संतोषी माता चालीसा: लाभ, व्रत कथा, पूजा विधि, और महत्व
परिचय
नमस्कार दोस्तों! क्या आपके जीवन में पूर्ण संतोष की कमी है? क्या आप दुखों से घिरे हुए महसूस करते हैं? यदि हां, तो संतोषी माता की शरण में आइए। संतोषी माता भगवान गणेश की पुत्री और असीम संतोष की देवी हैं। वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं, उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं, और उनके जीवन में शांति और सुख लाती हैं। आइए आज हम संतोषी माता चालीसा, उनकी पूजा विधि, व्रत कथा, एवं उनकी कृपा से होने वाले लाभों के बारे में जानें।
संतोषीमाता, हिंदू धर्म में श्रद्धा और भक्ति की एक लोकप्रिय देवी हैं। वह भगवान गणेश की पुत्री हैं, बुद्धि और सौभाग्य के देवता। “संतोषी” नाम का अर्थ है “संतोष की देवी,” और वह अपने भक्तों के लिए खुशी और संतुष्टि लाने के लिए जानी जाती हैं।
संतोषी माता चालीसा
संतोषीमाता चालीसा एक भक्ति स्तोत्र है। इसमें संतोषी माता की प्रशंसा, उनकी दयालुता और शक्ति का गुणगान किया गया है। आइए, संतोषी माता चालीसा का पाठ करें:
॥ दोहा ॥
बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार ।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार ॥
भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम ।
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम ॥
॥ चौपाई ॥
जय सन्तोषी मात अनूपम ।
शान्ति दायिनी रूप मनोरम ॥
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा ।
वेश मनोहर ललित अनुपा ॥
श्वेताम्बर रूप मनहारी ।
माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी ॥
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन ।
दर्शन से हो संकट मोचन ॥ 4 ॥
जय गणेश की सुता भवानी ।
रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी ॥
अगम अगोचर तुम्हरी माया ।
सब पर करो कृपा की छाया ॥
नाम अनेक तुम्हारे माता ।
अखिल विश्व है तुमको ध्याता ॥
तुमने रूप अनेकों धारे ।
को कहि सके चरित्र तुम्हारे ॥ 8 ॥
धाम अनेक कहाँ तक कहिये ।
सुमिरन तब करके सुख लहिये ॥
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी ।
कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी ॥
कलकत्ते में तू ही काली ।
दुष्ट नाशिनी महाकराली ॥
सम्बल पुर बहुचरा कहाती ।
भक्तजनों का दुःख मिटाती ॥ 12 ॥
ज्वाला जी में ज्वाला देवी ।
पूजत नित्य भक्त जन सेवी ॥
नगर बम्बई की महारानी ।
महा लक्ष्मी तुम कल्याणी ॥
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो ।
सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो ॥
राजनगर में तुम जगदम्बे ।
बनी भद्रकाली तुम अम्बे ॥ 16 ॥
पावागढ़ में दुर्गा माता ।
अखिल विश्व तेरा यश गाता ॥
काशी पुराधीश्वरी माता ।
अन्नपूर्णा नाम सुहाता ॥
सर्वानन्द करो कल्याणी ।
तुम्हीं शारदा अमृत वाणी ॥
तुम्हरी महिमा जल में थल में ।
दुःख दारिद्र सब मेटो पल में ॥ 20 ॥
जेते ऋषि और मुनीशा ।
नारद देव और देवेशा ।
इस जगती के नर और नारी ।
ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी ॥
जापर कृपा तुम्हारी होती ।
वह पाता भक्ति का मोती ॥
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता ।
ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता ॥ 24 ॥
जो जन तुम्हरी महिमा गावै ।
ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै ॥
जो मन राखे शुद्ध भावना ।
ताकी पूरण करो कामना ॥
कुमति निवारि सुमति की दात्री ।
जयति जयति माता जगधात्री ॥
शुक्रवार का दिवस सुहावन ।
जो व्रत करे तुम्हारा पावन ॥ 28 ॥
गुड़ छोले का भोग लगावै ।
कथा तुम्हारी सुने सुनावै ॥
विधिवत पूजा करे तुम्हारी ।
फिर प्रसाद पावे शुभकारी ॥
शक्ति-सामरथ हो जो धनको ।
दान-दक्षिणा दे विप्रन को ॥
वे जगती के नर औ नारी ।
मनवांछित फल पावें भारी ॥ 32 ॥
जो जन शरण तुम्हारी जावे ।
सो निश्चय भव से तर जावे ॥
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे ।
निश्चय मनवांछित वर पावै ॥
सधवा पूजा करे तुम्हारी ।
अमर सुहागिन हो वह नारी ॥
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा ।
भवसागर से उतरे पारा ॥ 36 ॥
जयति जयति जय संकट हरणी ।
विघ्न विनाशन मंगल करनी ॥
हम पर संकट है अति भारी ।
वेगि खबर लो मात हमारी ॥
निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता ।
देह भक्ति वर हम को माता ॥
यह चालीसा जो नित गावे ।
सो भवसागर से तर जावे ॥ 40 ॥
॥ दोहा ॥
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास ।
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास ॥
॥ इति श्री संतोषी माता चालीसा ॥
संतोषी माता चालीसा का महत्व
संतोषीमाता चालीसा का पाठ अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। जो भक्त शुद्ध मन से संतोषी माता चालीसा का पाठ करते हैं, माँ उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। यह चालीसा जीवन के सभी दुखों को दूर कर सुख और समृद्धि प्रदान करती है।
पूजा सामग्री
- संतोषी माता की प्रतिमा या तस्वीर
- फूल, आम के पत्ते
- कलश, धूप, दीप
- रोली, अक्षत, सिंदूर
- गुड़ और चना
- प्रसाद बनाने की सामग्री
भक्तों की कहानियां
संतोषी माता के भक्तों की कई चमत्कारिक कहानियां हैं जो उनकी शक्ति और कृपा को प्रमाणित करती हैं। माना जाता है कि माता ने असंख्य भक्तों की मुश्किलें दूर की हैं और उनके जीवन में खुशहाली लाई हैं।
FAQs
Q1: संतोषी माता की पूजा किस दिन की जाती है? A: संतोषी माता की पूजा शुक्रवार के दिन की जाती है।
Q2: संतोषी माता का व्रत कैसे किया जाता है? A: संतोषी माता का व्रत 16 शुक्रवार तक चलता है। इस दौरान भक्त व्रत कथा सुनते हैं, चालीसा का पाठ करते हैं, और गुड़-चना का प्रसाद वितरित करते हैं।
Q3: संतोषी माता का उद्यापन कैसे किया जाता है? A: 16 शुक्रवारों के बाद, उद्यापन किया जाता है। इसमें कन्या भोज और ब्राह्मण भोज कराया जाता है।
निष्कर्ष
साथियों, संतोषी माता हमारे सारे दुःख-दर्द दूर करके जीवन में प्रसन्नता लाती हैं। आइए, हम भी श्रद्धा-भक्ति के साथ संतोषी माता की शरण में जाएं। संतोषी माता हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें!
0 टिप्पणियाँ