महाकाली चालीसा: शक्ति, भक्ति, और दिव्य सुरक्षा की शरण
परिचय
नमस्कार दोस्तों! आज, हम एक ऐसी देवी के बारे में बात करेंगे जिनके सामने बड़े से बड़े संकट भी छोटे लगने लगते हैं। वह हैं आदिशक्ति, समय का अवतार, माँ महाकाली। महाकाली चालीसा एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो माँ काली के साहस, सुरक्षा, और दुष्ट शक्तियों पर विजय का आह्वान करती है। आइए, माँ महाकाली के गुणों को जानें और चालीसा की गहराई में उतरें।
- महाकाली, आदिशक्ति दुर्गा के सबसे उग्र रूपों में से एक हैं।
- उन्हें अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
- महाकाली की दस भुजाएँ हैं, वे विनाश और परिवर्तन दोनों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
महाकाली पूजा के लाभ
- दैवीय सुरक्षा: महाकाली को सभी नकारात्मक शक्तियों की दुर्जेय रक्षक माना जाता है।
- संकटों से मुक्ति: माँ महाकाली हमें जीवन के कठिनतम संकटों को दूर करने के लिए आंतरिक शक्ति प्रदान करती हैं।
- भय से मुक्ति: उनकी उपासना से भय, चिंता और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: माँ महाकाली भक्तों के आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाने के लिए जानी जाती हैं।
- इच्छाओं की पूर्ति: जो सच्चे मन से उनकी शरण लेता है, महाकाली माँ उसकी सभी शुभ इच्छाएं पूरी करती हैं।
महाकाली चालीसा पाठ
॥ दोहा ॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द,
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़े दुपहरिया या शाम,
दुःख दरिद्रता दूर हों सिद्धि होय सब काम ॥॥ चौपाई ॥
जय काली कंकाल मालिनी,
जय मंगला महाकपालिनी ॥
रक्तबीज वधकारिणी माता,
सदा भक्तन की सुखदाता ॥
शिरो मालिका भूषित अंगे,
जय काली जय मद्य मतंगे ॥
हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,
जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी ॥ ४ ॥
ह्रीं काली श्रीं महाकाराली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली ॥
जय कलावती जय विद्यावति,
जय तारासुन्दरी महामति ॥
देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट ॥
जय ॐ कारे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्पारे ॥ ८ ॥
कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥
अब जगदम्ब न देर लगावहु,
दुख दरिद्रता मोर हटावहु ॥
जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान घुतिगाता ॥
जयशंकरी सुरेशि सनातनि,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनी ॥ १२ ॥
कपर्दिनी कलि कल्प विमोचनि,
जय विकसित नव नलिन विलोचनी ॥
आनन्दा करणी आनन्द निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना ॥
करूणामृत सागरा कृपामयी,
होहु दुष्ट जन पर अब निर्दयी ॥
सकल जीव तोहि परम पियारा,
सकल विश्व तोरे आधारा ॥ १६ ॥
प्रलय काल में नर्तन कारिणि,
जग जननी सब जग की पालिनी ॥
महोदरी माहेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया ॥
स्वछन्द रद मारद धुनि माही,
गर्जत तुम्ही और कोउ नाहि ॥
स्फुरति मणिगणाकार प्रताने,
तारागण तू व्योम विताने ॥ २० ॥
श्रीधारे सन्तन हितकारिणी,
अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणि ॥
धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी,
शुम्भ निशुम्भ मथनि वर लोचनि ॥
सहस भुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी ॥
खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी ॥ २४ ॥
अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि कालिका ॥
अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्रा शक्ति अनूपा ॥
कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोरि महेशि अपारे ॥
कादम्बरी पानरत श्यामा,
जय माँतगी काम के धामा ॥ २८ ॥
कमलासन वासिनी कमलायनि,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥
मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥
कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ॥
जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य आलापिनि ॥ ३२ ॥
झननन तच्छु मरिरिन नादिनी,
जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा ॥
जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता ॥
हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,
अटठहासिनि अरु अघन नाशिनी ॥ ३६ ॥
कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित चण्डे ॥
करहु कृपा सब पे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ॥
चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा ॥
खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥ ४० ॥
तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई ॥
जो यह पाठ करै चालीसा,
तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥
॥ दोहा ॥
जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलम्ब ॥
महाकाली चालीसा की महत्ता
- माँ का आशीर्वाद मिलता है: महाकाली चालीसा हमें माँ काली के करीब लाती है और हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है।
- आध्यात्मिक विकास: चालीसा का नियमित पाठ भक्ति जगाता है तथा हमारी आध्यात्मिक यात्रा को गति देता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: चालीसा के मंत्रों के कंपन सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं और नकारात्मकता को दूर करते हैं
माँ महाकाली पूजन विधि
- सही समय: काली पूजा आम तौर पर रात या संध्या के समय की जाती है। मंगलवार और शनिवार के दिन पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं।
- पूजन सामग्री: लाल फूल, सिंदूर, धूप, दीपक, नैवेद्य (मिठाई), फल आदि।
- पूजा की विधि: स्नान करके साफ़ कपड़े पहने। माँ महाकाली के चित्र या मूर्ति को वेदी पर स्थापित करें और उपरोक्त पूजन सामग्री चढ़ाएं। महाकाली चालीसा का पाठ करें। अंत में, माँ काली से प्रार्थना और आरती करें।
महाकाली से जुड़ी कथाएँ
महाकाली से जुड़ी अनेकों प्रेरक कथाएँ हिंदू पुराणों में पाई जाती हैं। रक्तबीज वध, महिषासुर-मर्दिनी आदि की कथाओं को शामिल करें।
FAQs (Frequently Asked Questions)
इस खंड में महाकाली पूजा से संबंधित आम प्रश्नों को शामिल करें, उदाहरण के लिए:
- क्या महिलाएं महाकाली की पूजा कर सकती हैं?
- महाकाली पूजा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- महाकाली के प्रमुख मंदिर कौन से हैं?
निष्कर्ष
दोस्तों, महाकाली चालीसा हमें अंधकारपूर्ण समय में आशा और सुरक्षा देती है। माँ महाकाली काली सदा अपने भक्तों के उद्धार के लिए तत्पर रहती हैं। आइये हम सब निष्ठापूर्वक माँ महाकाली की शरण में जाएँ और उनके असीम आशीर्वाद के पात्र बनें!
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