अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa)
परिचय
क्या आप जीवन में भरपूरता और समृद्धि की कामना रखते हैं? क्या आप आध्यात्मिक सुरक्षा और अन्न के अक्षय भंडार के लिए प्रार्थना करना चाहते हैं? यदि हां, तो अन्नपूर्णा चालीसा आपके मार्गदर्शन के लिए है। माता अन्नपूर्णा, भोजन और पोषण की हिंदू देवी हैं। यह शक्तिशाली प्रार्थना उनकी असीम कृपा, समृद्धि, और उनके द्वारा प्रदत्त पोषण को समर्पित है। आईए, गहनता के साथ अन्नपूर्णा चालीसा की शक्ति, महत्व और लाभों को एक्सप्लोर करें।
अन्नपूर्णा चालीसा
॥ माँ अन्नपूर्णा चालीसा ॥
॥ दोहा ॥
विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।॥ चौपाई ॥
नित्य आनंद करिणी माता,
वर अरु अभय भाव प्रख्याता ॥
जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी,
अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ॥
श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि,
संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ॥
काशी पुराधीश्वरी माता,
माहेश्वरी सकल जग त्राता ॥
वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी,
विश्व विहारिणि जय ! कल्याणी ॥
पतिदेवता सुतीत शिरोमणि,
पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ॥
पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा,
योग अग्नि तब बदन जरावा ॥
देह तजत शिव चरण सनेहू,
राखेहु जात हिमगिरि गेहू ॥
प्रकटी गिरिजा नाम धरायो,
अति आनंद भवन मँह छायो ॥
नारद ने तब तोहिं भरमायहु,
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ॥ 10 ॥
ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये,
देवराज आदिक कहि गाये ॥
सब देवन को सुजस बखानी,
मति पलटन की मन मँह ठानी ॥
अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या,
कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ॥
निज कौ तब नारद घबराये,
तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ॥
करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ,
संत बचन तुम सत्य परेखेहु ॥
गगनगिरा सुनि टरी न टारे,
ब्रहां तब तुव पास पधारे ॥
कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा,
देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ॥
तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी,
कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ॥
अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों,
है सौगंध नहीं छल तोसों ॥
करत वेद विद ब्रहमा जानहु,
वचन मोर यह सांचा मानहु ॥ 20 ॥
तजि संकोच कहहु निज इच्छा,
देहौं मैं मनमानी भिक्षा ॥
सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी,
मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ॥
बोली तुम का कहहु विधाता,
तुम तो जगके स्रष्टाधाता ॥
मम कामना गुप्त नहिं तोंसों,
कहवावा चाहहु का मोंसों ॥
दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा,
शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ॥
सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये,
कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ॥
तब गिरिजा शंकर तव भयऊ,
फल कामना संशयो गयऊ ॥
चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा,
तब आनन महँ करत निवासा ॥
माला पुस्तक अंकुश सोहै,
कर मँह अपर पाश मन मोहै ॥
अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे,
अज अनवघ अनंत पूर्णे ॥ 30 ॥
कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ,
भव विभूति आनंद भरी माँ ॥
कमल विलोचन विलसित भाले,
देवि कालिके चण्डि कराले ॥
तुम कैलास मांहि है गिरिजा,
विलसी आनंद साथ सिंधुजा ॥
स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी,
मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ॥
विलसी सब मँह सर्व सरुपा,
सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ॥
जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा,
फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ॥
प्रात समय जो जन मन लायो,
पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अघिकायो ॥
स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत,
परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ॥
राज विमुख को राज दिवावै,
जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ॥
पाठ महा मुद मंगल दाता,
भक्त मनोवांछित निधि पाता ॥ 40 ॥
॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा सुभग,
पढ़ि नावैंगे माथ ।
तिनके कारज सिद्ध सब,
साखी काशी नाथ ॥
अन्नपूर्णा चालीसा क्या है?
अन्नपूर्णा चालीसा एक भक्ति प्रार्थना है जो माँ अन्नपूर्णा की महिमा करती है। इसमें चालीस पद हैं, प्रत्येक देवी के दिव्य गुणों और शक्तियों की प्रशंसा करता है। ऐसा माना जाता है कि भक्ति के साथ अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करने से सुख, पोषण, समृद्धि और आध्यात्मिक सुरक्षा प्राप्त होती है।
अन्नपूर्णा देवी कौन हैं?
