माँ दुर्गा की आरती: शक्ति, भक्ति और विजय का उद्घोष

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परिचय

नवरात्रि के पावन त्योहार हो या आपके मन में जब भी भक्ति का भाव उमड़े, माँ दुर्गा की आरती हमेशा दिव्य शक्ति और आशीर्वाद का अहसास कराती है। आइए, माँ दुर्गा की आरती के महत्व, उनकी पूजा विधि, और आरती से मिलने वाले आशीर्वाद के बारे में विस्तार से जानें।

माँ दुर्गा कौन हैं?

माँ दुर्गा हिंदू धर्म की सबसे प्रमुख और श्रद्धेय देवियों में से एक हैं। उन्हें शक्ति, साहस और नारीत्व की प्रतीक माना जाता है। माँ दुर्गा ही हैं, जो समय-समय पर राक्षसों के अत्याचारों से देवताओं और मनुष्यों की रक्षा करती हैं। उन्हें अक्सर एक शेर की सवारी करते हुए और कई शस्त्र धारण किए हुए चित्रित किया जाता है।

माँ दुर्गा की आरती का महत्व

माँ दुर्गा की आरती एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो उनकी दिव्य ऊर्जा का आह्वान करती है। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाने और भक्तों के जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए जानी जाती है। माँ की आरती करके, हम उनसे आशीर्वाद, मार्गदर्शन और संकटों से सुरक्षा पाने की कामना करते हैं।

माँ दुर्गा की पूजा विधि

माँ दुर्गा की पूजा विधि एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो भक्तों को देवी की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। यह विधि कई चरणों से युक्त है, जिनमें शामिल हैं:

1. तैयारी

  • स्नान: पूजा शुरू करने से पहले, स्नान करके स्वच्छ हो जाएं।
  • वस्त्र: स्वच्छ और सुंदर वस्त्र पहनें।
  • पूजा सामग्री:
    • देवी की मूर्ति या तस्वीर
    • फूल
    • फल
    • मिठाई
    • धूप
    • दीप
    • जल
    • सिंदूर
    • कुमकुम
    • चावल
    • सुपारी
    • पान
    • कलावा
    • दीपक
    • घी या तेल
    • कपूर
    • नारियल
    • पान
    • सुपारी
    • इलायची
    • बताशे
    • मिसरी
    • फल-मिठाई

2. स्थान

  • एक साफ-सुथरी जगह चुनें, जहाँ आप पूजा कर सकें।
  • देवी की मूर्ति या तस्वीर को एक ऊंचे स्थान पर स्थापित करें।
  • पूजा सामग्री को देवी के सामने रखें।

3. पूजा

  • आवाहन: देवी को अपनी पूजा में आवाहित करने के लिए मंत्र का जाप करें।
  • पंचामृत स्नान: देवी को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से स्नान कराएं।
  • वस्त्र अर्पण: देवी को लाल या पीले वस्त्र अर्पित करें।
  • आभूषण अर्पण: देवी को आभूषण अर्पित करें।
  • फूल अर्पण: देवी को फूल अर्पित करें।
  • फल अर्पण: देवी को फल अर्पित करें।
  • मिठाई अर्पण: देवी को मिठाई अर्पित करें।
  • धूप और दीप: धूप और दीप जलाएं।
  • नैवेद्य: देवी को भोग लगाएं।
  • आरती: देवी की आरती करें।
  • मंत्र: देवी के मंत्रों का जाप करें।
  • प्रार्थना: अपनी मनोकामनाओं को देवी के सामने प्रकट करें।
  • प्रसाद: प्रसाद ग्रहण करें।

4. आरती

माँ दुर्गा की आरती एक प्रसिद्ध भजन है जो देवी की महिमा का गुणगान करता है। आरती करते समय, भक्त देवी के सामने दीप जलाते हैं और भजन गाते हैं।

माँ दुर्गा की पूजा विधि: संक्षिप्त वर्णन

मां दुर्गा की पूजा हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह आस्था, भक्ति और माँ के प्रति समर्पण का प्रतीक है। यहाँ माँ दुर्गा की पूजा के लिए एक संक्षिप्त गाइड है:

