जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी – आरती
- जय अम्बे गौरी आरती का महत्व
- आरती के भाव और अर्थ
- जय अम्बे गौरी आरती की पूजा विधि
- पूजन सामग्री
- जय अम्बे गौरी आरती से मिलने वाले लाभ
- जय अम्बे गौरी आरती की कथा
- भक्तों के अनुभव – माँ दुर्गा के चमत्कार
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- मां दुर्गा के अन्य मंत्र
- मां दुर्गा के प्रमुख त्योहार
- मां दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिर
- बंगाली भक्ति परंपरा और दुर्गा पूजा
- निष्कर्ष
नवरात्रि के पावन दिनों में या जब भी मन में असीम श्रद्धा उमड़ती है, तब “जय अम्बे गौरी” आरती की ये पंक्तियां स्वतः ही हमारे हृदय में गूंजने लगती हैं। आइए, आज इस अद्भुत आरती के अर्थ, महत्व और मां दुर्गा के प्रति हमारी अटूट भक्ति की भावना में गोता लगाएं।
जय अम्बे गौरी आरती का महत्व
यह आरती मां दुर्गा के दो प्रमुख स्वरूपों – पार्वती (गौरी) और काली (श्यामा) को समर्पित है। माँ गौरी कोमलता, करुणा और मातृ प्रेम की प्रतीक हैं, जबकि माँ श्यामा अदम्य शक्ति, न्याय और बुराई पर विजय का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह आरती इन दोनों शक्तिशाली रूपों को नमन करते हुए हमारी मनोकामनाएं और प्रार्थनाएं मां दुर्गा के समक्ष रखती है।
आरती के भाव और अर्थ
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
जय अम्बे गौरी आरती की पूजा विधि
- सबसे पहले स्वयं और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
- माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें।
- माता को लाल वस्त्र, चुनरी, फूल, सिंदूर अर्पित करें।
- एक घी का दीपक जलाएं और धूप व अगरबत्ती से वातावरण को सुगंधित करें।
- एक थाली में आरती सामग्री (कपूर, फूल आदि) एकत्रित करें।
- श्रद्धा भाव से “जय अम्बे गौरी” आरती गाएं और घंटी बजाते हुए आरती करें।
पूजन सामग्री
- माँ दुर्गा की मूर्ति/चित्र
- लाल वस्त्र व फूल
- सिंदूर, कुमकुम, हल्दी
- धूप, अगरबत्ती
- घी का दीया, आरती की थाली
- कपूर
- घंटी
- प्रसाद (फल, मिठाई)
जय अम्बे गौरी आरती से मिलने वाले लाभ
- मां दुर्गा की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
- मन को शांति और भक्तिभाव से ओतप्रोत करता है।
- साहस, शक्ति एवं आत्मविश्वास को जागृत करता है।
- जीवन में आने वाली बाधाओं और नकारात्मकता को दूर करने में सहायक।
जय अम्बे गौरी आरती की कथा
ऐसी मान्यता है कि यह आरती आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित है। एक बार माँ जगदम्बा ने शंकराचार्य जी को दर्शन दिए और उनसे एक स्तुति गीत लिखने का आग्रह किया। शंकराचार्य जी ने तब “जय अम्बे गौरी” आरती की रचना की। माँ दुर्गा उनकी भक्ति भावना से अत्यंत प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।
भक्तों के अनुभव – माँ दुर्गा के चमत्कार
माँ दुर्गा का स्मरण एवं उनकी आरती करने से अनगिनत भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं। कुछ भक्तों ने कठिन परिस्थितियों में मां की असीम कृपा का अनुभव किया है, तो कई लोगों को जीवन में सही मार्गदर्शन और नई राहें मिलीं। माँ दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा करने वाली और हर मनोकामना पूर्ण करने वाली मानी जाती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- माँ दुर्गा के अन्य नाम क्या हैं? माँ दुर्गा को शक्ति, भवानी, पार्वती, काली, महाकाली, आदि नामों से जाना जाता है।
- नवरात्रि में आरती करने का सर्वाधिक उत्तम समय क्या है? नवरात्रि में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आरती करना विशेष फलदायी माना जाता है।
- आरती के अतिरिक्त माँ दुर्गा को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं? शुद्ध हृदय से दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना और व्रत रखना भी देवी की पूजा के अंग हैं।
- क्या इस आरती को प्रतिदिन गाया जा सकता है? बिल्कुल! माँ दुर्गा की भक्ति से जीवन सदा प्रकाशमान रहता है, इसलिए रोजाना या जब भी मन में श्रद्धा उमड़े तब यह आरती की जा सकती है।
मां दुर्गा के अन्य मंत्र
जय अम्बे गौरी आरती के अलावा कई शक्तिशाली मंत्रों के द्वारा भी मां दुर्गा का आह्वान और पूजन किया जाता है। उदाहरणार्थ:
- दुर्गा बीज मंत्र: “ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः” । यह मंत्र संकटों से रक्षा करने वाला और सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है।
- नवार्ण मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” । यह नौ अक्षरों वाला मंत्र नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है और साधक के जीवन में प्रचुरता लाता है।
मां दुर्गा के प्रमुख त्योहार
नवरात्रि मां दुर्गा का मुख्य त्योहार है, जो साल में दो बार (चैत्र और शारदीय नवरात्रि) मनाया जाता है। इसके साथ ही, दुर्गा पूजा (पश्चिम बंगाल में विशेष रूप से भव्यता से मनाया जाने वाला) तथा दशहरा भी मां दुर्गा से जुड़े प्रमुख पर्व हैं।
मां दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिर
भारत में माँ दुर्गा के कई प्रसिद्ध शक्तिपीठ और मंदिर हैं। इनमें कुछ महत्वपूर्ण मंदिर हैं:
- वैष्णो देवी मंदिर (जम्मू और कश्मीर)
- कामाख्या मंदिर (असम)
- कालकाजी मंदिर (दिल्ली)
- अम्बाजी मंदिर (गुजरात)
- मुंडेश्वरी मंदिर (बिहार)
बंगाली भक्ति परंपरा और दुर्गा पूजा
मां दुर्गा को बंगाल और पूर्वी भारत में विशेष श्रद्धा प्राप्त है। वहां दुर्गा पूजा सामाजिक एवं सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाई जाती है। भव्य पंडाल, विशाल मूर्तियां और दुर्गा माता के जीवन को दर्शाने वाली कलाकृतियां इस पर्व की विशेषता हैं।
निष्कर्ष
जय अम्बे गौरी आरती न सिर्फ मां दुर्गा का स्तुतिगान है, बल्कि एक ऐसा दिव्य माध्यम है जिसके द्वारा हम जीवन में आस्था, प्रकाश, और शक्ति को आमंत्रित करते हैं। पाठकों, मैं इस ब्लॉग के माध्यम से आप तक माँ दुर्गा के विषय में थोड़ी सी जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर सकी, यह मेरे लिए अत्यंत सौभाग्य की बात है।
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