माँ अन्नपूर्णा सनातन धर्म में सबसे पूजनीय देवियों में से एक हैं। वह हमारे भोजन, पोषण, और अनंत समृद्धि की देवी हैं। माता अन्नपूर्णा, वाराणसी (काशी) की अधिष्ठात्री देवी भी हैं। अन्नपूर्णा माता की दयालुता और प्रेम की कोई सीमा नहीं है – वह हर एक प्राणी की पोषण करने वाली माता हैं।
अन्नपूर्णा चालीसा पढ़ने के लाभ
- भोजन की प्रचुरता: अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ भोजन का आशीर्वाद प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि आपके घर में अन्न की कभी कमी न हो।
- समृद्धि का आकर्षण: यह माना जाता है कि माँ अन्नपूर्णा का पाठ जीवन में धन और समृद्धि के द्वार खोलता है।
- शांति और संतोष: अन्नपूर्णा चालीसा भक्त के मन में शांति और संतोष लाती है।
- नकारात्मकता से मुक्ति: अन्नपूर्णा देवी नकारात्मक प्रभावों और शक्तियों को दूर करके आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- दिव्य अनुग्रह: अन्नपूर्णा माता की पूजा आपको उनके दिव्य अनुग्रह का पात्र बनने में मदद करती है।
अन्नपूर्णा चालीसा का अर्थ
अन्नपूर्णा चालीसा उन सभी गुणों, उपकारों, और शक्तियों पर प्रकाश डालती है जिनका देवी अन्नपूर्णा प्रतीक हैं। यहाँ कुछ प्रमुख विषय दिए गए हैं:
- देवी अन्नपूर्णा की महिमा: देवी को सर्वोच्च पोषणकर्ता, समृद्धि की देवी, और निर्माता के रूप में सम्मानित किया जाता है।
- माँ की करुणा: उन्हें सभी जीवित प्राणियों के लिए एक प्रेमपूर्ण, दयालु माँ के रूप में वर्णित किया गया है।
- अन्न का आशीर्वाद: उनसे भोजन और आश्रय की प्रचुरता की कामना की जाती है।
अन्नपूर्णा चालीसा कैसे पढ़ें?
- समर्पण: शुद्ध हृदय और भाव से अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करें।
- प्रसाद: अन्नपूर्णा माँ को भोग या प्रसाद अर्पित करें।
- मनन: चालीसा के अर्थ का चिंतन-मनन करें, अपनी पूरी ऊर्जा को माता की ओर समर्पित करें।
ज़रूर! यहां माँ अन्नपूर्णा की पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाली पारंपरिक पूजन सामग्री की सूची हिंदी में दी गई है:
आवश्यक पूजन सामग्री:
- मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा या तस्वीर: पूजा के लिए माता अन्नपूर्णा की एक प्रतिमा या पवित्र तस्वीर आवश्यक है।
- रोली/कुमकुम: मां अन्नपूर्णा को माथे पर लगाने के लिए रोली या कुमकुम।
- अक्षत (चावल): देवी को चढ़ाने के लिए बिना टूटे हुए चावल (अक्षत)।
- फूल: माँ अन्नपूर्णा को ताज़े, सुगंधित फूल अर्पित करें। सफेद और पीले फूल विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
- धूप / अगरबत्ती: शुद्ध वातावरण बनाने के लिए सुगंधित धूपबत्ती या अगरबत्ती जलाएं।
- दीपक और तेल/घी: आरती के लिए तेल का दीपक या शुद्ध घी का दीपक।
- कलश: तांबे या पीतल से बना कलश, इसे पवित्र जल से भरकर पूजा में रखा जाता है।
नैवेद्य (प्रसाद):
- फल: माता अन्नपूर्णा को ताजे फल चढ़ाए जा सकते हैं।
- मिठाई: आप देवी को कोई भी सात्विक मिठाई चढ़ा सकते हैं।
- खीर: चावल की खीर अन्नपूर्णा देवी का विशेष प्रिय भोग है।
अन्य सामग्री:
- पंचामृत: इसे दूध, दही, घी, शहद और शक्कर को मिलाकर बनाया जाता है।
- जनेऊ (पवित्र धागा): यदि उपलब्ध हो तो देवी की प्रतिमा को जनेऊ अर्पित करें।
- गंगाजल: पवित्र गंगाजल का उपयोग अनुष्ठानों में शुद्धि के लिए किया जाता है।
- एक साफ पूजा की थाली: सभी पूजा सामग्री को व्यवस्थित करने के लिए एक थाली का उपयोग करें।
उपसंहार
अन्नपूर्णा चालीसा एक शक्तिशाली, आध्यात्मिक मंत्र है। यह पोषण, बहुतायत और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति का एक मार्ग है। यदि आप अन्न, सुरक्षा और दिव्य आशीर्वाद की तलाश में हैं, तो अन्नपूर्णा चालीसा का जाप आपकी रक्षा करेगा और आपको पोषण देगा। माँ अन्नपूर्णा आप सभी पर अपनी भरपूर कृपा बरसाएं!
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