तुलसी माता की आरती (Tulsi Mata Aarti ):पूरी जानकारी के साथ
क्या आप जानते हैं तुलसी माता को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है? हिंदू धर्म में तुलसी पूजा बहुत ही शुभफलदायी मानी गई है। क्या आप चाहते हैं कि आपके घर में कभी धन-धान्य की कमी न हो? क्या आप अपने परिवार के सदस्यों के लिए अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं? अगर हाँ, तो आज ही अपने घर में तुलसी माता का पौधा लगाइए और प्रतिदिन उनकी पूजा कीजिए।
आइए, जानते हैं क्यों तुलसी की पूजा की जाती है और तुलसी पूजा का महत्व क्या है! इस ब्लॉग में आपको तुलसी माता की आरती और पूजा विधि के बारे में भी विस्तृत जानकारी मिलेगी।
तुलसी माता की आरती का महत्व
- घर में सुख-समृद्धि आती है: तुलसी माता को देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है। तुलसी पूजन से घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती है।
- आरोग्य मिलता है: तुलसी आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। तुलसी माता की पूजा करने से वातावरण शुद्ध होता है और व्यक्ति को कई आरोग्य संबंधी लाभ होते हैं।
- मनोकामनाएं पूरी होती हैं: सच्चे मन से तुलसी जी की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
तुलसी माता की पूजा विधि
- स्नान करें: तुलसी पूजा से पहले स्वयं को स्वच्छ करना चाहिए। स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
- तुलसी को जल दें: तुलसी माता को प्रातःकाल और शाम के समय जल अर्पित करना चाहिए।
- पुष्प अर्पित करें: तुलसी माता को ताज़े फूल चढ़ाएं।
- दीपक जलाएं: पूजा करते समय तुलसी के पौधे के सामने दीपक अवश्य जलाएं।
- आरती करें: तुलसी माता की आरती करें। इसके बाद परिक्रमा करें और प्रसाद बांटें।
तुलसी माता की आरती
॥ श्री तुलसी जी की आरती ॥
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता।
सब योगों के ऊपर, सब भोगों के ऊपर,
रुज से रक्षा कर भव त्राता।
॥ जय जय तुलसी माता ॥
बटु पुत्री है श्यामा सुर बल्ली है ग्राम्या,
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
॥ जय जय तुलसी माता ॥
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित,
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
॥ जय जय तुलसी माता ॥
लेकर जन्म विजन में आई दिव्य भवन में,
मानव लोक तुम्हीं से, सुख संपत्ति पाता।
॥ जय जय तुलसी माता ॥
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वर्ण कुमारी,
प्रेम अजब है उनका तुम से कैसा नाता।
॥ जय जय तुलसी माता ॥
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता।
सब योगों के ऊपर, सब भोगों के ऊपर,
रुज से रक्षा कर भव त्राता।
॥ जय जय तुलसी माता ॥
तुलसी माता से जुड़ी पौराणिक कथा
एक बहुत ही सुंदर और धर्मात्मा महिला थी, जिसका नाम वृंदा था। वृंदा भगवान विष्णु की अनन्य भक्त थीं। वृंदा के पति जलंधर नामक एक शक्तिशाली राक्षस थे। वृंदा के सतीत्व के कारण जलंधर को कोई भी हरा नहीं सकता था, यहाँ तक की देवता भी नहीं। तब भगवान विष्णु, वृंदा के पति, जलंधर का रूप धारण कर उसके पास गए। इस तरह वृंदा का सतीत्व भंग हो गया और जलंधर का वध हो सका। जब वृंदा को इस बात का पता चला, तो उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया कि वे पत्थर बन जाएं। बाद में उन्हें अपनी गलती का पछतावा हुआ और उन्होंने भगवान विष्णु से अपना श्राप वापस ले लिया, परंतु तब तक भगवान विष्णु, शालिग्राम रूपी पत्थर बन चुके थे। तब श्री वृंदा, स्वयं तुलसी का पौधा बन कर भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के साथ रहने लगीं।
तुलसी जी की पूजा का सर्वोत्तम समय
तुलसी जी की पूजा किसी भी दिन की जा सकती है, परंतु कार्तिक मास, देवउठनी एकादशी, और रविवार के दिन तुलसी माता की पूजा अत्यंत शुभदायक मानी जाती है।
तुलसी चालीसा के फायदे:
- भय और नकारात्मकता से मुक्ति: ऐसा माना जाता है कि जो श्रद्धा से तुलसी चालीसा पाठ करते हैं, उन्हें किसी भी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है और उनके मन से नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- रोगों से छुटकारा: तुलसी चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति को आरोग्य लाभ होता है और रोगों से शीघ्र मुक्ति मिलती है।
- पारिवारिक सुख में वृद्धि: जो भक्त नियमित रूप से तुलसी चालीसा का जाप करता है, उसके परिवार में सुख-शांति स्थापित होती है।
तुलसी पूजा से संबंधित मान्यताएँ
- तुलसी जी के पत्ते रविवार के दिन नहीं तोड़ने चाहिए।
- सूर्यास्त के पश्चात तुलसी जी को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
- तुलसी जी के पत्तों का सेवन भी अनेक रोगों से मुक्ति दिलाता है।
आइए, तुलसी माता को प्रणाम करें…
हे तुलसी माता, आपके गुणों का गान करने से मुख से सदा शुभ ही निकलता है! हम सब आपकी संतान हैं। हमें अपनी भक्ति और अपने आशीर्वाद से अपने चरणों में स्थान दें।
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