आरती राम लला की
राम लला
आप सभी को राम राम! आज हम बात कर रहे हैं आरती राम लला की के बारे में। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है। उनका जीवन आदर्शों और कर्तव्यनिष्ठा की एक मिसाल है। हिंदू धर्म में, भगवान राम को विष्णु जी का सातवां अवतार माना जाता है। उन्हें एक आदर्श राजा, पुत्र, भाई और पति के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनकी पूजा करने से जीवन में सुख, शांति, सफलता और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आरती राम लला की का महत्व
आरती राम लला का नियमित रूप से करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- आशीर्वाद प्राप्त करना: माना जाता है कि भगवान राम की आरती करने से उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन को शांति मिलती है।
- धर्म और कर्तव्य की याद दिलाना: भगवान राम के जीवन से हमें धर्म और कर्तव्यनिष्ठा का पाठ मिलता है। उनकी आरती करना हमें उनके आदर्शों को याद दिलाता है और उन्हें अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
- मन की शुद्धि: माना जाता है कि आरती की शुद्ध ज्योति से वातावरण शुद्ध होता है और मन को सकारात्मकता मिलती है।
- कष्टों का निवारण: ऐसा माना जाता है कि सच्ची श्रद्धा से की गई आरती से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पूजन सामग्री
आरती राम लला की करने के लिए आपको निम्नलिखित चीजों की आवश्यकता होगी:
- थाली (Plate): एक चौंकी या थाली जिस पर आप पूजन सामग्री रख सकें।
- दीपक (Diya): एक दीपक जिसमें आप घी या तेल जला सकें।
- रुई (Cotton): दीपक में रुई की बत्ती बनाएं।
- घी (Ghee): शुद्ध घी का इस्तेमाल करें।
- कपूर (Camphor): आरती की आरती आरंभ करने के लिए कपूर जलाएं।
- सिंदूर (Vermillion): मूर्ति को सिंदूर का टीका लगाएं।
- पान का पत्ता (Betel leaf): भगवान राम को पान का पत्ता अर्पित करें।
- पुष्प (Flowers): भगवान राम को तुलसी या कोई भी शुभ फूल चढ़ाएं।
- फल (Fruits): भगवान राम को उनका प्रसाद भेंट करें।
- चंदन (Sandalwood paste): आप चाहें तो भगवान राम को चंदन का टीका लगा सकते हैं।
- पंचामृत (Panchamrit): दूध, दही, शहद, चीनी और घी से बना पंचामृत चढ़ाएं।
- धूप (Incense sticks): धूप की सुगंध वातावरण को शुद्ध करती है।
आरती
आरती कीजे श्रीरामलला की ।
पूण निपुण धनुवेद कला की ॥धनुष वान कर सोहत नीके ।
शोभा कोटि मदन मद फीके ॥
सुभग सिंहासन आप बिराजैं ।
वाम भाग वैदेही राजैं ॥
कर जोरे रिपुहन हनुमाना ।
भरत लखन सेवत बिधि नाना ॥
शिव अज नारद गुन गन गावैं ।
निगम नेति कह पार न पावैं ॥
नाम प्रभाव सकल जग जानैं ।
शेष महेश गनेस बखानैं ॥
भगत कामतरु पूरणकामा ।
दया क्षमा करुना गुन धामा ॥
सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा ।
राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ॥
खेल खेल महु सिंधु बधाये ।
लोक सकल अनुपम यश छाये ॥
दुर्गम गढ़ लंका पति मारे ।
सुर नर मुनि सबके भय टारे ॥
देवन थापि सुजस विस्तारे ।
कोटिक दीन मलीन उधारे ॥
कपि केवट खग निसचर केरे ।
करि करुना दुःख दोष निवेरे ॥
देत सदा दासन्ह को माना ।
जगतपूज भे कपि हनुमाना ॥
आरत दीन सदा सत्कारे ।
तिहुपुर होत राम जयकारे ॥
कौसल्यादि सकल महतारी ।
दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ॥
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई ।
आरति करत बहुत सुख पाई ॥
धूप दीप चन्दन नैवेदा ।
मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ॥
राम लला की आरती गावै ।
राम कृपा अभिमत फल पावै ॥
आरती समाप्त।
आरती राम लला की करने की विधि
अब जानते हैं कि आरती राम लला की किस प्रकार की जाती है। आरती एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है जो भगवान की पूजा का एक अभिन्न अंग है। इसमें देवता की मूर्ति के सामने घी के दीपक को घुमाना और भक्ति गीत गाना शामिल हैं।
यहां बताया गया है कि आप घर पर राम लला की आरती कैसे कर सकते हैं:
- दीपक जलाएं: सबसे पहले पूजा स्थल को साफ कर लें। दीपक में घी या तेल की बत्ती डालकर जलाएं।
- प्रतिमा को तैयार करें: यदि भगवान राम लला की मूर्ति है, तो आप उन्हें स्नान कराएं और उन्हें साफ वस्त्र पहनाएं। फिर उन्हें सिंदूर का टीका लगाएं और अन्य पूजन सामग्री से उनकी पूजा करें।
- आचमन करें: कुछ जल लेकर, मंत्र का जाप करते हुए तीन बार अपने हाथ में लें और पी लें। यह आचमन कहलाता है और इसे शुद्धता के象征 के रूप में किया जाता है।
- आह्वान करें: आप भगवान राम, सीता जी और लक्ष्मण जी समेत हनुमान जी को अपनी पूजा स्थल पर विराजमान olने के लिए आह्वान कर सकते हैं।
- प्रार्थना करें: भगवान राम से की गई प्रार्थना विनम्रता और समर्पित हृदय से होनी चाहिए। आप भगवान राम के किसी भी प्रसिद्ध भजन, श्लोक या मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- आरती करें: कपूर को जलाएं और दीपक को हाथ में लेकर भगवान के सम्मुख घुमाते जाएं। ऊपर दिए गए आरती मंत्र का जाप करें। आरती करते समय घंटी या शंख भी बजा सकते हैं।
- पुष्पांजलि करें: भगवान राम को फूल चढ़ाएं और प्रणाम करें।
- प्रसाद ग्रहण करें: आरती के अंत में परिवार और मित्रों को प्रसाद वितरित करें, स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
लोकप्रिय कथाएं
भगवान राम के जीवन से जुड़ी कई लोकप्रिय कथाएं हैं। इनमें रामायण की कथा सबसे महत्वपूर्ण है। रामायण एक महाकाव्य है जिसमें भगवान राम के जीवन का वर्णन मिलता है। कुछ अन्य लोकप्रिय कहानियां हैं:
सीता स्वयंवर: भगवान राम का पराक्रम और सीता जी से विवाह
सीता स्वयंवर की कथा रामायण के सबसे प्रसिद्ध प्रसंगों में से एक है। यह कथा भगवान राम के पराक्रम और सीता जी के साथ उनके विवाह का वर्णन करती है।
कथा:
जनकपुरी के राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता जी के लिए स्वयंवर आयोजित किया। स्वयंवर में शर्त रखी गई थी कि जो कोई भी भगवान शिव का विशाल धनुष उठाकर उसका बाण चला सकेगा, वही सीता जी का पति बनेगा।
देशभर के सभी राजकुमारों ने इस स्वयंवर में भाग लिया, लेकिन कोई भी धनुष उठाने में सफल नहीं हुआ। अंत में, भगवान राम ने धनुष उठाया और बड़ी आसानी से उसका बाण चला दिया। इससे सभी उपस्थित राजकुमार आश्चर्यचकित रह गए।
इसके बाद, राजा जनक ने भगवान राम और सीता जी का विवाह संपन्न कराया। यह विवाह देवताओं द्वारा भी मनाया गया।
कथा का महत्व:
सीता स्वयंवर की कथा भगवान राम के पराक्रम और उनकी मर्यादा का प्रतीक है। यह कथा हमें सिखाती है कि असंभव कार्य भी दृढ़ संकल्प और परिश्रम से प्राप्त किए जा सकते हैं।
