विश्वकर्मा चालीसा: दिव्य शिल्पकार को समर्पित भक्तिमय स्तुति
परिचय
नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करेंगे उस दिव्य शक्ति की जिसने अपने कौशल, रचनात्मकता और बुद्धिमता से इस संसार को आकार दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सृष्टि के रचयिता भगवान विश्वकर्मा की। विश्वकर्मा जी को देवताओं के वास्तुकार के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में, उन्हें निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है।
विश्वकर्मा जयंती के पावन अवसर पर विश्वकर्मा जी की स्तुति के लिए ‘विश्वकर्मा चालीसा’ का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। आइए, जानते हैं विश्वकर्मा चालीसा, विश्वकर्मा पूजा विधि, और इस स्तुति के पीछे छिपी कथा के बारे में।
विश्वकर्मा चालीसा
॥ दोहा ॥
श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं,
चरणकमल धरिध्यान ।
श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण,
दीजै दया निधान ॥॥ चौपाई ॥
जय श्री विश्वकर्म भगवाना ।
जय विश्वेश्वर कृपा निधाना ॥
शिल्पाचार्य परम उपकारी ।
भुवना-पुत्र नाम छविकारी ॥
अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर ।
शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर ॥
अद्भुत सकल सृष्टि के कर्ता ।
सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता ॥ ४ ॥
अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं ।
कोई विश्व मंह जानत नाही ॥
विश्व सृष्टि-कर्ता विश्वेशा ।
अद्भुत वरण विराज सुवेशा ॥
एकानन पंचानन राजे ।
द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे ॥
चक्र सुदर्शन धारण कीन्हे ।
वारि कमण्डल वर कर लीन्हे ॥ ८ ॥
शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा ।
सोहत सूत्र माप अनुरूपा ॥
धनुष बाण अरु त्रिशूल सोहे ।
नौवें हाथ कमल मन मोहे ॥
दसवां हस्त बरद जग हेतु ।
अति भव सिंधु मांहि वर सेतु ॥
सूरज तेज हरण तुम कियऊ ।
अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ ॥ १२ ॥
चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका ।
दण्ड पालकी शस्त्र अनेका ॥
विष्णुहिं चक्र शूल शंकरहीं ।
अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं ॥
इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा ।
तुम सबकी पूरण की आशा ॥
भांति-भांति के अस्त्र रचाए ।
सतपथ को प्रभु सदा बचाए ॥ १६ ॥
अमृत घट के तुम निर्माता ।
साधु संत भक्तन सुर त्राता ॥
लौह काष्ट ताम्र पाषाणा ।
स्वर्ण शिल्प के परम सजाना ॥
विद्युत अग्नि पवन भू वारी ।
इनसे अद्भुत काज सवारी ॥
खान-पान हित भाजन नाना ।
भवन विभिषत विविध विधाना ॥ २० ॥
विविध व्सत हित यत्रं अपारा ।
विरचेहु तुम समस्त संसारा ॥
द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका ।
विविध महा औषधि सविवेका ॥
शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला ।
वरुण कुबेर अग्नि यमकाला ॥
तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ ।
करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ ॥ २४ ॥
भे आतुर प्रभु लखि सुर-शोका ।
कियउ काज सब भये अशोका ॥
अद्भुत रचे यान मनहारी ।
जल-थल-गगन मांहि-समचारी ॥
शिव अरु विश्वकर्म प्रभु मांही ।
विज्ञान कह अंतर नाही ॥
बरनै कौन स्वरूप तुम्हारा ।
सकल सृष्टि है तव विस्तारा ॥ २८ ॥
रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा ।
तुम बिन हरै कौन भव हारी ॥
मंगल-मूल भगत भय हारी ।
शोक रहित त्रैलोक विहारी ॥
चारो युग परताप तुम्हारा ।
अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा ॥
ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता ।
वर विज्ञान वेद के ज्ञाता ॥ ३२ ॥
मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा ।
सबकी नित करतें हैं रक्षा ॥
पंच पुत्र नित जग हित धर्मा ।
हवै निष्काम करै निज कर्मा ॥
प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई ।
विपदा हरै जगत मंह जोई ॥
जै जै जै भौवन विश्वकर्मा ।
करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा ॥ ३६ ॥
इक सौ आठ जाप कर जोई ।
छीजै विपत्ति महासुख होई ॥
पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा ।
होय सिद्ध साक्षी गौरीशा ॥
विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे ।
हो प्रसन्न हम बालक तेरे ॥
मैं हूं सदा उमापति चेरा ।
सदा करो प्रभु मन मंह डेरा ॥ ४० ॥
॥ दोहा ॥
करहु कृपा शंकर सरिस,
विश्वकर्मा शिवरूप ।
श्री शुभदा रचना सहित,
ह्रदय बसहु सूर भूप ॥
विश्वकर्मा चालीसा की महिमा
चालीसा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित एक भक्ति स्तोत्र है। चालीसा के रूप में प्रचलित इस स्तुति में 40 छंद हैं जो भगवान विश्वकर्मा की महिमा, उनके कार्यों और उनके द्वारा किए गए अद्भुत निर्माणों का वर्णन करते हैं। मान्यता है कि विश्वकर्मा चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से सुख, शांति, समृद्धि, तथा जीवन में बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर स्थापित करें।
- भगवान विश्वकर्मा को फूल, अक्षत, रोली, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- भक्तिभाव से विश्वकर्मा चालीसा का पाठ करें।
- विश्वकर्मा जी की आरती उतारें।
विश्वकर्मा पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री
- भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र
- चौकी
- धूप, दीप
- फूल, फल, मिठाई
- अक्षत (चावल), रोली, हल्दी, कुमकुम
- कलश, जल
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
विश्वकर्मा चालीसा पाठ के लाभ
- शास्त्रों के अनुसार विश्वकर्मा चालीसा के नियमित पाठ से भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
- व्यवसाय में उन्नति होती है।
- दुर्घटनाओं और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।
- रचनात्मकता और तकनीकी कौशल का विकास होता है।
भगवान विश्वकर्मा से संबंधित पौराणिक कथा
एक प्रचलित कथा के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले विष को पीने के कारण भगवान शिव का शरीर व्याकुल हो गया। तब भगवान विश्वकर्मा ने अपने औज़ारों की सहायता से उनका उपचार किया। इस प्रकार, भगवान विश्वकर्मा को संसार का संरक्षक माना जाता है।
विश्वकर्मा जयंती
विश्वकर्मा जयंती उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो निर्माण, सृजन, इंजीनियरिंग और कलात्मक क्षेत्रों से जुड़े हैं। सामान्यतौर पर, यह उत्सव भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि, कन्या संक्रांति को मनाया जाता है।
भक्तों के अनुभव – चमत्कार और कृपा
विश्वकर्मा चालीसा पढ़ने वाले बहुत से भक्त अपने जीवन में आये सकारात्मक बदलावों और भगवान विश्वकर्मा के चमत्कारों की कहानियां साझा करते हैं। उनकी कृपा से उन्हें व्यवसाय में सफलता मिली, तकनीकी कठिनाइयां दूर हुईं और जीवन में सुख-शांति स्थापित हुई।
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