आरती: श्री रामायण जी
आज के इस पवित्र दिन पर, आइए हम भगवान राम के जीवन और कार्यों का स्मरण करें, जिनका वर्णन हिंदू धर्म के महान ग्रंथ रामायण में किया गया है। रामायण न केवल एक महाकाव्य है, बल्कि यह धर्म, कर्तव्य, और सदाचार का एक सार्वभौमिक पाठ भी सिखाता है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जाना जाता है, जो अपने आदर्श आचरण और कर्तव्यनिष्ठा के लिए सदैव पूजे जाते हैं।
आरती किसी भी देवी या देवता के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है। ज्योति (दीया), फूल, और धूप जैसी सामग्री का उपयोग करके आरती की जाती है। आरती के दौरान भक्त मंत्रों का जाप करते हैं और आरती की थाल को देवता के चारों ओर घुमाते हैं। ऐसा माना जाता है कि आरती करने से भक्तों और देवता के बीच दिव्य संबंध स्थापित होता है और भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आज हम आपको आरती श्री रामायण जी की विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे। यह सरल पूजा भगवान राम और रामायण के पाठ के साथ की जा सकती है। आइए आगे बढ़ते हैं और आवश्यक पूजा सामग्री के बारे में जानते हैं।
हिंदू धर्म में, रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जिसका पाठ और श्रवण किया जाता है। यह भगवान राम के जीवन और कार्यों का वर्णन करता है, जो धर्म, कर्तव्य और सदाचार के आदर्श माने जाते हैं। रामायण का पाठ करने के अलावा, भगवान राम की पूजा भी की जाती है, जिनकी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। भगवान राम की पूजा के विभिन्न तरीके हैं, जिनमें से एक आरती भी है।
आरती श्री रामायण जी का महत्व
आरती श्री रामायण जी का महत्व इस प्रकार है:
- भगवान राम की कृपा प्राप्त करना: रामायण के पाठ के साथ आरती करने से भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि आरती करने से भक्तों और भगवान के बीच दिव्य संबंध स्थापित होता है।
- रामायण के पाठ का शुभारंभ और समापन: रामायण पाठ की शुरुआत और अंत में आरती करना शुभ माना जाता है। इससे रामायण पाठ का शुभारंभ होता है और भगवान राम का आशीर्वाद मिलता है।
- रामायण के पाठों का फल प्राप्त करना: ऐसा माना जाता है कि रामायण पाठ के साथ आरती करने से पाठ करने वाले को उसका पूरा फल मिलता है।
- मन को शांति प्रदान करना: रामायण का पाठ और आरती करने से मन को शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पूजा सामग्री
आरती श्री रामायण जी करने के लिए निम्नलिखित पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है:
पूजा सामग्री | मात्रा |
---|---|
थाली | 1 |
दीपक | 1 |
घी | थोड़ी मात्रा |
रुई | 1 छोटी गांठ |
अगरबत्ती | 11 |
चंदन का टीका | 1 |
सुपारी | 5 |
लाल फूल | 11 |
तुलसी की पत्तियां | 11 |
पान का पत्ता | 1 |
पूजा विधि
आरती श्री रामायण जी की विधि इस प्रकार है:
- आरंभ: किसी स्वच्छ स्थान पर रामायण के पाठ का आयोजन करें। भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर सामने रखें।
- कलश स्थापना: एक मिट्टी का बर्तन या कलश लें। उसमें जल भरें और एक आम का पत्ता तथा एक नारियल कलश पर रखें।
- प्रार्थना: प्रार्थना करें कि रामायण पाठ और आरती सफलतापूर्वक संपन्न हो:ॐ श्री गणेशाय नमः।
- आचमन: तीन बार जल को थोड़ा-थोड़ा अपने हाथ में लेकर पी लें। यह प्रक्रिया मन को शुद्ध करने के लिए होती है।
- दीप प्रज्ज्वलन: दीपक, अगरबत्ती और धूप जलाएं।
- आसन शुद्धि: आसान पर जल छिड़ककर उसे शुद्ध करें।
- पुष्प अर्पित करना: भगवान राम को फूल अर्पित करें।
- रामायण पाठ: रामायण का पाठ आरंभ करें।
- आरती: रामायण के पाठ के साथ, आरती श्री रामायण जी का जाप करें। नीचे हम आरती का पाठ प्रस्तुत कर रहे हैं।
- भगवान राम का आह्वान: भगवान राम का ध्यान और आह्वान करके उन्हें नमन करें।
- पुष्पांजलि: भगवान राम को पुष्पांजलि अर्पित करें।
- प्रसाद: भगवान राम को प्रसाद अर्पित करें और इसे सभी भक्तों में वितरित करें।
आरती श्री रामायण जी (Aarti Shri Ramayan Ji)
आरती श्री रामायण जी की ।
कीरति कलित ललित सिय पी की ॥गावत ब्रहमादिक मुनि नारद ।
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ॥
शुक सनकादिक शेष अरु शारद ।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की..॥
गावत बेद पुरान अष्टदस ।
छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस ॥
मुनि जन धन संतान को सरबस ।
सार अंश सम्मत सब ही की ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की..॥
गावत संतत शंभु भवानी ।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ॥
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी ।
कागभुशुंडि गरुड़ के ही की ॥
॥ आरती श्री रामायण जी की..॥
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी ।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की ॥
दलनि रोग भव मूरि अमी की ।
तात मातु सब बिधि तुलसी की ॥
आरती श्री रामायण जी की ।
कीरति कलित ललित सिय पी की ॥
आरती के लाभ
रामायण जी की आरती करने से कई लाभ हैं:
- मन की शांति: आरती करने से मन को शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- भगवान राम के प्रति समर्पण: आरती, भगवान राम के प्रति श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करने का एक तरीका है।
- इच्छाओं की पूर्ति: ऐसी मान्यता है कि रामायण जी की आरती करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
- सुख-समृद्धि: रामायण जी की आरती करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
रामचरितमानस:
वाल्मीकि रामायण संस्कृत में लिखी गई है, तुलसीदास कृत रामचरितमानस अवधी (हिंदी की एक बोली) में लिखा गया रामायण का रूपांतरण है। इसे लोकप्रियता इस कदर मिली कि यह हिंदी भाषियों के लिए रामायण का ही पर्याय बन गया है।
आरती की परंपरा:
भारत में आरती एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है। नदियों और पर्वतों की भी आरती की जाती है। गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है। आरती केवल देवी-देवताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभक्ति की भावना से राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रीय शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए भी आरती जैसी विधियां प्रयोग की जाती हैं।
जय रामायण जी:
जय रामायण जी कहने का तात्पर्य है रामायण ग्रंथ की जय हो। इससे रामायण के मूल्यों और भगवान राम के प्रति श्रद्धा का भाव प्रकट होता है।
भक्तों की कथाएं
अनेकों ऐसे भक्त हैं जिन्हें भगवान राम ने आरती के माध्यम से अपना आशीर्वाद प्रदान किया है। कुछ कथाएं इस प्रकार हैं:
- एक बार, अकबर के दरबार में तुलसीदास जी पर श्री राम की महिमा सिद्ध करने को कहा गया। उन्होंने एक दीपक के स्थान पर अनेक जलाए और रामायण जी की आरती की। मान्यता है कि उस समय भगवान राम साक्षात प्रकट हुए और इससे अकबर भी स्तब्ध रह गए।
- एक अन्य कथा के अनुसार, एक भक्त प्रतिदिन रामायण जी का पाठ और आरती करता था। एक दिन, भक्त को रात हो गई और वह पाठ तथा आरती करने में असमर्थ हो गया। उसने विनम्रतापूर्वक भगवान से क्षमा प्राथना की। रात को उसने स्वप्न में भगवान राम को देखा जिन्होंने उससे कहा, तुम्हारी सच्ची भक्ति के कारण मैं बहुत प्रसन्न हुआ, इसलिए तुम्हारे किए बिना ही रामायण जी की आरती पूरी हो गई है।
FAQs
1. आरती श्री रामायण जी किस समय करनी चाहिए?
उत्तर: आरती श्री रामायण जी सुबह या शाम, किसी भी शुभ समय पर की जा सकती है।
2. क्या आरती के लिए कोई विशेष दिन होता है?
उत्तर: आरती किसी भी दिन की जा सकती है। हालांकि, कुछ लोग मंगलवार या शनिवार के दिन करना पसंद करते हैं, क्योंकि यह भगवान राम और हनुमान जी के पूजा के दिन माने जाते हैं।
3. क्या रामायण के पाठ के साथ आरती करना आवश्यक है?
उत्तर: आरती करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह रामायण पाठ के दौरान किया जाने वाला एक आम रिवाज है।
4. क्या कोई विशिष्ट संख्या है, जितनी बार हमें आरती गानी चाहिए?
उत्तर: कोई विशिष्ट संख्या नहीं है। हालाँकि, आरती को आमतौर पर तीन, पांच, या सात बार किया जाता है।
निष्कर्ष
आइए, हम प्रभु राम से प्रार्थना करते हैं कि वे हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं। रामायण जी की आरती नियमित रूप से करने से हम भगवान राम से दिव्य जुड़ाव स्थापित कर सकते हैं। आशा है कि इस ब्लॉग में दी गई जानकारी आपके लिए लाभकारी होगी।
आप क्या सोचते हैं, क्या रामायण जी की आरती हमारे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालती है? अपने विचार कमेंट में हमसे साझा करें!
0 टिप्पणियाँ