श्री गंगा आरती

पर purva gudekar द्वारा प्रकाशित

Ganga Aarti

परिचय

आप सभी को नमस्कार! (आप सभी को नमस्कार!) भारत की पवित्र नदियों में से एक, गंगा मां को हमेशा से पूजनीय माना गया है। आज, हम विधि-विधान से की जाने वाली श्री गंगा आरती के बारे में विस्तार से जानेंगे। (गंगा मां, भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक, को हमेशा पूजनीय माना गया है। आज, हम विधि-विधान से की जाने वाली श्री गंगा आरती के बारे में विस्तार से जानेंगे।)

गंगा आरती मंत्र

॥ श्री गंगा मैया आरती ॥
नमामि गंगे ! तव पाद पंकजम्,
सुरासुरैः वंदित दिव्य रूपम् ।
भक्तिम् मुक्तिं च ददासि नित्यं,
भावानुसारेण सदा नराणाम् ॥हर हर गंगे, जय माँ गंगे,
हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥

ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता ॥

चंद्र सी जोत तुम्हारी,
जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी,
सो नर तर जाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

पुत्र सगर के तारे,
सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी,
त्रिभुवन सुख दाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

एक ही बार जो तेरी,
शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर,
परमगति पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

आरती मात तुम्हारी,
जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में,
मुक्त्ति को पाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता..॥

ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता ॥

ॐ जय गंगे माता,
श्री जय गंगे माता ।

पूजा सामग्री (आवश्यक वस्तुएं)

वस्तुविवरण
Kalash (पोट)पवित्र जल रखने के लिए एक सुंदर धातु का बर्तन।
गंगा जल (गंगा जल)पवित्र गंगा नदी से लिया गया।
पंचामृत (पांच अमृत)दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण।
आरती दीया (दीपक)आरती के लिए कई बत्तियों वाला एक छोटा दीपक।
घी (स्पष्ट मक्खन)दीपक के लिए ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
रुई की बत्तियांआरती के दीये के लिए उपयोग किया जाता है।
रोली (लाल सिंदूर)मां गंगा को अर्पित किया जाता है।
अक्षत (अखंडित चावल)समृद्धि का प्रतीक।
फूलताजे फूल चढ़ाने के लिए।
फल और मिठाईमां गंगा के लिए प्रसाद (भेंट)।
धूप (अगरबत्ती)सुगंधित और पवित्र वातावरण बनाता है।
घंटीमां गंगा का आह्वान करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

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गंगा आरती विधि (पूजा कैसे करें)

आइए अब विधि-विधि से श्री गंगा आरती करने का तरीका जानते हैं। गंगा आरती करने के लिए सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और फिर आसन लगाकर बैठ जाएं। अब हम विस्तार से जानेंगे कि गंगा आरती कैसे करें।

1. संकल्प (Sankalp)

सबसे पहले संकल्प करें। अपने हाथों को मिलाकर आंखें बंद करें और प्रार्थना करें।

मंत्र

ॐ गंगे च यमुने चैव सरस्वती सरस्वती। सिन्धु कावेरी जटिला गौतमी चैव नर्मदे। शोनभद्रा महेन्द्रानी सर्व

2. आह्वान (Aavahan)

अब गंगा मैया का आवाहन करें। इस मंत्र का उपयोग उनका स्वागत करने के लिए किया जाता है।

मंत्र

ॐ नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः। नमः प्रसीदतु देवेशी नमो गंगे नमोस्तु ते॥

3. पंचामृत अभिषेक (Panchamrit Abhishek)

इस कदम में, गंगाजल से एक कलश तैयार करें। इसमें थोड़ा पंचामृत भी मिलाएं और गंगा मां को चढ़ाएं।

4. मां गंगा की पूजा और स्तुति (Maa Ganga ki Puja aur Stuti)

उनकी पूजा के लिए, सबसे पहले रोली और अक्षत से उनका तिलक करें, फिर फूल, फल और मिठाई चढ़ाएं। आप छोटे मंत्रों से या अपने दिल से उनसे जुड़ सकते हैं।

5. धूप-दीप आरती (Dhoop-Deep Aarti)

घी के दीये में थोड़ी रुई डालकर जला लें। फिर धूपबत्ती जलाएं और गंगा मां की आरती करें। याद रहे की आरती हमेशा एक विशिष्ट गति से और भक्ति भाव से की जाती है!

