राम चालीसा: भक्ति, शांति, और आशीर्वाद का मार्ग
परिचय
नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करेंगे राम चालीसा की, जो हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रिय स्तुति है। श्री राम के प्रति अगाध भक्ति से भरी इन चालीस चौपाइयों में अपार शक्ति समाई है। जानते हैं इसके गूढ़ अर्थ, पाठ विधि, और राम चालीसा के अद्भुत लाभ के बारे में।
राम चालीसा एक भक्ति-काव्य है, जिसे महान कवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने रचा था। ‘चालीसा’ शब्द का अर्थ है ‘चालीस’। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, राम चालीसा में कुल चालीस चौपाइयां हैं, जहां हर चौपाई में श्रीराम के गुणों, शौर्य और लीलाओं का गान किया गया है।
राम चालीसा
॥ दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणंबाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं
॥ चौपाई ॥
श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
ता सम भक्त और नहिं होई ॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।
ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥
जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।
जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ॥
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।
दीनन के हो सदा सहाई ॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी ।
तुम भक्तन की लज्जा राखी ॥
गुण गावत शारद मन माहीं ।
सुरपति ताको पार न पाहीं ॥ 10 ॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई ।
ता सम धन्य और नहिं होई ॥
राम नाम है अपरम्पारा ।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों ।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों ॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
महि को भार शीश पर धारा ॥
फूल समान रहत सो भारा ।
पावत कोउ न तुम्हरो पारा ॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
तासों कबहुँ न रण में हारो ॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा ।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ॥
लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
सदा करत सन्तन रखवारी ॥
ताते रण जीते नहिं कोई ।
युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ॥
महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
सब विधि करत पाप को छारा ॥ 20 ॥
सीता राम पुनीता गायो ।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ॥
घट सों प्रकट भई सो आई ।
जाको देखत चन्द्र लजाई ॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत ।
नवो निद्धि चरणन में लोटत ॥
सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
सो तुम पर जावै बलिहारी ॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई ।
सो सीतापति तुमहिं बनाई ॥
इच्छा ते कोटिन संसारा ।
रचत न लागत पल की बारा ॥
जो तुम्हरे चरनन चित लावै ।
ताको मुक्ति अवसि हो जावै ॥
सुनहु राम तुम तात हमारे ।
तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे ।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ॥
जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥ 30 ॥
रामा आत्मा पोषण हारे ।
जय जय जय दशरथ के प्यारे ॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥
सत्य सत्य जय सत्य- ब्रत स्वामी ।
*सत्य सनातन अन्तर्यामी ॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
सो निश्चय चारों फल पावै ॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं ।
तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं ॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
नमो नमो जय जापति भूपा ॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा ।
नाम तुम्हार हरत संतापा ॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन ।
तुमहीं हो हमरे तन मन धन ॥
याको पाठ करे जो कोई ।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥ 40 ॥
आवागमन मिटै तिहि केरा ।
सत्य वचन माने शिव मेरा ॥
और आस मन में जो ल्यावै ।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥
साग पत्र सो भोग लगावै ।
सो नर सकल सिद्धता पावै ॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥
श्री हरि दास कहै अरु गावै ।
सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥
राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय ॥
चालीसा का महत्व
राम चालीसा का सच्चे मन से पाठ कई मायनों में फलदायी माना जाता है:
- भय और चिंता से मुक्ति: राम चालीसा का पाठ आत्मविश्वास बढ़ाता है और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
- मन की शांति: यह भक्ति स्तोत्र आपके मन को शांति और सुकून देता है।
- दिव्य अनुभूति: माना जाता है कि राम चालीसा का पाठ करने से श्रीराम का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
- इच्छाओं की पूर्ति: सच्चे दिल से की गई प्रार्थना और राम नाम का जप इच्छाओं की पूर्ति में सहायक हो सकता है।
रामचालीसा पाठ कैसे करें?
राम चालीसा का पाठ बहुत ही सरल है। आप इसे किसी भी समय कर सकते हैं; हालांकि, प्रातःकाल या संध्या के समय पाठ करना अत्यंत शुभ है।
पूजा विधि:
- स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- एक पूजा स्थल तैयार करें और श्रीराम की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- अगरबत्ती और दीप प्रज्वलित करें।
- श्रीराम को पुष्प अर्पित करें।
- पूरी श्रद्धा और विश्वास से श्री रामचंद्र जी का ध्यान करते हुए राम चालीसा का पाठ आरंभ करें।
श्रीराम की कथा
राम चालीसा से पहले या बाद में श्री राम की कथा का संक्षिप्त पाठ करना इसकी शक्ति को और बढ़ा देता है। आप रामायण के सुंदरकांड के कुछ प्रसंग बोल सकते हैं।
भक्तों के सच्चे अनुभव
श्री राम कथा और राम चालीसा के प्रति लोगों की आस्था अटूट है। कई ऐसे सच्चे प्रसंग सुनने को मिलते हैं, जहां राम भक्तों के जीवन में चमत्कार हुए हैं। आप कुछ ऐसे ही अनुभवों को संक्षेप में साझा कर सकते हैं।
राम चालीसा से जुड़े प्रश्न (FAQs)
- राम चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए? आप अपनी सुविधानुसार इसे जितनी बार चाहें पढ़ सकते हैं। एक, तीन, सात, या ग्यारह बार – कोई मनाही नहीं है।
- क्या महिलाएं भी राम चालीसा का पाठ कर सकती हैं? बिल्कुल! राम की भक्ति जाति या लिंग आधारित नहीं है। कोई भी व्यक्ति सच्चे दिल से राम चालीसा का पाठ कर सकता है।
- क्या राम चालीसा के पाठ के लिए कोई विशिष्ट दिन है? हालांकि आप इसे किसी भी दिन पढ़ सकते हैं, मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी के दिन माने जाते हैं, जो कि श्रीराम के सबसे बड़े भक्त हैं।
निष्कर्ष
मित्रों, श्री रामचंद्र जी मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं। उनका जीवन हमें सत्य, धर्म, और त्याग का मार्ग दिखाता है। राम चालीसा के नियमित पाठ से हम प्रभु राम के दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। आइए, हम प्रभु राम से प्रार्थना करते हैं कि वे हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं।
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