सीता स्वयंवर की कुछ शिक्षाएं:
- आत्मविश्वास: भगवान राम ने अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखा और धनुष उठाने का प्रयास किया। हमें भी अपने जीवन में आत्मविश्वास रखना चाहिए और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
- धैर्य: भगवान राम ने धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतजार किया और जब उनकी बारी आई तो उन्होंने धनुष उठाकर सभी को चकित कर दिया। हमें भी जीवन में धैर्यवान रहना चाहिए और सफलता के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
- मर्यादा: भगवान राम ने स्वयंवर में सभी के प्रति मर्यादा का पालन किया। हमें भी अपने जीवन में मर्यादा का पालन करना चाहिए और दूसरों का सम्मान करना चाहिए।
भरत मिलाप: भाईचारा और प्रेम की विजय
भरत मिलाप की कथा रामायण के सबसे मार्मिक प्रसंगों में से एक है। यह कथा भगवान राम और उनके भाई भरत के बीच अटूट प्रेम का वर्णन करती है।
कथा:
जब भगवान राम को वनवास का आदेश दिया गया, तब उनके छोटे भाई भरत ने सिंहासन स्वीकार करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे भगवान राम के बिना राजा नहीं बन सकते। भरत ने राम की चरणपादुकाएं लेकर वन में भगवान राम से मिलने का निर्णय लिया।
वन में मिलने पर भरत भगवान राम के चरणों में गिर पड़े और उनसे अयोध्या लौटने का अनुरोध किया। भगवान राम ने भरत को समझाया कि उन्हें वनवास पूरा करना होगा। इसके बाद, भरत ने भगवान राम की चरणपादुकाएं अपने साथ रखीं और अयोध्या लौटकर राज्य का संचालन करने लगे।
कथा का महत्व:
भरत मिलाप की कथा भाईचारा और प्रेम की विजय का प्रतीक है। यह कथा हमें सिखाती है कि भाईचारे से कोई भी बाधा पार की जा सकती है।
भरत मिलाप की कुछ शिक्षाएं:
- भाईचारा: भरत और राम के बीच अटूट भाईचारा था। हमें भी अपने भाई-बहनों के साथ प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए।
- त्याग: भरत ने अपने सुखों का त्याग करके अपने भाई के प्रति अपनी कर्तव्यनिष्ठा का पालन किया। हमें भी अपने जीवन में त्याग करना सीखना चाहिए।
- प्रेम: भरत और राम के बीच अटूट प्रेम था। हमें भी अपने जीवन में प्रेम का महत्व
अहिल्या उद्धार: प्रभु राम की करुणा और नारी का सम्मान
अहिल्या उद्धार की कथा रामायण के प्रसिद्ध प्रसंगों में से एक है। यह कथा भगवान राम की करुणा और उनके द्वारा अहिल्या के उद्धार का वर्णन करती है।
कथा
अहिल्या, ऋषि गौतम की पत्नी थीं। एक बार ऋषि गौतम की अनुपस्थिति में देवराज इंद्र ने उनका रूप धारण कर अहिल्या के साथ छल किया। जब ऋषि गौतम वापस आए और उन्हें इस छल का पता चला, तो उन्होंने अहिल्या को शाप दे दिया कि वह पत्थर बन जाएगी। अहिल्या को इस शाप से मुक्त करने के लिए केवल भगवान विष्णु के अवतार ही सक्षम थे।
सालों बाद, अपने वनवास के दौरान जब भगवान राम उस स्थान से गुजरे, तो उनका पैर अनजाने में अहिल्या पर रखा गया। इसके स्पर्श से अहिल्या पत्थर के रूप से वापस अपने मूल मानव रूप में आ गईं। भगवान राम ने उन्हें श्राप से मुक्त किया और अपनी कथा द्वारा नारी के महत्व को दर्शाया।
कथा का महत्व
