विष्णु चालीसा: शक्ति, समृद्धि और दिव्य सुरक्षा के लिए भक्तिमय आह्वान
परिचय
नमस्कार, प्रिय पाठकों! यदि आप जीवन में सुख, शांति, और दिव्य कृपा की कामना करते हैं, तो विष्णु चालीसा आपके लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक उपहार है। विष्णु जी, जिन्हें संसार के पालनहार भी कहा जाता है, जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और सुरक्षा प्रदान करते हैं। आइए, आज विष्णु चालीसा के अर्थ, महत्व और इसे पढ़ने के लाभों में गहराई से उतरें।
विष्णु चालीसा भगवान विष्णु की स्तुति में लिखा गया एक भक्तिमय स्तोत्र है। ‘चालीसा’ शब्द का अर्थ है ‘चालीस’। इसमें चालीस दोहे हैं जो भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों, गुणों और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करते हैं।
विष्णु चालीसा (पाठ)
॥ दोहा॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ।॥ चौपाई ॥
नमो विष्णु भगवान खरारी ।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी ॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी ।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत ।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत ॥
तन पर पीतांबर अति सोहत ।
बैजन्ती माला मन मोहत ॥4॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे ।
देखत दैत्य असुर दल भाजे ॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे ।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
संतभक्त सज्जन मनरंजन ।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन ।
दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥8॥
पाप काट भव सिंधु उतारण ।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण ॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण ।
केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा ।
तब तुम रूप राम का धारा ॥
भार उतार असुर दल मारा ।
रावण आदिक को संहारा ॥12॥
आप वराह रूप बनाया ।
हरण्याक्ष को मार गिराया ॥
धर मत्स्य तन सिंधु बनाया ।
चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वंद मचाया ।
रूप मोहनी आप दिखाया ॥
देवन को अमृत पान कराया ।
असुरन को छवि से बहलाया ॥16॥
कूर्म रूप धर सिंधु मझाया ।
मंद्राचल गिरि तुरत उठाया ॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया ।
भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
वेदन को जब असुर डुबाया ।
कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया ॥
मोहित बनकर खलहि नचाया ।
उसही कर से भस्म कराया ॥20॥
असुर जलंधर अति बलदाई ।
शंकर से उन कीन्ह लडाई ॥
हार पार शिव सकल बनाई ।
कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी ।
बतलाई सब विपत कहानी ॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी ।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥24॥
देखत तीन दनुज शैतानी ।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी ।
हना असुर उर शिव शैतानी ॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे ।
हिरणाकुश आदिक खल मारे ॥
गणिका और अजामिल तारे ।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥28॥
हरहु सकल संताप हमारे ।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे ॥
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे ।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥
चहत आपका सेवक दर्शन ।
करहु दया अपनी मधुसूदन ॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन ।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥32॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण ।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ॥
करहुं आपका किस विधि पूजन ।
कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण ।
कौन भांति मैं करहु समर्पण ॥
सुर मुनि करत सदा सेवकाई ।
हर्षित रहत परम गति पाई ॥36॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई ।
निज जन जान लेव अपनाई ॥
पाप दोष संताप नशाओ ।
भव-बंधन से मुक्त कराओ ॥
सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ ।
निज चरनन का दास बनाओ ॥
निगम सदा ये विनय सुनावै ।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥40॥
विष्णु चालीसा का महत्व
हिंदू धर्म में, विष्णु चालीसा का विशेष महत्व है। इसे पढ़ने से ये लाभ माने जाते हैं:
- मन में शांति मिलती है: विष्णु चालीसा का जाप मन को चिंताओं और नकारात्मकता से मुक्त करता है।
- भौतिक सुखों में वृद्धि होती है: भगवान विष्णु अपने भक्तों को धन-संपदा एवं ऐश्वर्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
- दिव्य सुरक्षा मिलती है: विष्णु जी की कृपा से भक्तगण सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं से सुरक्षित रहते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति होती है: विष्णु चालीसा का नियमित अभ्यास करने से हमारी आध्यात्मिक यात्रा में तेजी आती है।
पूजा विधि
विष्णु चालीसा का पाठ करने से पहले, भगवान विष्णु की पूजा विधि-पूर्वक करने का विधान है। सामान्य पूजा में इन चीजों की आवश्यकता होती है:
- पूजन सामग्री: भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर, फूल, दीपक, धूप, चंदन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, फल, मिठाई, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)।
- विधि:
- स्वयं और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए, उन्हें प्रणाम करें।
- उन्हें स्नान कराएं, वस्त्र पहनाएं, और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें।
- विष्णु चालीसा का पाठ करें।
- विष्णु जी की आरती करें।
विष्णु चालीसा के लाभ
- मनोकामनाओं की पूर्ति होती है
- संकटों से मुक्ति मिलती है
- सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है
- रोगों से रक्षा होती है
भगवान विष्णु से जुड़ी पौराणिक कथा
हिंदू पुराणों में भगवान विष्णु से संबंधित अनेकों प्रेरक कथाएं मिलती हैं। कुछ लोकप्रिय कथाएं हैं:
- समुद्र मंथन: देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए क्षीरसागर का मंथन किया, जिसमें भगवान विष्णु कूर्म (कछुए) का अवतार लेकर पर्वत को स्थिर रखा।
- वामन अवतार: राजा बलि के अहंकार को दूर करने के लिए विष्णु जी ने वामन (बौने ब्राह्मण) का रूप धारण किया।
- नरसिंह अवतार: अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने और राक्षसराज हिरण्यकश्यपु का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह (आधा मनुष्य, आधा सिंह) का अवतार लिया।
विष्णु चालीसा से संबंधित प्रश्न (FAQs)
- विष्णु चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए? आप प्रतिदिन विष्णु चालीसा का जाप कर सकते हैं।
- विष्णु चालीसा पढ़ने का उत्तम समय क्या है? सुबह स्नान के बाद और शाम को पूजा के समय इसे पढ़ना शुभ माना जाता है।
- क्या विष्णु चालीसा केवल बुधवार को ही पढ़ी जाती है? नहीं, आप सप्ताह के किसी भी दिन विष्णु चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आशा करता हूं प्रिय पाठकों, इस लेख से आपको विष्णु चालीसा का महत्व और इसके लाभों की अच्छी जानकारी मिली होगी। इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल करें और भगवान विष्णु के आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय बनाएं। जय विष्णु भगवान!
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