दत्ताची आरती
नमस्कार दोस्तों! भगवान दत्तात्रेय, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रिगुण अवतार, हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय देवता हैं। दत्ताची आरती एक सरल लेकिन शक्तिशाली भक्ति गीत है जो भगवान दत्तात्रेय की स्तुति करता है। आइए, आज हम दत्तात्रेय आरती के महत्व, इसे करने की विधि और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में जानें।
दत्ताची आरती
त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ती दत्त हा जाणा ।
त्रिगुणी अवतार त्रैलोक्य राणा ।
नेती नेती शब्द न ये अनुमाना ॥
सुरवर मुनिजन योगी समाधी न ये ध्याना ॥जय देव जय देव जय श्री गुरुद्त्ता ।
आरती ओवाळिता हरली भवचिंता ॥
सबाह्य अभ्यंतरी तू एक द्त्त ।
अभाग्यासी कैची कळेल हि मात ॥
पराही परतली तेथे कैचा हेत ।
जन्ममरणाचाही पुरलासे अंत ॥
दत्त येऊनिया ऊभा ठाकला ।
भावे साष्टांगेसी प्रणिपात केला ॥
प्रसन्न होऊनि आशीर्वाद दिधला ।
जन्ममरणाचा फेरा चुकवीला ॥
दत्त दत्त ऐसें लागले ध्यान ।
हरपले मन झाले उन्मन ॥
मी तू पणाची झाली बोळवण ।
एका जनार्दनी श्रीदत्तध्यान ॥
दत्ताची आरती का महत्व
- समृद्धि और सुख की प्राप्ति: दत्ताची आरती को नियमित रूप से करने से भक्तों को भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद मिलता है, जिससे उनके जीवन में समृद्धि और सुख आता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह आरती भक्त के हृदय में भक्तिभाव जगाती है और उन्हें आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग पर ले जाती है।
- नकारात्मकता का नाश: ऐसा माना जाता है कि दत्तात्रेय की आरती करने से नकारात्मकता दूर होती है, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- मनोकामना पूर्ति: भक्त अक्सर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सच्चे मन से दत्तात्रेय की आरती करते हैं।
आरती करने की विधि
- सबसे पहले किसी पवित्र स्थान पर दीपक जलाएं।
- भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- अगरबत्ती और धूप जलाएं।
- दत्तात्रेय भगवान को पुष्प अर्पित करें।
- श्रद्धाभाव से दत्ताची आरती गाएं।
- आरती के बाद प्रसाद बांटें।
दत्तात्रेय भगवान की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर, ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने उन्हें एक साथ पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। इस तरह भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ, जिन्हें हिंदू धर्म में त्रिदेवों का अवतार माना जाता है।
दत्तात्रेय आरती केदत्तात्रेय भक्तों की कहानियाँ
इतिहास में भगवान दत्तात्रेय के अनगिनत भक्तों की कहानियाँ भरी हुई हैं, जिन्होंने उनकी असीम कृपा का अनुभव किया है। कुछ प्रसिद्ध कहानियां इस प्रकार हैं:
- नरसिंह सरस्वती: दत्तात्रेय के महान संत और अवतार माने जाने वाले श्री नरसिंह सरस्वती ने भक्तों के लिए कई चमत्कार किए।
- श्रीपाद श्रीवल्लभ: दत्तात्रेय के एक अन्य महत्वपूर्ण अवतार, श्रीपाद श्रीवल्लभ द्वारा किए गए चमत्कारों और भक्तों पर बरसाई गई कृपा के कई वृत्तांत मौजूद हैं।
दत्तात्रेय जयंती
दत्तात्रेय जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मार्गशीर्ष माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय के जन्म का स्मरण कराता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, दत्तात्रेय की पूजा करते हैं, विशेष आरती करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।
पूजा सामग्री
भगवान दत्तात्रेय की पूजा करते समय, निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता होती है:
- दत्तात्रेय की तस्वीर या मूर्ति
- दीपक (तेल या घी का)
- अगरबत्ती और धूप
- कुमकुम, हल्दी और चंदन
- ताजे फूल
- फल और मिठाई
- प्रसाद
दत्तात्रेय मंत्र
भगवान दत्तात्रेय को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है:
“ॐ दिगंबराय नमः”
इस मंत्र का जाप करने से भक्तों पर दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
FAQs
- दत्ताची आरती करने का सबसे अच्छा समय कौन सा है? सुबह और शाम आरती करने का आदर्श समय माना जाता है। हालांकि, इसे दिन में कभी भी सच्ची श्रद्धा से किया जा सकता है।
- क्या मुझे आरती करते समय किसी विशेष दिशा का सामना करना चाहिए? पूर्व या उत्तर दिशा का सामना करना पसंद किया जाता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। आरती करते समय भक्तिभाव महत्वपूर्ण है।
- क्या मैं अंग्रेजी में दत्ताची आरती पढ़ सकता हूँ? हां, यदि आप हिंदी में सहज नहीं हैं तो अंग्रेजी में आरती का पाठ कर सकते हैं। भगवान दत्तात्रेय आपके हृदय में भक्ति को समझते हैं।
सारांश
आइए दोस्तों, हम सब मिलकर भगवान दत्तात्रेय की आरती करें और उनकी दिव्य कृपा का अनुभव करें। दत्ताची आरती हमारे जीवन को सुख, शांति, आध्यात्मिक विकास और सौभाग्य से भरने की शक्ति रखती है। क्या आप भी दत्तात्रेय के परम भक्त हैं? नीचे कमेंट्स में अपने अनुभव हमारे साथ बांटें!
जय गुरुदेव दत्त!
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