नवरात्रि का नौवां दिन(Navratri Ninth Day): माँ सिद्धिदात्री(Maa Siddhidatri)
नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा की नौ अलग-अलग शक्तियों की आराधना की जाती है। नवरात्रि का अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। आइए जानते हैं सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व, विधि और उनसे संबंधित कथाओं के बारे में।
- सिद्धिदात्री का अर्थ
- माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप
- माँ सिद्धिदात्री का विशेष महत्व
- इन सिद्धियों को भी देती हैं माँ सिद्धिदात्री
- कैसे करें माँ सिद्धिदात्री की पूजा?
- कैसे करें महानवमी पर हवन?
- माँ सिद्धिदात्री की पूजा सामग्री
- नवरात्रि के नौवें दिन का शुभ मुहूर्त
- माँ सिद्धिदात्री को क्या भोग लगाएं
- माँ सिद्धिदात्री की कथा
- माँ सिद्धिदात्री की आरती
सिद्धिदात्री का अर्थ
‘सिद्धिदात्री’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है :
- सिद्धि: सिद्धि का अर्थ है अलौकिक शक्तियां या दैवीय क्षमताएं। माँ सिद्धिदात्री से जुड़ी विभिन्न सिद्धियों में अणिमा (सूक्ष्म होने की क्षमता), महिमा (विशाल रूप प्राप्त करने की क्षमता), प्राप्ति (मनोवांछित वस्तु को पाने की शक्ति) जैसी योगिक शक्तियां शामिल है।
- दात्री: दात्री का अर्थ है ‘देने वाली’।
इस प्रकार, सिद्धिदात्री का शाब्दिक अर्थ है ‘सिद्धियां देने वाली’।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप
माँ सिद्धिदात्री देवी दुर्गा का नौवां स्वरूप हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत, सुंदर और कल्याणकारी है।
उनके स्वरूप की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- शारीरिक स्वरूप: माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। वे कमल के फूल पर विराजमान हैं। उनका रंग चमेली के फूल जैसा गोरा है।
- वस्त्र और आभूषण: माँ ने लाल रंग की रेशमी साड़ी पहनी है और सोने के आभूषणों से सजी हुई हैं।
- हाथों में वस्तुएं: माँ के ऊपरी दाहिने हाथ में शंख और ऊपरी बाएं हाथ में गदा है। निचले दाहिने हाथ में चक्र और निचले बाएं हाथ में कमल का फूल है।
- वाहन: माँ सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।
माँ सिद्धिदात्री का विशेष महत्व
- सिद्धिदायिनी: ‘सिद्धिदात्री’ शब्द का अर्थ है ‘सिद्धियां देने वाली।’ मान्यता है कि इनकी पूजा करने से भक्तों को अनेक सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
- साधना का फल: नवरात्रि-पूजन के अंतिम दिन साधक की साधना पूर्ण हो जाती है और माँ की कृपा से उसे सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो सकती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: माँ सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- आंतरिक शक्ति: माँ सिद्धिदात्री हमें हमारी अपनी आंतरिक शक्तियों , जो निष्क्रिय पड़ी होती हैं, उन्हें पहचानने और विकसित करने की प्रेरणा देती हैं।
- भक्ति और साधना: उनकी पूजा यह दर्शाती है कि साधना, एकाग्रता और भक्ति का मार्ग हमें अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करने में सक्षम बनाता है।
- कन्या पूजन: नवरात्रि के अंतिम दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने की भी विशेष महत्ता है। माँ सिद्धिदात्री कन्याओं में स्वयं विराजमान होती हैं और उनका पूजन करने से माँ की कृपा प्राप्त होती है।
इन सिद्धियों को भी देती हैं माँ सिद्धिदात्री
मान्यता है कि माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को निम्नलिखित सिद्धियां भी प्रदान करती हैं:
- अणिमा – शरीर को बेहद सूक्ष्म रूप में परिवर्तित कर लेने की शक्ति।
- महिमा – शरीर को बेहद विशाल रूप में बदल लेने की शक्ति।
- गरिमा – शरीर को बहुत भारी बना लेने की शक्ति।
- लघिमा – शरीर को बहुत हल्का कर लेने की शक्ति।
- प्राप्ति – किसी भी इच्छित वस्तु को तुरंत पाने की शक्ति।
- प्राकाम्य – अपनी इच्छा को साकार करने की शक्ति।
- ईशित्व – जीवों, वस्तुओं और प्रकृति पर प्रभुत्व पाने की शक्ति।
- वशित्व – दूसरों को अपने वश में कर लेने की शक्ति।
कैसे करें माँ सिद्धिदात्री की पूजा?
