ते! नवरात्रि के पावन उत्सव में हम माँ दुर्गा के कई स्वरूपों की पूजा कर रहे हैं। पिछले चार दिनों में हमने शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा और कूष्मांडा देवी के स्वरूप से साक्षात्कार किया। आज हम बात करेंगे माता के पांचवें स्वरूप की जिनका नाम है ‘स्कंदमाता’। आइये, जानते हैं इस देवी की महिमा और करते हैं उनकी पूजा-अर्चना।
स्कंदमाता का अर्थ
नाम की उत्पत्ति
‘स्कंदमाता’ नाम दो शब्दों से मिलकर बना है:
- स्कंद: ‘स्कंद’ भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम है। भगवान शिव और माँ पार्वती के पुत्र होने के कारण उनका यह नाम पड़ा।
- माता: ‘माता’ शब्द का अर्थ है ‘माँ’।
‘स्कंदमाता’ शब्द का अर्थ:
इस प्रकार, ‘स्कंदमाता’ शब्द के निम्नलिखित अर्थ हैं:
- भगवान कार्तिकेय की माँ: भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण माँ पार्वती ‘स्कंदमाता’ कहलाईं।
- मातृत्व प्रेम की देवी: माँ होने के नाते स्कंदमाता अपने भक्तों पर ममता और वात्सल्य की वर्षा करती हैं। उनके भक्त उनके लिए संतान के समान हैं।
माँ स्कंदमाता के स्वरूप
- भुजाएँ: माँ स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं।
- हाथों में पकड़ी हुई वस्तुएं: अपनी एक भुजा में वह भगवान कार्तिकेय को बाल रूप में गोद में पकड़े हुए हैं। दूसरी भुजा वरदान मुद्रा यानी आशीर्वाद देने की मुद्रा में है। अपने अन्य दो हाथों में माँ कमल का पुष्प धारण करती हैं।
- आसन: स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं। कमल पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक है।
- वाहन: स्कंदमाता का वाहन सिंह है जो साहस और शक्ति का प्रतीक है।
- वर्ण: स्कंदमाता का वर्ण बहुत ही शुभ्र और तेजस्वी है। यह उनकी पवित्रता और असीम शक्ति का प्रतीक है।
स्कंदमाता का महत्व
- मातृत्व प्रेम: स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं और वे अपने भक्तों को भी वही मातृत्व प्रेम प्रदान करती हैं।
- समृद्धि : स्कंदमाता अपने भक्तों को सुख, शांति, और समृद्धि प्रदान करती हैं।
- विद्या और ज्ञान : स्कंदमाता अपने भक्तों को विद्या और ज्ञान भी देती हैं।
- आरोग्य और निरोगी जीवन: स्कंदमाता की उपासना करने से भक्त आरोग्य और निरोगी जीवन प्राप्त करते हैं।
स्कंदमाता की पूजा विधि
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजा स्थान को स्वच्छ करें और एक चौकी बिछाकर उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
- चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर अथवा प्रतिमा स्थापित करें।
- कलश पर मौली बाँधकर, उसमें आम के पत्ते रखें और चौकी पर स्थापित करें।
- माँ स्कंदमाता को रोली, कुमकुम, फूलमाला, दूर्वा आदि अर्पित करें।
- माता स्कंदमाता को धूप और दीप अर्पित करें।
- माता को फल, मिठाई और विशेष रूप से केले का भोग लगाएँ।
- स्कंदमाता का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
- स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें।
- स्कंदमाता की आरती करें।
माँ स्कंदमाता का ध्यान:
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
पूजा सामग्री
यहां नवरात्रि में स्कंदमाता पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की एक तालिका है:
पूजा सामग्री | विवरण |
---|---|
देवी की प्रतिमा या फोटो | माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या फोटो |
वस्त्र | चौकी के लिए पीले रंग का वस्त्र |
पूजा के बर्तन/सामान | कलश, दीपक, धूपबत्ती स्टैंड, आरती की थाली |
भोग और प्रसाद | फल (विशेष रूप से केले), मिठाई, पान, सुपारी |
अन्य सामग्री | रोली, अक्षत (चावल), जल, गंगाजल, धूप, घी, फूलमाला, दूर्वा, दक्षिणा |
