रघुवर श्री रामचन्द्र जी आरती
श्री रामचन्द्र जी
जय श्री राम! क्या आप भगवान राम की शक्ति, भक्ति, और उनके आदर्शों की ओर आकर्षित होना चाहते हैं? यदि हाँ, तो श्री रघुवर जी की आरती आपके लिए ईश्वरीय कृपा पाने का मार्ग खोल सकती है।
हिंदू धर्म में, भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजनीय माना जाता है। वह धर्म, नैतिकता, और कर्त्तव्यनिष्ठा के प्रतीक हैं। उनकी कथा ‘रामायण’ में वर्णित है, जो हमें सत्य और अच्छाई की शक्ति की याद दिलाती है।
आरती भक्ति का एक दिव्य कृत्य है जिसमें हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए देव प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक या धूप प्रज्वलित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि आरती देवी-देवताओं का आह्वान करती है, हमारे हृदय में भक्ति जगाती है, और हमें आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है।
आरती श्री रघुवर जी की
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सत चित आनन्द शिव सुन्दर की॥
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,
सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन॥
अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,
मर्यादा पुरुषोत्तम वर की॥
निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि॥
हरण शोक-भय दायक नव निधि,
माया रहित दिव्य नर वर की॥
जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति॥
विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति,
एक मात्र गति सचराचर की॥
शरणागत वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्प तरुवर असुरारी॥
नाम लेत जग पावनकारी,
वानर सखा दीन दुख हर की॥
आरती का महत्व
इस पूरी आरती में, भगवान राम और हनुमान जी के गुणों और शक्तियों की प्रशंसा की गई है। यह राम-भक्ति की शक्ति और हमें आंतरिक शांति और उद्देश्य प्रदान करने की क्षमता पर प्रकाश डालती है।
आइए हम आरती के कुछ छंदों के भाव पर दृष्टि डालें:
पहला छंद:
- आरती कीजै श्री रघुवर जी की – यह पंक्ति भगवान राम, यानी रघुवंश के रत्न, की आरती करने का आह्वान करती है।
- हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की – इस पंक्ति में भगवान राम को बुराई पर विजय पाने वाले, भगवान विष्णु और शिव के अंश, और माता सीता के पति के रूप में सम्मानित किया जाता है।
दूसरा छंद:
- जय हनुमान ज्ञान गुन सागर – यह पंक्ति हनुमान जी की असीम बुद्धि और गुणों का गुणगान करती है।
- जय कपीश तिहु लोक उजागर – यहाँ हनुमान जी को तीनों लोकों (स्वर्ग, मृत्यु और पाताल) में प्रसिद्ध माना गया है।
तीसरा छंद:
- राम दुआरे तुम रखवारे – इस पंक्ति में हनुमान जी को भगवान राम का परम भक्त और द्वारपाल बताया गया है।
- होत न आज्ञा बिनु पैसारे – यहाँ भगवान राम की आज्ञा का पालन करने में हनुमान जी की अटूट निष्ठा का उल्लेख है।
अगले छंदों में:
- भक्त हनुमान जी से सुरक्षा, शक्ति और मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करते हैं।
- वे राम भक्ति की महत्ता और उन लोगों के लिए संकटों से मुक्ति पर जोर देते हैं जो हनुमान जी के दिव्य नाम का जाप करते हैं।
- आरती में हनुमान जी के प्रताप की भी प्रशंसा की गई है और उन्हें ‘असुर निकंदन’ (राक्षसों का संहार करने वाले) के रूप में संबोधित किया गया है।
इस प्रकार, ‘रघुवर श्री रामचंद्र जी की आरती’ हमें हनुमान जी और भगवान राम के आदर्शों की याद दिलाती है।
यह आरती हमें प्रेरित करती है:
- भक्ति और आत्मसमर्पण के माध्यम से ईश्वर से जुड़ने के लिए।
- हमारे जीवन में सदाचार और धार्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए।