नवरात्रि के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा निम्नलिखित विधि से की जाती है:
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- घर के पूजा स्थल को साफ कर लें और माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- माँ सिद्धिदात्री का आह्वान करते हुए कलश स्थापना करें।
- माँ सिद्धिदात्री को तिल, फूल, सफेद वस्त्र, नारियल, फल, मिठाई, इत्र, आदि अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं।
- सिद्धिदात्री मंत्र का जाप करें: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः।”
- माँ सिद्धिदात्री की आरती गाएं।
- प्रसाद को भक्तों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
कैसे करें महानवमी पर हवन?
प्रातःकाल उठकर, स्नानादि कार्यों से निवृत हो जाएं। नवमी के दिन विधिवत सिद्धिदात्री जी की पूजा करें। पूजा-पाठ और कन्या पूजन के बाद हवन किया जाएगा। हवन से पहले हवन की संपूर्ण सामग्री एकत्रित कर लें। इसके बाद जहां हवन करना है, उस स्थान को साफ कर लें। हवन वेदी पर हल्दी कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं, और पुष्प से सजाएं। आमतौर पर, हवन किसी पंडित या ब्राह्मण द्वारा करवाया जाता है, क्योंकि हर किसी को अग्नि स्थापना की अनुमति नहीं होती है। हालांकि कई लोग स्वयं भी हवन करते हैं। आप अपने घर की परंपरा के अनुसार हवन करवाएं।
- हवन का प्रारंभ अग्नि देव के आह्वान और स्थापना से होता है।
- अग्नि देवता को भोजन अर्पित करने के हिसाब से आहुति दी जाती है।
- इसके बाद मनसा आहुति दी जाती है।
- फिर गृह शांति होम किया जाता है।
- प्रधान देवता होम- इसके अंतर्गत पहले नर्वाण मंत्र की माला से होम करते हैं, फिर दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय से होम किया जाता है, फिर से नर्वाण मंत्र की एक माला से होम होता है।
- इसके पश्चात् स्थान देवता का होम, गुगल होम, पीली सरसों का होम, महालक्ष्मी होम , स्वीष्टकृत होम, पूर्णाहुति होम दिया जाता है।
- फिर वसोधारा दी जाती है और अग्नि विसर्जन के लिए हवन में अक्षत डाले जाते हैं और अग्नि देवता से प्रार्थना की जाती है कि वह अगले शुभ कार्य में दर्शन दें और उसे संपूर्ण करें।
- अंत में यजमान के मस्तक पर भस्म का तिलक लगाया जाता है। भगवान जी भोग अर्पित किया जाता है, आरती की जाती है, मंत्र पुष्पांजलि अर्पित की जाती है और क्षमायाचना की जाती है।
इस प्रकार हवन संपूर्ण हो जाता है, इस बात का ध्यान रखें कि हवन की अग्नि को खंडित नहीं करना चाहिए। हम आशा करते हैं कि आपके हवन शुभ एवं फलदायी हो।
माँ सिद्धिदात्री की पूजा सामग्री
सामग्री | मात्रा |
---|---|
कलश | 1 |
नारियल | 1 |
पान के पत्ते | 5 |
सुपारी | 5 |
फल | मौसमी फल (जैसे केला, सेब, अमरूद) |
फूल | गुलाब, कमल, गेंदा |
धूप | 1 पैकेट |
दीप | 1 |
घी | 1 बड़ा चम्मच |
रोली | 1 छोटा चम्मच |
चावल | 1 मुट्ठी |
अक्षत | 1 मुट्ठी |
हल्दी | 1 चुटकी |
कुमकुम | 1 चुटकी |
मिट्टी का दीपक | 1 |
सिंदूर | 1 छोटा चम्मच |
इत्र | 1 शीशी |
चंदन | 1 छोटा टुकड़ा |
कपूर | 1 टुकड़ा |
मिठाई | 1 (जैसे लड्डू, बर्फी) |
पान | 1 |
सुपारी | 1 |
दक्षिणा | अपनी क्षमता अनुसार |
वस्त्र | लाल रंग का वस्त्र (देवी के लिए) |
आभूषण | सोने या चांदी के आभूषण (देवी के लिए) |
सिद्धिदात्री मंत्र | 108 बार |
सिद्धिदात्री आरती | 1 बार |
नोट:
- यह सूची केवल एक मार्गदर्शक है। आप अपनी इच्छानुसार सामग्री में बदलाव कर सकते हैं।
- पूजा सामग्री खरीदते समय ध्यान रखें कि वे ताजी और अच्छी गुणवत्ता वाली हों।
- पूजा करने से पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा करते समय एकाग्रता और भक्ति भाव रखें।
नवरात्रि के नौवें दिन का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा करने के लिए कुछ शुभ मुहूर्त हैं:
शुभ मुहूर्त:
