दुर्गा चालीसा: शक्ति, भक्ति और विजय का पाठ
परिचय
नमस्ते! क्या आप जीवन की चुनौतियों से जूझ रहे हैं? क्या आप अपने भीतर दिव्य शक्ति और सुरक्षा का आह्वान करना चाहते हैं? यदि हाँ, तो दुर्गा चालीसा आपके लिए ही है। आइए, इस शक्तिशाली स्तोत्र के रहस्यों को जानें।
दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४
तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०
देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥
दुर्गा चालीसा क्या है?
दुर्गाचालीसा, देवी दुर्गा की स्तुति में रचित एक भक्तिमय हिंदू स्तोत्र है। ‘चालीसा’ का अर्थ है चालीस छंद, और इस प्रार्थना में देवी के दिव्य गुणों और शक्तिशाली कार्यों का वर्णन करते हुए 40 श्लोक हैं।
चालीसा का महत्व
- शक्ति का प्रतीक: दुर्गा चालीसा सार्वभौमिक माँ और उसके भीतर की अदम्य शक्ति का उत्सव है।
- संकट से मुक्ति: माना जाता है कि भक्तिभाव से इस स्तोत्र का पाठ करने से नकारात्मकता दूर होती है और सुरक्षा मिलती है।
- अंतर्दृष्टि और साहस: दुर्गा चालीसा पाठ करने से व्यक्ति को आंतरिक शक्ति, साहस और जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता मिलती है।
चालीसा का पाठ कैसे करें?
- शुद्धिकरण: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान: देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष एक पूजा स्थान बनायें।
- संकल्प: शुद्ध मन से दुर्गा चालीसा पाठ का संकल्प लें।
- पाठ: आदर और भक्ति के साथ दुर्गा चालीसा का स्पष्ट उच्चारण करें।
- अर्पित करें: देवी को फूल, फल, धूप, और दीप अर्पित करें।
अर्थ (सरल हिंदी में)
इस स्तोत्र के छंद देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों, उनके अस्त्रों और उनकी विजयों का वर्णन करते हैं। यह प्रार्थना माँ दुर्गा से भक्तों को उनकी कृपा प्रदान करने, उनकी रक्षा करने और उनके जीवन में शांति और समृद्धि लाने की याचना करती है।
दुर्गा चालीसा से मिलने वाले लाभ
- बाधाओं का नाश
- भय से मुक्ति
- रोगों व शत्रुओं से रक्षा
- मनोकामनाओं की पूर्ति
- आध्यात्मिक उन्नति
दुर्गा चालीसा पाठ से जुड़ी कुछ कथाएं
अनेक कथाएँ दुर्गा चालीसा के पाठ की महिमा को दर्शाती हैं। कई भक्तों ने दुर्गा चालीसा के पाठ के प्रभाव से अपने जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन और समस्याओं के समाधान का अनुभव किया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- दुर्गा चालीसा पाठ का सबसे अच्छा समय क्या है? नवरात्रि के दौरान एवं शुक्रवार को दुर्गा चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
- क्या मैं रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकता हूं? जी हां, दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
निष्कर्ष
दुर्गा चालीसा भक्ति और शरणागति की एक मार्मिक अभिव्यक्ति है। अपने विश्वास को दृढ़ करके इस पवित्र स्तोत्र का पाठ करें, और दिव्य माँ की कृपा और सुरक्षा का अनुभव करें। क्या आपके मन में दुर्गा चालीसा के बारे में कोई और प्रश्न हैं? नीचे टिप्पणी में जरूर पूछें।
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