नवरात्रि के पाँचवें दिन का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के पाँचवें दिन, माँ स्कंदमाता की पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त होते हैं।
2024 में, नवरात्रि का पाँचवां दिन 13 मार्च, 2024 को है।
शुभ मुहूर्त:
- अभिजीत मुहूर्त: 11:54 AM से 12:52 PM तक
- विजय मुहूर्त: 02:35 PM से 03:33 PM तक
- अमृत मुहूर्त: 09:12 AM से 10:09 AM तक
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:24 AM से 05:17 AM तक
पूजा का समय:
- माँ स्कंदमाता की पूजा सुबह या शाम के समय में की जा सकती है।
- यदि आप अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना चाहते हैं, तो 11:54 AM से 12:52 PM तक का समय सबसे अच्छा है।
- यदि आप विजय मुहूर्त में पूजा करना चाहते हैं, तो 02:35 PM से 03:33 PM तक का समय सबसे अच्छा है।
- आप अपनी सुविधानुसार किसी भी अन्य शुभ मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं।
स्कंदमाता को क्या भोग लगाएं
नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता जी को केले का भोग लगाना चाहिए और इसका दान भी करना चाहिए। इससे माँ, प्रसन्न होकर अच्छी सेहत का वरदान देती हैं। साथ ही यश एवं सुख-समृद्धि भी प्रदान करती हैं।
स्कंदमाता की कथा
मां पार्वती को स्कंदमाता के रूप में तारकासुर नाम के एक शक्तिशाली राक्षस के संहार के लिए जाना जाता है। यह राक्षस इतना शक्तिशाली था कि उसे केवल भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र द्वारा ही मारा जा सकता था। भगवान शिव और माँ पार्वती के मिलन से भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ, जिन्होंने आगे चलकर तारकासुर का वध किया और देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। कार्तिकेय की माँ होने के कारण माँ पार्वती को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। स्कंदमाता की कथा हमें संकट के समय में धैर्य, शक्ति और माँ के असीमित प्रेम की शिक्षा प्रदान करती है।
स्कंदमाता की आरती
ॐ जय जय स्कंदमाता मैया जय स्कंदमाता परम सुखदाई मैया परम सुखदाई मैया तुमसे सुख आता ॐ जय जय स्कंदमाता
ॐ जय जय स्कंदमाता मैया जय स्कंदमाता परम सुखदाई मैया परम सुखदाई मैया तुमसे सुख आता ॐ जय जय स्कंदमाता
शक्ति स्वरूपा माता मोक्ष नर पावे मैया मोक्ष नर पावे
द्वार तिहारे आये द्वार तिहारे आये खाली नहीं जावे ॐ जय जय स्कंदमाता
चारभुजाधारी माँ हस्त कमल सोहे मैया हस्त कमल सोहे
स्कंद संग में विराजे स्कंद संग में विराजे छवि अति मन मोहे ॐ जय जय स्कंदमाता
पंचम नवरातों में ध्यान भक्त करे मैया ध्यान भक्त करे
मनवांछित फल पावे मनवांछित फल पावे कष्ट माँ तू ही हरे ॐ जय जय स्कंदमाता
रूप निराले हैं माता जग गुणगान करे मैया जग गुणगान करे
कर दो कृपा हे मैया कर दो कृपा हे मैया तुम्हरे द्वार खड़े ॐ जय जय स्कंदमाता
विपदा हरती हो मैया जो मन से सुमिरे मैया जो मन से सुमिरे
साधक नित हर्षावे साधक नित हर्षावे जय जय माता कहे ॐ जय जय स्कंदमाता
शिव योगी की शक्ति तुमको ही जग जाने मैया तुमको ही जग जाने
कार्तिकेय करे वंदन कार्तिकेय करे वंदन माता ये जग माने ॐ जय जय स्कंदमाता
तुम्हरी कृपा से धर्म हर पल ही जीते मैया हर पल ही जीते
तुम्हारी इच्छा से भक्ता तुम्हारी इच्छा से भक्ता भक्ति रस पीते ॐ जय जय स्कंदमाता
स्कंदमाता की आरती जो मन से गावे मैया जो मन से गावे
भव बंधन से छूटे भव बंधन से छूटे नित सुख वो पावे ॐ जय जय स्कंदमाता
ॐ जय जय स्कंदमाता मैया जय जय स्कंदमाता
परम सुखदाई मैया परम सुखदाई मैया तुमसे सुख आता ॐ जय जय स्कंदमाता
ॐ जय जय स्कंदमाता मैया जय जय स्कंदमाता
परम सुखदाई मैया परम सुखदाई मैया तुमसे सुख आता ॐ जय जय स्कंदमाता
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