श्री शांतादुर्गा आरती: महत्व, विधि, और कथा
परिचय
नमस्कार दोस्तों! हम सब जानते हैं कि आरती किसी भी देवी या देवता के लिए की जाने वाली भक्ति की एक खूबसूरत अभिव्यक्ति है। आज हम श्री शांतादुर्गा देवी की आरती के बारे में बात करेंगे, जो शांति और सद्भाव की देवी हैं। आइए, श्री शांतादुर्गा आरती के महत्व, इसे करने के तरीके, और इसके पीछे के पौराणिक संदर्भ को समझते हैं।
श्री शांतादुर्गा आरती (हिंदी)
जय देवी जय देवी जय शांते जननी ।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
भूकैलासा ऐसी ही कवला नगरी ।
शांतादुर्गा तेथे भक्तभवहारी ।
असुराते मर्दुनिया सुरवरकैवारी ।
स्मरती विधीहरीशंकर सुरगण अंतरी ।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी ।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
प्रबोध तुझा नव्हे विश्वाभीतरी ।
नेति नेति शब्दे गर्जती पै चारी ।
साही शास्त्रे मथिता न कळीसी निर्धारी ।
अष्टादश गर्जती परी नेणती तव थोरी ।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी ।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
कोटी मदन रूपा ऐसी मुखशोभा ।
सर्वांगी भूषणे जांबूनदगाभा ।
नासाग्री मुक्ताफळ दिनमणीची प्रभा ।
भक्तजनाते अभय देसी तू अंबा ।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी ।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
अंबे भक्तांसाठी होसी साकार ।
नातरी जगजीवन तू नव्हसी गोचर ।
विराटरूपा धरूनी करीसी व्यापार ।
त्रिगुणी विरहीत सहीत तुज कैचा पार ।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी ।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
त्रितापतापे श्रमलो निजवी निजसदनी ।
अंबे सकळारंभे राका शशीवदनी ।
अगमे निगमे दुर्गे भक्तांचे जननी ।
पद्माजी बाबाजी रमला तव भजनी ।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी ।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
श्री शांतादुर्गा आरती का महत्व
शांतादुर्गा आरती एक भक्ति गीत है जो देवी शांतादुर्गा की स्तुति के रूप में गाया जाता है। इसे करने से भक्तों को अत्यधिक शांति और आध्यात्मिक आनंद का अनुभव होता है। माना जाता है कि:
- नकारात्मकता दूर होती है: यह आरती करने से घर से नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं।
- मन शांत होता है: इस आरती को सुनने या इसका जप करने से मन को शांति का अनुभव होता है।
- अंतर्मुखी बनाती है: श्री शांतादुर्गा आरती भक्तों को उनकी आंतरिक यात्रा में मार्गदर्शन करती है।
- दिव्य सुरक्षा प्रदान करती है: ऐसा माना जाता है कि देवी शांतादुर्गा अपने भक्तों के लिए सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं।
श्री शांतादुर्गा आरती विधि
शांतादुर्गा आरती विशेष अवसरों के साथ-साथ नियमित पूजा के हिस्से के रूप में की जा सकती है। यहां पूजन विधि है:
पूजन सामग्री:
- देवी शांतादुर्गा की मूर्ति या तस्वीर
- फूल
- धूप
- एक घी का दीपक
- चंदन
- कुमकुम
- फल और प्रसाद
विधि
- सबसे पहले शांतादुर्गा देवी की प्रतिमा या तस्वीर को सामने रखकर साफ जगह पर बैठ जाएं।
- दीया जलाएं और धूप अर्पित करें।
- देवी को फूल, चंदन और कुमकुम अर्पित करें।
- फल और प्रसाद अर्पित करें।
- पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ शांतादुर्गा आरती गाएं।
- आरती के अंत में देवी से आशीर्वाद लें।
श्री शांतादुर्गा देवी की कथा
एक कथा के अनुसार, भगवान शिव और भगवान विष्णु के बीच भयानक युद्ध हुआ था। लड़ाई इतनी तीव्र थी कि पूरी सृष्टि विनाश के खतरे में पड़ गयी थी। यह देखकर देवी पार्वती ने शांतादुर्गा का रूप धारण किया और दोनों देवताओं के बीच में खड़ी हो गईं। उनकी दिव्य उपस्थिति ने युद्ध को समाप्त कर दिया और संसार को शांति प्रदान की।
श्री शांतादुर्गा मंत्र
श्री शांतादुर्गा आरती के साथ-साथ, एक शक्तिशाली मंत्र भी है जो देवी शांतादुर्गा को समर्पित है।
मंत्र:
ॐ शरण्यै नमः
अर्थ: मैं उस शक्ति को नमन करता हूँ जो सबको शरण देती है।
यह मंत्र सरल है, फिर भी अत्यंत प्रभावशाली है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति होती है।
शांतादुर्गा देवी से जुड़ी भक्त कथाएँ
शांतादुर्गा माँ से जुड़ी कई भक्तों की कथाएं हैं जो उनकी महिमा का गुणगान करती हैं। यहाँ एक ऐसी कथा है:
एक बार एक बेहद गरीब ब्राह्मण परिवार था। पति की मृत्यु के बाद ब्राह्मणी और उसका पुत्र बहुत कठिनाइयों में जीवन व्यतीत कर रहे थे। एक दिन ब्राह्मणी ने संकल्प लिया कि वह शांतादुर्गा देवी की भक्ति में लीन हो जाएगी। उसने श्रद्धा से व्रत किए और देवी का ध्यान किया। उसकी भक्ति देखकर देवी उसपर प्रसन्न हुईं और उसके सारे दुख दूर करते हुए उसके घर को धन-धान्य से भर दिया।
शांतादुर्गा आरती से मिलने वाले लाभ
श्री शांतादुर्गा आरती आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों ही तरह के लाभ प्रदान करती है। इनमें शामिल हैं:
- आंतरिक शांति: संसार की भागदौड़ में हम अक्सर तनाव महसूस करते हैं। शांतादुर्गा आरती हमारे भीतर शांति और स्थिरता लाने में मदद करती है।
- सकारात्मक दृष्टिकोण: यह आरती हमारे दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाती है और चुनौतिपूर्ण समय में भी आशा का संचार करती है।
- दिव्य सुरक्षा: शांतादुर्गा माँ अपने भक्तों की रक्षक हैं। यह आरती नकारात्मक ऊर्जाओं और परिस्थितियों से सुरक्षा का अनुभव प्रदान कराती है।
- इच्छाओं की पूर्ति: सच्चे मन से की गई इस आरती से भक्तों की जायज़ इच्छाएं पूरी होती हैं।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
- श्री शांतादुर्गा आरती करने का सबसे अच्छा समय क्या है? आप इस आरती को दिन में कभी भी कर सकते हैं। सुबह और शाम का समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- क्या मुझे श्री शांतादुर्गा की प्रतिमा के सामने आरती करनी चाहिए? हां, प्रतिमा या तस्वीर के सामने आरती करना अच्छा है, पर अगर नहीं है तो आप मानसिक रूप से देवी का ध्यान करते हुए भी आरती कर सकते हैं। भक्ति सबसे महत्वपूर्ण है।
- शांतादुर्गा आरती करते समय किन बातों का ध्यान रखें? आरती करते समय श्रद्धा और भक्ति का भाव सबसे जरूरी है। स्वच्छ वातावरण और मन से आरती करें।
निष्कर्ष
आइए दोस्तों, आज आपने शांतादुर्गा आरती का महत्व और इसे करने की विधि समझी। मुझे उम्मीद है कि इस आरती के बारे में सीखकर आपकी भक्ति बढ़ेगी। यदि आपके पास कोई और प्रश्न हों तो आप नीचे कमेंट में मुझसे पूछ सकते हैं।
जय शांतादुर्गा माँ!
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