सरस्वती चालीसा: ज्ञान और कला की देवी को समर्पित भक्ति गीत

पर purva gudekar द्वारा प्रकाशित

Saraswati Chalisa

परिचय

नमस्कार दोस्तों! क्या आप ज्ञान, विद्या, संगीत, और कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती को प्रसन्न करना चाहते हैं? यदि हाँ, तो इस लेख में मैं आपके साथ सरस्वती चालीसा की महिमा, सरस्वती पूजा विधि, और इस स्तुति के लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा करूँगा।

सरस्वती चालीसा हिंदू धर्म में प्रचलित एक लोकप्रिय स्तोत्र है। ‘चालीसा’ शब्द का अर्थ है ‘चालीस’। सरस्वती चालीसा में देवी सरस्वती के गुणों, शक्तियों और भक्तों के प्रति उनकी करुणा का वर्णन करने वाले चालीस छंद हैं। आइए, इस सरल भक्ति गीत का लाभ लेते हुए, माँ शारदे की कृपा से अपने जीवन में विद्या और कला का प्रकाश भरें।

सरस्वती चालीसा

॥ दोहा ॥
जनक जननि पद्मरज,
निज मस्तक पर धरि ।
बन्दौं मातु सरस्वती,
बुद्धि बल दे दातारि ॥पूर्ण जगत में व्याप्त तव,
महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को,
मातु तु ही अब हन्तु ॥

॥ चालीसा ॥
जयश्री सकल बुद्धि बलरासी ।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ॥

जय* जय जय वीणाकर धारी ।
करती सदा सुहंस सवारी ॥

रूप चतुर्भुज धारी माता ।
सकल विश्व अन्दर विख्याता ॥4

जग में पाप बुद्धि जब होती ।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति ॥

तब ही मातु का निज अवतारी ।
पाप हीन करती महतारी ॥

वाल्मीकिजी थे हत्यारा ।
तव प्रसाद जानै संसारा ॥

रामचरित जो रचे बनाई ।
आदि कवि की पदवी पाई ॥8

कालिदास जो भये विख्याता ।
तेरी कृपा दृष्टि से माता ॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना ।
भये और जो ज्ञानी नाना ॥

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा ।
केव कृपा आपकी अम्बा ॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी ।
दुखित दीन निज दासहि जानी ॥12

पुत्र करहिं अपराध बहूता ।
तेहि न धरई चित माता ॥

राखु लाज जननि अब मेरी ।
विनय करउं भांति बहु तेरी ॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा ।
कृपा करउ जय जय जगदंबा ॥

मधुकैटभ जो अति बलवाना ।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना ॥16

समर हजार पाँच में घोरा ।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा ॥

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला ।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला ॥

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी ।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी ॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता ।
क्षण महु संहारे उन माता ॥20

रक्त बीज से समरथ पापी ।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी ॥

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा ।
बारबार बिन वउं जगदंबा ॥

जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा ।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा ॥

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई ।
रामचन्द्र बनवास कराई ॥24

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा ।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा ॥

को समरथ तव यश गुन गाना ।
निगम अनादि अनंत बखाना ॥

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी ।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी ॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी ।
नाम अपार है दानव भक्षी ॥28

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा ।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता ।
कृपा करहु जब जब सुखदाता ॥

नृप कोपित को मारन चाहे ।
कानन में घेरे मृग नाहे ॥

सागर मध्य पोत के भंजे ।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे ॥32

भूत प्रेत बाधा या दुःख में ।
हो दरिद्र अथवा संकट में ॥

नाम जपे मंगल सब होई ।
संशय इसमें करई न कोई ॥

पुत्रहीन जो आतुर भाई ।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई ॥

करै पाठ नित यह चालीसा ।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा ॥36

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै ।
संकट रहित अवश्य हो जावै ॥

भक्ति मातु की करैं हमेशा ।
निकट न आवै ताहि कलेशा ॥

बंदी पाठ करें सत बारा ।
बंदी पाश दूर हो सारा ॥

रामसागर बाँधि हेतु भवानी ।
कीजै कृपा दास निज जानी ॥40

॥दोहा॥
मातु सूर्य कान्ति तव,
अन्धकार मम रूप ।
डूबन से रक्षा करहु,
परूँ न मैं भव कूप ॥

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि,
सुनहु सरस्वती मातु ।
राम सागर अधम को,
आश्रय तू ही देदातु ॥

