गुरु नानक आरती
परिचय
सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी को समर्पित आरती एक बहुत ही पवित्र और हृदयस्पर्शी अनुष्ठान है। आरती के माध्यम से, हम गुरु नानक देव की दिव्यता का जश्न मनाते हैं, उनके उपदेशों को याद करते हैं, और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। आइए, गुरु नानक जी की आरती के महत्व, इसकी विधि और इससे जुड़ी कथाओं को विस्तार से जानने का प्रयास करें।
आरती के बोल
श्री गुरु नानक देव आरती ॥धनासरी महला १ आरती ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
गगन मै थालु रवि चंदु दीपक
बने तारिका मंडल जनक मोती ॥
धूपु मल आनलो पवणु चवरो करे
सगल बनराइ फूलंत जोती ॥
कैसी आरती होइ भव खंडना तेरी आरती ॥
अनहता सबद वाजंत भेरी रहाउ ॥
सहस तव नैन नन नैन है तोहि कउ
सहसमूरति नना एक तोही ॥
सहस पद बिमल नन एक पद गंध बिनु
सहसतव गंध इव चलत मोही ॥
सभ महि जोति जोति है सोइ ॥
तिस कै चानणि सभ महि चानणु होइ ॥
गुर साखी जोति परगटु होइ ॥
जो तिसु भावै सु आरती होइ ॥
हरि चरण कमल मकरंद लोभित मनो
अनदिनो मोहि आही पिआसा ॥
कृपा जलु देहि नानक सारिंग
कउ होइ जा ते तेरै नामि वासा ॥
गगन मै थालु, रवि चंदु दीपक बने,
तारका मंडल, जनक मोती।
धूपु मलआनलो, पवण चवरो करे,
सगल बनराइ फुलन्त जोति॥
कैसी आरती होइ॥
भवखंडना तेरी आरती॥
अनहत सबद बाजंत भेरी॥
गुरु नानक जी की आरती का महत्व
आरती का अभ्यास गुरु के प्रति प्रेम और श्रद्धा प्रकट करने का एक सुंदर तरीका है। गुरु नानक देव की आरती करते हुए, हम उनके ज्ञान, करुणा और मानव कल्याण के लिए उनके समर्पण का स्मरण करते हैं। यह आरती गुरु की शिक्षाओं के सार को उजागर करती है और हमें उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।
कैसे करें गुरु नानक देव जी की आरती?
गुरु नानक देव जी की आरती सुबह या शाम, किसी भी समय की जा सकती है। यह अनुष्ठान हमें शांति से जोड़ता है और हमारे दिन को एक आध्यात्मिक नोट पर शुरू करने (या दिन को समाप्त करने का) एक शानदार तरीका है।
पूजा सामग्री:
- गुरु नानक देव जी की तस्वीर या मूर्ति
- अगरबत्ती या धूपबत्ती
- दीपक (तेल या घी का दीया)
- ताजे फूल
- कपूर
- प्रसाद (मिठाई या फल)
आरती करने की विधि:
- दीया जलाएं और गुरु नानक जी की तस्वीर या मूर्ति के सामने रखें।
- अगरबत्ती या धूप जलाएं और पूजा स्थान पर सुगंध भरने दें।
- गुरु नानक देव जी की तस्वीर/मूर्ति को ताजे फूल अर्पित करें।
- थाली में थोड़ा सा प्रसाद और कपूर रखें।
- घंटी बजाते हुए आरती गाएं या बजाएं।
- पूजा के अंत में, गुरु नानक देव जी से उनकी कृपा बनाए रखने के लिए प्रार्थना करें।
गुरु नानक जी की आरती से जुड़ी कथा
ऐसा माना जाता है कि एक दिन गुरु नानक देव जी ने रात को आराम करने के लिए एक स्थान चुना। जब वे सो रहे थे, उनके सिर का तकिया एक कंकड़ पर रखा था। एक स्थानीय चौधरी ने इस स्थिति को देखा और गुरु जी को उसके महल में ले आया। हालांकि, रात के बीच में, महल ढह गया। जब चौधरी ने महल के खंडहर में गुरु नानक देव जी को सुरक्षित और सलामत देखा, तो वह उनकी दिव्यता से चकित हो गए। यह माना जाता है कि तब से भक्त आरती गाकर गुरु नानक देव जी के प्रति अपने प्यार और श्रद्धा को प्रकट करने लगे।
गुरु नानक जी की आरती करने के लाभ
- मन को शांति मिलती है: गुरु नानक जी की आरती का मधुर भजन मन में शांति और स्थिरता लाता है।
- आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ता है: यह अनुष्ठान हमें गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के साथ जोड़ता है, हमारे आध्यात्मिक विकास को बढ़ाता है।
- सकारात्मकता और आशीर्वाद आते हैं: आरती को शुभ माना जाता है और माना जाता है कि यह हमारे घरों में सकारात्मक ऊर्जा लाती है और गुरु की कृपा को आकर्षित करती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- क्या इस आरती को करने का कोई विशेष समय है? गुरु नानक जी की आरती कभी भी की जा सकती है, हालांकि सुबह और शाम को इसके लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।
- आरती के लिए किन वस्तुओं की आवश्यकता होती है? आरती के लिए कुछ आवश्यक वस्तुएं हैं गुरु नानक देव जी की छवि/मूर्ति, दीपक, अगरबत्ती या धूप, ताजे फूल, प्रसाद, और कपूर।
सारांश
गुरु नानक जी की आरती एक श्रद्धा और सम्मान का गहरा कार्य है। हमें गुरु नानक देव जी के दिव्य प्रकाश से जोड़ते हुए, आरती हमें सच्ची भक्ति और आध्यात्मिक पथ पर प्रेरित करती है।
0 टिप्पणियाँ