- कठिनाइयों का सामना करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हनुमान जी और भगवान राम से शक्ति प्राप्त करने के लिए।
पूजा विधि
सामग्री:
- घी या तेल का दीया
- धूपबत्ती
- फूल
- आरती थाली
- घंटी
- प्रसाद (ईश्वर को अर्पित किया जाने वाला मीठा व्यंजन)
विधि:
- एक साफ जगह पर बैठें या पूजा स्थल के सामने खड़े हों।
- दीपक जलाएं और धूपबत्ती रखें।
- भगवान राम की मूर्ति या चित्र और हनुमान जी को प्रणाम करें।
- अब श्रद्धा-भक्ति के साथ आरती कीर्तन करते हुए दीपक को गोलाकर में घुमाएँ।
- आरती के उपरांत आप ईश्वर से प्रार्थनाएँ कर सकते हैं।
मनोभाव:
आरती करते समय, भक्ति भाव, आत्मसमर्पण और भगवान राम के प्रति कृतज्ञता का भाव आवश्यक है।
कथा (Legend)
इस आरती विशेष की उत्पत्ति की कोई लोकप्रिय कथा उपलब्ध नहीं है। किंतु, आरती की शक्ति के बारे में अनेकों भक्तों की अनुभव की कथाएँ सुनी जाती हैं। भगवान के परम भक्त तुलसी
भगवान के परम भक्त तुलसीदास जी, जिन्होंने “रामचरितमानस” जैसे काव्य की रचना की, वे भी आरती के माध्यम से भगवान राम के प्रत्यक्ष दर्शन का अनुभव किया था ऐसा कहा जाता है।
महत्व और लाभ
- आंतरिक शांति (Brings Peace & Focus): आरती करने के नियमित अभ्यास से मन एकाग्र होता है, जिससे हमें शांति मिलती है। यह तनाव कम कर सकता है और हमें ईश्वरीय सत्ता के साथ जोड़ता है।
- भक्ति भाव का विकास (Devotional Connection): इस आरती से प्रभु के प्रति हमारा प्रेमभाव गहरा होता है। हमारी भक्ति मज़बूत बनती है, जिससे हमें सकारात्मकता और आध्यात्मिक सुरक्षा का अनुभव होता है।
- बाधाओं से मुक्ति (Removes Obstacles): हनुमान जी और राम जी की भक्ति से जीवन में आनेवाली समस्याओं से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। भक्तों में विश्वास बढ़ता है कि प्रभु उनकी चुनौतियों को पार करने का साहस और शक्ति प्रदान करेंगे।
- आध्यात्मिक विकास (Spiritual Growth): आरती का नाद और उसका भाव हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक जागृति लाता है। इससे हमारे भीतर के दिव्य गुण जैसे प्रेम, करुणा और नैतिकता जागृत होते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: क्या घर पर आरती कर सकते हैं? उत्तर: हाँ, बिल्कुल! घर पर आरती करना श्रेष्ठ माना जाता है। इससे घर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक बनता है।
प्रश्न: आरती करने का सबसे अच्छा समय कौन सा है? उत्तर: सुबह और शाम के समय आरती के लिए विशेष रूप से शुभ होते हैं।
प्रश्न: क्या आरती ज़ोर से गाना चाहिए या मन में जप करना चाहिए? उत्तर: दोनों तरीके लाभदायक हैं। जोर से गाने से वातावरण में भक्ति का रस आता है। मन में जपने से आंतरिक एकाग्रता और ध्यान का अभ्यास होता है।
अतिरिक्त जानकारी
- मंत्र: आरती के साथ ‘ॐ श्री रामाय नमः’ या श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है। यह आपकी प्रार्थना और भक्ति को और गहरा करता है।
- भजन: “जय रघुनंदन, जय सिया राम”, “मनोकामना पूर्ण करो शंकर शिव शंभू”, आदि जैसे भजन भक्तिमय वातावरण तैयार करते हैं और आरती से मिलने वाले लाभ बढ़ाते हैं।
निष्कर्ष
जय श्री राम! श्री रघुवर जी की आरती हमें धर्म, भक्ति, करुणा और नैतिकता के मार्ग का स्मरण कराती है। यह हमें दिव्य शक्ति से जोड़ती है और आंतरिक विकास में सहायता करती है। आइए, हम सब इस आरती को अपनी संपूर्णता में अनुभव करें। इसे अपनी दिनचर्या का एक हिस्सा बनाएं और हनुमान जी की शक्ति और भगवान राम के आदर्शों से अपना जीवन प्रकाशित करें!
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