  1. स्नान आदि करके खुद को शुद्ध कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. एक पूजा स्थल तैयार करें और माँ दुर्गा की मूर्ति/तस्वीर स्थापित करें।
  3. माँ दुर्गा का ध्यान करते हुए दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
  4. माँ को फूल, फल, मिठाई, कुमकुम, चंदन आदि अर्पित करें।
  5. पूरी श्रद्धा से “जय अम्बे गौरी…” आरती गाएं।
  6. “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का कुछ देर जाप करें।
  7. माँ दुर्गा से अपनी मनोकामनाएं कहें और आशीर्वाद मांगें।

जय अम्बे गौरी – माँ दुर्गा की आरती

जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।

माँ दुर्गा की आरती का भावार्थ

इस आरती में हम माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान करते हैं, उनकी दिव्य उपस्थिति और विशेषताओं का वर्णन करते हैं। हम उनसे अपनी रक्षा करने, हमारे पापों को क्षमा करने और हमारे जीवन में धन, सुख और शांति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।

माँ दुर्गा की आरती के लाभ

  • दिव्य सुरक्षा: माँ दुर्गा की आरती करने से माँ की सुरक्षा प्राप्त होती है, जो बुराइयों और नकारात्मकता से हमारा बचाव करती हैं।
  • आंतरिक शक्ति: माँ दुर्गा की आरती हमारे भीतर साहस, शक्ति और दृढ़ संकल्प को जागृत करने में सहायक है।
  • मन की शांति: यह आरती भक्ति और समर्पण का वातावरण बनाती है, जिससे हमारे मन को शांति मिलती है।
  • समस्याओं से मुक्ति: माँ दुर्गा की कृपा से कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है और जीवन में चल रही समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

माँ दुर्गा से जुड़ी पौराणिक कथाएँ

माँ दुर्गा की वीरता और शक्ति के बारे में हिंदू पुराणों में कई प्रेरक कथाएँ मिलती हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा महिषासुर नामक राक्षस के वध की है। महिषासुर ने अपने अत्याचार से तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था, और कोई भी देवता उसे हराने में सक्षम नहीं था। तब सभी देवताओं ने मिलकर माँ दुर्गा या आदिशक्ति का रूप रचा। भयंकर युद्ध के बाद, माँ दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया, जिससे धर्म की विजय हुई।

माँ दुर्गा का मंत्र

माँ दुर्गा को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है:

“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”

इस मंत्र का निष्ठापूर्वक जाप करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

माँ दुर्गा से जुड़े भक्तों के अनुभव

दुनिया भर में असंख्य भक्त हैं, जिन्होंने माँ दुर्गा की असीम कृपा का अनुभव किया है। इनमें से बहुत से भक्तों का कहना है कि नियमित रूप से माँ की आरती करने और उन पर विश्वास रखने से, उनके जीवन में चमत्कार हुए हैं और उन्हें कठिन समय में शक्ति व उम्मीद मिली हैं।

माँ दुर्गा की आरती से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  • माँ दुर्गा की आरती करने का सबसे अच्छा समय क्या है? माँ दुर्गा की आरती सुबह और शाम दोनों समय की जा सकती है। नवरात्रि जैसे विशेष अवसरों के दौरान, उनकी आरती दिन में कई बार की जाती है।
  • क्या आरती के दौरान कोई विशेष नियम हैं जिनका पालन करने की आवश्यकता है? आरती करते समय साफ कपड़े पहनने और पूरी श्रद्धा और भक्ति रखने की सलाह दी जाती है।
  • अगर मुझे आरती के बोल नहीं पता तो क्या करूँ? आप इंटरनेट पर माँ दुर्गा की आरती के वीडियो मिल सकते हैं। इन्हें देखकर आप आरती सीख सकते हैं।
  • क्या आरती के लिए कोई विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है? आरती की थाली में आमतौर पर एक दीपक, धूप, फूल, फल, मिठाई और जल शामिल होता है।

निष्कर्ष

माँ दुर्गा की आरती केवल एक पूजा ही नहीं है, बल्कि माँ से सीधा जुड़ने का एक माध्यम है। इस आरती के जरिए हम अपने मन में भक्ति जगाते हैं और माँ दुर्गा से हमें शक्ति और सकारात्मकता से भरने की प्रार्थना करते हैं। यदि आप अपने जीवन में आध्यात्मिकता, शक्ति और दिव्य सुरक्षा को आमंत्रित करना चाहते हैं, तो माँ दुर्गा की आरती को अपने दैनिक जीवन का एक हिस्सा जरूर बनाएं।

आशा करती हूँ माँ दुर्गा से जुड़ी यह जानकारी आपको पसंद आई होगी!


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