6. पुष्पांजलि (Pushpanjali)

आरती के बाद, ताजे फूलों से मां गंगा को पुष्पांजलि अर्पित करें। इससे उन्हें प्रसन्न किया जाता है ।

7. क्षमा याचना (Kshama Yachana)

अपनी पूजा में हुई किसी भी अनजाने त्रुटि के लिए गंगा मां से क्षमा मांगें।

8. परिक्रमा (Parikrama)

अंत में, कुछ परिक्रमाएं करें।

श्री गंगा आरती का महत्व

गंगा आरती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि गंगा मां की आरती करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे शुभता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। (श्री गंगा आरती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि गंगा मां की आरती करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे शुभता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।)

गंगा आरती से जुड़ी कथाएं

अब हम कुछ मान्यताओं से जुड़ी कुछ प्रसिद्ध कथाएं साझा करेंगे। आप चाहें तो इन कथाओं को अपनी आरती में शामिल कर सकते हैं।

  • राजा भागीरथ और गंगा का पृथ्वी पर आगमन: ऐसा माना जाता है कि कई पीढ़ियों पहले राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए गंगा मां को पृथ्वी पर लाने के लिए कठिन तपस्या की थी।
  • गंगा और भगवान शिव: गंगा मां, जो भगवान शिव की जटाओं में निवास करती हैं, को धरती पर विराजमान करने के लिए उनका सहयोग भी जरूरी समझा जाता है।

श्री गंगा आरती का लाभ

गंगा आरती का लाभ अपरंपार है। ऐसा माना जाता है कि इसमें शामिल होने से भक्तों पर मां गंगा की विशेष कृपा बरसती है। आध्यात्मिक स्तर पर, यह मन और आत्मा को शुद्ध करता है, नकारात्मकता को दूर करता है, और मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है। यह आपके जीवन में शांति, शुभकामनाएं और सफलता को भी आकर्षित कर सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  • श्री गंगा आरती का सबसे अच्छा समय क्या है? संध्या के समय आरती की जाती है, और अक्सर सूर्यास्त के समय पर आयोजित की जाती है।
  • भारत में सबसे प्रसिद्ध गंगा आरती कहाँ होती है? हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी और प्रयागराज (इलाहाबाद) में गंगा आरती देश-विदेश में अपनी भव्यता के लिए जानी जाती है।
  • क्या मैं घर पर श्री गंगा आरती कर सकता हूँ? जी हां, अगर आप गंगा मैया प्रतिमा या उनकी तस्वीर के सामने पूजा सामग्री इकठ्ठा कर विधी से आरती कर सकते है।
  • श्री गंगा आरती में भाग लेने के लिए कुछ सुझाव क्या हैं? जल्दी पहुंचें, सम्मानजनक कपड़े पहनें। पूरी भक्ति से आरती में शामिल हों।

गंगा मैया से जुड़ी भक्तों की कहानियां

सदियों से, गंगा मां से जुड़ी भक्तों की अनगिनत अद्भुत कहानियां देखी गई है। आइए कुछ ऐसी ही कहानियां जानते हैं जिससे आपकी श्रद्धा और मजबूत होगी।

  • रोग से मुक्ति: ऐसा कहा जाता है कि गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से भक्तों को चमत्कारी रूप से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से छुटकारा मिला है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: कई दृढ़ विश्वासियों को मां गंगा का आशीर्वाद मिलने की और उनकी मनोकामना पूरी होने की कहानियां भी हैं।

श्री गंगा आरती से जुड़े कुछ ध्यान रखने योग्य बातें

  • शुद्धता और पवित्रता बनाए रखें: गंगा आरती स्थल तथा उसके आस-पास की स्वच्छता के प्रति सचेत रहें।
  • पूजा स्थल का सम्मान करें: गंगा आरती एक धार्मिक समारोह है, इसलिए शांति बनाए रखना और भक्ति भाव से इसमें शामिल होना जरूरी है।
  • पर्यावरण का ध्यान रखें : इस बात का ध्यान रखें कि पूजा सामग्री या कोई अपशिष्ट पदार्थ नदी को प्रदूषित ना करें।

भारत में गंगा आरती से जुड़े प्रसिद्ध स्थल

नीचे भारत के कुछ प्रमुख स्थानों की सूची दी गई है जहां आप एक अद्भुत गंगा आरती अनुभव कर सकते हैं:

  • हरिद्वार: उत्तराखंड में, यह पवित्र स्थल ‘हर की पौड़ी’ गंगा घाट पर सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक होता है।
  • ऋषिकेश: हरिद्वार के पास, ऋषिकेश भी अपनी भव्य गंगा आरती के लिए जाना जाता है, खासकर त्रिवेणी घाट पर।
  • वाराणसी: काशी नाम से भी प्रसिद्ध यह शहर घाटों पर कई अविस्मरणीय गंगा आरतियों का केंद्र है – विशेष रूप से दशाश्वमेध घाट पर!
  • प्रयागराज (इलाहाबाद): इस पवित्र शहर में संगम पर, गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का मिलन होता है! यह संगम पर भी बहुत ही सुंदर आरती आयोजित की जाती है।

निष्कर्ष

प्रिय पाठकों, इस बिंदु पर हम श्री गंगा आरती ब्लॉग पोस्ट के अंत तक आ गए हैं। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारीपूर्ण और सहायक लगा होगा। यदि आप कभी भी इन पवित्र स्थलों की यात्रा करने का मौका पायें, तो इस शानदार अनुभव को ज़रूर प्राप्त करें!


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