श्री भगवत भगवान की है आरती!
नमस्कार दोस्तों! क्या आप आध्यात्मिक शांति और भगवान के करीब महसूस करना चाहते हैं? श्री भागवत पुराण हिंदू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक है, और श्री भागवत भगवान की आरती आस्था और भक्ति का एक अद्भुत कार्य है। इस आरती को गाकर, हम भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करते हैं और उनकी दिव्य कृपा प्राप्त करते हैं।
श्री भागवत भगवान की आरती
श्री भगवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,
ये पंचम वेद निराला,
नव ज्योति जलाने वाला।
हरि नाम यही हरि धाम यही,
यही जग मंगल की आरती
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती…॥
ये शान्ति गीत पावन पुनीत,
पापों को मिटाने वाला,
हरि दरश दिखाने वाला।
यह सुख करनी, यह दुःख हरिनी,
श्री मधुसूदन की आरती,
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती…॥
ये मधुर बोल, जग फन्द खोल,
सन्मार्ग दिखाने वाला,
बिगड़ी को बनानेवाला।
श्री राम यही, घनश्याम यही,
यही प्रभु की महिमा की आरती
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती…॥
आरती करने की विधि:
- स्नान आदि करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान पर एक चौकी पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर भागवत पुराण स्थापित करें।
- भगवान विष्णु जी का चित्र या मूर्ति भी स्थापित करें।
- दीपक जलाकर, फूल, चंदन आदि अर्पित करें। धूप-अगरबत्ती जलाएं।
- नीचे दी गई आरती को गाते हुए, थाली में रखे दीपक से भगवान की आरती उतारें।
- आरती संपन्न होने के बाद प्रसाद बांटें।.
पूजा सामग्री:
- श्री भागवत पुराण की पुस्तक
- भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति
- आरती की थाली
- घी का दीपक
- रुई की बाती
- कपूर
- फूल
- धूप
- अगरबत्ती
- चंदन
- प्रसाद (मिठाई या फल)
श्री भगवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।
भागवत कथा
श्री भागवत पुराण अनगिनत कथाओं का भंडार है। इन लीला कथाओं में भगवान की महिमा, भक्तों की अगाध श्रद्धा, और जीवन के मूल्यों का अद्भुत वर्णन मिलता है। आइए, जानते हैं भागवत पुराण की एक प्रसिद्ध कथा के बारे में।
कृष्ण-सुदामा की मित्रता
भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता की कहानी प्रेम और भक्ति की एक अद्भुत मिसाल है। सुदामा एक निर्धन ब्राह्मण थे और भगवान कृष्ण के बाल सखा। अत्यंत गरीबी में भी सुदामा की भक्ति अडिग थी। एक बार अपनी पत्नी के कहने पर सुदामा भगवान कृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। उपहार में अपने लिए कुछ नहीं, केवल थोड़े से चावल ले गए।
भगवान कृष्ण ने सुदामा का इतने प्रेम से स्वागत किया कि सुदामा अपनी झोली में बंधे चावल देना ही भूल गए। जब सुदामा घर लौटे, तो उनकी टूटी-फूटी कुटिया के स्थान पर एक आलीशान महल खड़ा था। प्रभु की ऐसी कृपा देखकर सुदामा और उनकी पत्नी की आंखों से आनंद के आंसू बहने लगे।
यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और मित्रता में धन-दौलत का कोई महत्व नहीं होता।
श्री भागवत भगवान की आरती के लाभ
भक्तिभाव से श्री भागवत भगवान की आरती करने के अनेक लाभ हैं। आइए कुछ प्रमुख लाभों के बारे में जानते हैं:
- मन की शांति: आरती करते समय हमारा ध्यान भगवान पर केंद्रित होता है । इससे हमारा मन संसार की चिंताओं से मुक्त होकर शांति अनुभव करता है।
- भक्ति में वृद्धि: नियमित रूप से आरती करने से हमारे मन में भक्ति का भाव बढ़ता है, और हम ईश्वर के और करीब महसूस करते हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: आरती करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: माना जाता है कि सच्चे मन से श्री भागवत भगवान की आरती करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
FAQs
अब कुछ ऐसे प्रश्नों के उत्तर जानते हैं जो पाठकों के मन में उठ सकते हैं:
- आरती करने का सबसे अच्छा समय क्या है? सुबह और शाम के समय आरती करने को शुभ माना जाता है। हालांकि, आप किसी भी समय भक्तिभाव से आरती कर सकते हैं।
- क्या बिना भागवत पुराण के आरती की जा सकती है? हां, यदि आपके पास श्री भागवत पुराण उपलब्ध नहीं है, तो भी आप भगवान विष्णु के चित्र या विग्रह के समक्ष आरती कर सकते हैं। भक्ति सबसे महत्वपूर्ण है।
Conclusion
प्रिय मित्रों, श्री भागवत पुराण भगवान की शरण में आने और भक्ति का सरल मार्ग दिखाने वाला अमूल्य ग्रंथ है। श्री भागवत भगवान की आरती हृदय में भक्ति जगाने और मन में शांति लाने का एक सुंदर तरीका है। इस आरती को गाकर हम अपने जीवन में भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
मैं आशा करती हूं कि इस ब्लॉग के माध्यम से आपको श्री भागवत भगवान की आरती का महत्व समझ में आया होगा। यदि आपको यह ब्लॉग पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिजनों के साथ जरूर शेयर करें। आइए, हम सब मिलकर अपने जीवन में भक्ति का प्रकाश फैलाएं!
0 टिप्पणियाँ