- अभिजित मुहूर्त: 12:00 PM से 12:52 PM तक
- विजय मुहूर्त: 1:52 PM से 2:42 PM तक
- गोधुली मुहूर्त: 6:23 PM से 7:13 PM तक
अन्य मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: 4:30 AM से 5:20 AM तक
- अमृत मुहूर्त: 10:00 AM से 10:50 AM तक
माँ सिद्धिदात्री को क्या भोग लगाएं
नवरात्रि के आखिरी दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इस दिन, खासतौर पर मां को तिल का भोग लगाते हैं। ऐसे में आप तिल के लड्डू भी बना सकते हैं या अनार भी अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से, माँ दुर्गा अनार के दानों की तरह आपकी जिंदगी के अलग- अलग पड़ाव को भी एक कवच प्रदान करती हैं।
माँ सिद्धिदात्री की कथा
पहली कथा एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। साथ ही मां सिद्धिदात्री की कृपा ने भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। मां दुर्गा का यह अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है। शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा का यह स्वरूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। कहते हैं कि दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागणम भगवान शिव और प्रभु विष्णु के पास गुहार लगाने गए थे। तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ। जिन्हें मां सिद्धिदात्री के नाम से जाते हैं।
दूसरी कथा पौराणिक मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व सिद्धियां हैं। माता रानी अपने भक्तों को सभी आठों सिद्धियों से पूर्ण करती हैं। मां सिद्धिदात्री को जामुनी या बैंगनी रंग अतिप्रिय है। ऐसे में भक्त को नवमी के दिन इसी रंग के वस्त्र धारण कर मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से माता की हमेशा कृपा बनी रहती हैं।
माँ सिद्धिदात्री की आरती
ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया जयति जय सिद्धिदात्री
हम भक्तों की मैया हम भक्तों की मैया तुम हो महतारी ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया
अष्ट सिद्धि प्रदायिनी तुम हो जग माता मैया तुम हो जग माता
तुमसे कुछ न असंभव तुमसे कुछ न असंभव सब तुमसे आता ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया
ऋषि मुनि देव योगी नर गुणगान करे मैया नर गुणगान करे
दुष्टों को माँ मारे दुष्टों को माँ मारे काल भी माँ से डरे ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया
जग में अनुपम महिमा दुःख दरिद्र मिटे मैया दुःख दरिद्र मिटे
दया तुम्हारी मैया दया तुम्हारी मैया समृद्धि बरसे ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया
शुम्भ निशुम्भ को मारा लीला अति न्यारी मैया लीला अति न्यारी
अपना दास बनाओ अपना दास बनाओ भोले की प्यारी ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया
शंख गदा और चक्र पुष्प कमल सोहे मैया पुष्प कमल सोहे
छवि माँ की प्यारी छवि माँ की प्यारी सबका मन मोहे ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया
नवराते में नावें दिन करते माँ का ध्यान करते माँ का ध्यान
मनवांछित फल पावे मनवांछित फल पावे मिट जावे अज्ञान ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया
माँ गृह मेरे विराजो सदा सहाय बनो मैया सदा सहाय बनो
काज संवारना मैया काज संवारना मैया मेरे मन में बसो ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया
माँ सिद्धिदात्री के आरती जो मन से गावे मैया जो मन से गावे
सर्व सिद्धि वो पावे सर्व सिद्धि वो पावे मन नहीं घबरावे ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया
ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया जयति जय सिद्धिदात्री
हम भक्तों की मैया हम भक्तों की मैया तुम हो महतारी ॐ जयति जय सिद्धिदात्री मैया
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