अहिल्या उद्धार की कथा भगवान राम की करुणा और नारी के सम्मान के महत्व का प्रतीक है। यह कथा हमें सिखाती है कि गलतियों को देखते हुए सजा नहीं देनी चाहिए, बल्कि लोगों को सुधरने और गलतियों का प्रायश्चित करने का मौका देना चाहिए।
अहिल्या उद्धार से सीख
- करुणा: भगवान राम ने किसी की परिस्थितियों को जाने बिना सजा दिए जाने का विरोध किया और अहिल्या पर करुणा दिखाई, जिससे उनका उद्धार हुआ। हमें भी जीवन में करुणा का गुण रखना चाहिए।
- क्षमा: भगवान राम ने अहिल्या को उनकी गलती के लिए क्षमा किया और उन्हें अपने श्राप से मुक्त किया। हमें भी लोगों को क्षमा करना सीखना चाहिए और उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए।
- नारी सम्मान: भगवान राम ने स्वयं की कथा से नारी के सम्मान को महत्व दिया। उन्होंने अहिल्या को एक सम्मानजनक स्थान दिया और इस कथा के माध्यम से हमें भी नारी सम्मान का पाठ पढ़ाया।
राम लला की आरती करने के लाभ
भगवान राम भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। माना जाता है कि राम लला की आरती करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- मोक्ष प्राप्त होता है: राम जी का नाम लेने मात्र से मोक्ष मिलता है और उनकी आरती करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सुख-शांति आती है: राम जी की आरती करने से घर में सुख शांति आती है और झगड़े आदि समाप्त होते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है: नियमित आरती करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और नकारात्मक ऊर्जा घर से दूर हो जाती है।
- मन की इच्छाएं पूरी होती हैं: सच्चे मन और विश्वास के साथ रामलला की आरती करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इसके साथ ही, नियमित रूप से आरती करने से व्यक्ति को धार्मिक अनुभव होता है और उनका आध्यात्मिक विकास होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
यहां आरती राम लला की के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न हैं:
प्रश्न 1. आरती राम लला की किस समय की जानी चाहिए? उत्तर: राम लला की आरती सुबह और शाम दोनों समय की जा सकती है। हालांकि, इसे सूर्योदय और सूर्यास्त के समय करना सबसे शुभ माना जाता है।
प्रश्न 2. क्या राम लला की आरती रोज करनी चाहिए? उत्तर: यदि आप चाहें, तो आप राम लला की आरती रोज कर सकते हैं। इससे आपको कई आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। यदि आप व्यस्त हैं तो आप इसे साप्ताहिक या मासिक आधार पर भी कर सकते हैं।
प्रश्न 3. क्या मैं रामलला की आरती कहीं से भी कर सकता हूं? उत्तर: हां, आप कहीं से भी रामलला की आरती कर सकते हैं। जब तक आप श्रद्धा और भक्ति से आरती करते हैं, आपको आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होगा।
प्रश्न 4. क्या आरती के दौरान कोई विशेष नियम हैं जिनका मुझे पालन करना चाहिए? उत्तर: आपको आरती करते समय सकारात्मक और भक्तिभाव रखने पर फोकस करना चाहिए। पूजा-स्थल और अपने आपको स्वच्छ रखने की सलाह दी जाती है।
निष्कर्ष
प्रिय मित्रों, अब आप आरती राम लला की का महत्व, विधि, पूजा सामग्री, एवं अन्य जानकारियों को समझ गए हैं। आइए, हम प्रभु राम से प्रार्थना करते हैं कि वे हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं। जय श्री राम!
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