सरस्वती चालीसा के पाठ की महिमा

  • बुद्धि और विवेक में वृद्धि: जो भक्त सच्ची श्रद्धा से सरस्वती चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें ज्ञान, तर्कशक्ति, स्मृति, और निर्णय लेने की क्षमता का आशीर्वाद मिलता है।
  • शिक्षा में सफलता: विद्यार्थियों के लिए सरस्वती चालीसा का पाठ वरदान स्वरूप है। इससे उनकी एकाग्रता बढ़ती है, जिससे परीक्षाओं में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
  • कलात्मक कौशल का विकास: संगीतज्ञ, कलाकार, लेखक, और रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों के लिए सरस्वती चालीसा का पाठ लाभकारी है।

पूजा विधि

  1. सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. माँ सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें और उन्हें हल्दी, कुमकुम, चावल का टीका लगाएं।
  3. फूल, फल, धूप, दीप और अगरबत्ती अर्पित करें।
  4. ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
  5. सरस्वती चालीसा का पाठ करें।
  6. देवी सरस्वती से ज्ञान, कौशल, और जीवन में सफलता का आशीर्वाद मांगें।

पूजन सामग्री

  • सरस्वती प्रतिमा या चित्र
  • पीला या सफेद वस्त्र
  • हल्दी, कुमकुम, चावल
  • पीले या सफेद फूल, कमल (अगर मिल सके)
  • मौसमी फल
  • धूप, दीप
  • पेन/पेंसिल/वाद्ययंत्र (जो भी आपकी विद्या/कला से जुड़ा हो)

सरस्वती चालीसा पाठ के लाभ

  • बौद्धिक विकास (Intellectual Development): सरस्वती चालीसा का पाठ करने से स्मरण शक्ति, एकाग्रता, और बुद्धि का विकास होता है।
  • आध्यात्मिक ज्ञान (Spiritual Enlightenment): माँ सरस्वती की उपासना से भक्त के मन में शुद्धता, सात्विकता और आध्यात्मिक ज्ञान की वृद्धि होती है।
  • मानसिक शांति (Mental Peace): जो भक्त नियमित रूप से सरस्वती चालीसा का पाठ करते हैं, उनके मन में शांति और स्थिरता आती है।
  • मां सरस्वती का आशीर्वाद (Blessings of Maa Saraswati): सरस्वती चालीसा का पाठ करने वाले भक्तों को उनकी पढ़ाई, कला, और विद्या संबंधी हर कार्य मे माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।

भक्तों के अनुभव (Devotee Experiences)

  • [उदाहरण १]: “मैं परीक्षाओं में हमेशा औसत छात्रा थी। सरस्वती चालीसा पढ़ने के बाद मेरी एकाग्रता बढ़ी है और मेरा आत्मविश्वास भी। अब मेरे परीक्षाओं के परिणाम बहुत बेहतर हैं।” – रिया सिंह, छात्रा।
  • [उदाहरण २]: “मैं एक संगीतकार हूँ, और मुझे हमेशा अपनी रचनात्मकता को लेकर परेशानी होती थी। जब से मैंने सरस्वती चालीसा का पाठ करना शुरू किया है, मेरे विचारों में स्पष्टता आई है और मेरी कला में सुधार हुआ है” – अजय वर्मा, संगीतकार।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

  • वसंत पंचमी पर सरस्वती चालीसा का पाठ क्यों किया जाता है?
    • वसंत पंचमी का दिन देवी सरस्वती को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन सरस्वती चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
  • क्या सरस्वती चालीसा के पाठ का कोई विशिष्ट समय है?
    • सरस्वती चालीसा का पाठ सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करना उत्तम माना जाता है। हालांकि, इसे दिन के किसी भी समय पढ़ा जा सकता है।
  • क्या कोई भी सरस्वती चालीसा पढ़ सकता है?
    • हाँ, सरस्वती चालीसा को कोई भी पढ़ सकता है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, या आयु वर्ग से संबंध रखता हो।
  • सरस्वती चालीसा पाठ के नियम क्या हैं ?
    • सरस्वती चालीसा का पाठ करते समय स्वच्छता, पवित्रता, और भक्ति भाव का ध्यान रखना चाहिए।

निष्कर्ष

दोस्तों, मुझे आशा है कि सरस्वती चालीसा पर यह लेख आपको ज्ञानवर्धक लगा होगा। आइए हम माँ शारदे की भक्ति में लीन होकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। जय माँ सरस्वती!


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