अन्नपूर्णा आरती
नमस्कार, आप सभी का इस भक्ति से भरे ब्लॉग में स्वागत है। आज हम बात करेंगे माता अन्नपूर्णा की, जो स्वयं अन्न का स्वरूप हैं। अन्नपूर्णा देवी की कृपा से कभी किसी के घर में अन्न की कमी नहीं होती। आइए, जानते हैं उनकी महिमा और करते हैं अन्नपूर्णा आरती।
अन्नपूर्णा आरती
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,
कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो,
लेत होत सब काम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर,
कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती,
कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन,
चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर,
शोभा लखहि ललाम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
देवि देव! दयनीय दशा में,
दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल,
शरण रूप तब धाम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या,
श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी,
वर दे तू निष्काम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
॥ माता अन्नपूर्णा की जय ॥
अन्नपूर्णा माता की कथा
एक बार भगवान शिव ने कहा कि यह संसार माया है। इससे पार्वती जी रूठ गईं और उन्होंने संसार से भोजन को लुप्त कर दिया। सृष्टि में हाहाकार मच गया। तब भगवान शिव को अपनी गलती का एहसास हुआ और वे काशी जाकर माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगने लगे। माता अन्नपूर्णा ने उन्हें भोजन दिया और तब से काशी में अन्न की कभी कमी नहीं हुई।
अन्नपूर्णा आरती का महत्व
आरती करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं सताती। परिवार के सदस्य स्वस्थ और प्रसन्न रहते हैं। जिन लोगों को अन्न के क्षेत्र में कार्य करना होता है उनके लिए यह आरती विशेष फलदायी है।
अन्नपूर्णा आरती पूजा विधि
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- घर के मंदिर को स्वच्छ कर देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
- माता अन्नपूर्णा के सामने घी का दीपक प्रज्वलित करें और धूप-अगरबत्ती जलाएं।
- अक्षत (चावल), पुष्प, रोली, सिंदूर आदि देवी को अर्पित करें।
- अन्नपूर्णा स्तोत्रम या अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करें।
- अंत में अन्नपूर्णा माता की आरती करें।
व्रत
अन्नपूर्णा जयंती (धनतेरस) के दिन व्रत रखने से अन्नपूर्णा माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत में पूरा दिन उपवास रखकर शाम को माता की पूजा की जाती है और फिर फलाहार ग्रहण किया जाता है।
भक्तों के अनुभव
अन्नपूर्णादेवी के भक्तों को कभी निराश नहीं होना पड़ता। अन्न-धन की उनके जीवन में कोई कमी नहीं होती। माँ अन्नपूर्णा के भक्तों का साझा करना है कि उन्हें सदैव यह अनुभव होता है कि एक अदृश्य शक्ति उन्हें संभाले हुए है।
अन्नपूर्णा देवी से जुड़ीं मान्यताएं
- जो मनुष्य प्रतिदिन माता अन्नपूर्णा की पूजा करता है तथा उनके स्तोत्र का पाठ करता है, उसे कभी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता।
- माता के दर्शन मात्र से सारे पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं।
- अन्नपूर्णा माता की आराधना से भक्त की बुद्धि शुद्ध होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
अन्नपूर्णास्तोत्रम
निताई पद्मप्रभाम हेमकेयूर भूषिताम वर्धनमूर्तिधरां कान्तकमललोचनाम।
अन्नदान का महत्व
हिंदू धर्म में अन्नदान को पुण्य का कार्य माना जाता है। अन्नपूर्णा माता की कृपा उन लोगों पर सदैव रहती है जो किसी भूखे को भोजन कराते हैं। अन्न का अपमान करना पाप माना गया है।
FAQs
- अन्नपूर्णा आरती पूजा का सबसे अच्छा समय क्या है? सुबह और शाम दोनों समय अन्नपूर्णा आरती के लिए उत्तम माने जाते हैं।
- अन्नपूर्णा पूजा में कौन से भोग लगाए जाते हैं? अन्नपूर्णा माता को खीर का भोग विशेष प्रिय है। इसके अतिरिक्त ऋतु के अनुसार फल, मिष्ठान आदि का भी भोग लगाया जाता है।
- क्या अन्नपूर्णा जयंती का व्रत कोई भी रख सकता है? हां, अन्नपूर्णा जयंती का व्रत सभी रख सकते हैं। इस व्रत में कोई विशेष नियम नहीं हैं।
निष्कर्ष
प्रिय पाठको, माता अन्नपूर्णा भक्तों के लिए करुणा और प्रेम की साक्षात मूर्ति हैं। उनका आशीर्वाद हमारे जीवन में अन्न को ही नहीं बल्कि हर प्रकार की समृद्धि को आमंत्रित करता है। हमें नियमित रूप से अन्नपूर्णा माता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और अपने घर में अन्नपूर्णा माता की कृपा बनाए रखने के लिए अन्न का सदुपयोग करना चाहिए।
क्या आपने भी कभी अन्नपूर्णा माता के दर्शन किए हैं? उनके प्रति आपकी श्रद्धा कैसी है? अपने विचार हमसे कमेंट सेक्शन में ज़रूर साझा करें।
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