अन्नपूर्णा चालीसा: भोजन और समृद्धि की देवी को समर्पित स्तुति
परिचय
नमस्कार दोस्तों! क्या आप जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए देवी अन्नपूर्णा की कृपा पाना चाहते हैं? अन्नपूर्णा माता भोजन और पोषण की देवी हैं, जो अपने भक्तों को असीम आशीर्वाद देती हैं। अन्नपूर्णा चालीसा एक बहुत ही शक्तिशाली स्तुति (hymn) है जो माँ अन्नपूर्णा को समर्पित है। इस भक्ति स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। आइए, आज हम अन्नपूर्णा चालीसा का महत्व, पाठ विधि, मंत्र, लाभ इत्यादि पर विस्तार से चर्चा करें।
अन्नपूर्णा चालीसा
॥ माँ अन्नपूर्णा चालीसा ॥
॥ दोहा ॥
विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।॥ चौपाई ॥
नित्य आनंद करिणी माता,
वर अरु अभय भाव प्रख्याता ॥
जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी,
अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ॥
श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि,
संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ॥
काशी पुराधीश्वरी माता,
माहेश्वरी सकल जग त्राता ॥
वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी,
विश्व विहारिणि जय ! कल्याणी ॥
पतिदेवता सुतीत शिरोमणि,
पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ॥
पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा,
योग अग्नि तब बदन जरावा ॥
देह तजत शिव चरण सनेहू,
राखेहु जात हिमगिरि गेहू ॥
प्रकटी गिरिजा नाम धरायो,
अति आनंद भवन मँह छायो ॥
नारद ने तब तोहिं भरमायहु,
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ॥ 10 ॥
ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये,
देवराज आदिक कहि गाये ॥
सब देवन को सुजस बखानी,
मति पलटन की मन मँह ठानी ॥
अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या,
कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ॥
निज कौ तब नारद घबराये,
तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ॥
करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ,
संत बचन तुम सत्य परेखेहु ॥
गगनगिरा सुनि टरी न टारे,
ब्रहां तब तुव पास पधारे ॥
कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा,
देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ॥
तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी,
कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ॥
अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों,
है सौगंध नहीं छल तोसों ॥
करत वेद विद ब्रहमा जानहु,
वचन मोर यह सांचा मानहु ॥ 20 ॥
तजि संकोच कहहु निज इच्छा,
देहौं मैं मनमानी भिक्षा ॥
सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी,
मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ॥
बोली तुम का कहहु विधाता,
तुम तो जगके स्रष्टाधाता ॥
मम कामना गुप्त नहिं तोंसों,
कहवावा चाहहु का मोंसों ॥
दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा,
शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ॥
सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये,
कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ॥
तब गिरिजा शंकर तव भयऊ,
फल कामना संशयो गयऊ ॥
चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा,
तब आनन महँ करत निवासा ॥
माला पुस्तक अंकुश सोहै,
कर मँह अपर पाश मन मोहै ॥
अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे,
अज अनवघ अनंत पूर्णे ॥ 30 ॥
कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ,
भव विभूति आनंद भरी माँ ॥
कमल विलोचन विलसित भाले,
देवि कालिके चण्डि कराले ॥
तुम कैलास मांहि है गिरिजा,
विलसी आनंद साथ सिंधुजा ॥
स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी,
मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ॥
विलसी सब मँह सर्व सरुपा,
सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ॥
जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा,
फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ॥
प्रात समय जो जन मन लायो,
पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अघिकायो ॥
स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत,
परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ॥
राज विमुख को राज दिवावै,
जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ॥
पाठ महा मुद मंगल दाता,
भक्त मनोवांछित निधि पाता ॥ 40 ॥
॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा सुभग,
पढ़ि नावैंगे माथ ।
तिनके कारज सिद्ध सब,
साखी काशी नाथ ॥
अन्नपूर्णा चालीसा का महत्व
- अन्न का आशीर्वाद: अन्नपूर्णा देवी भोजन और पोषण का प्रतिनिधित्व करती हैं। अन्नपूर्णा चालीसा के पाठ से आपके घर में कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होगी।
- समृद्धि प्राप्ति: यह चालीसा जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए जानी जाती है।
- मनोकामना पूर्ति: माना जाता है कि अन्नपूर्णा चालीसा का सच्चे दिल से पाठ करने से मन की शुद्ध इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- नकारात्मकता से सुरक्षा: इस चालीसा का पाठ नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
कैसे करें अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ?
- समय और स्थान: सुबह या शाम, किसी भी साफ व शांत जगह पर आप इस चालीसा का पाठ कर सकते हैं। शुक्रवार का दिन विशेष रूप से अन्नपूर्णा देवी के लिए शुभ माना जाता है।
- पूजा सामग्री: एक चौकी (छोटी टेबल) स्थापित करें, और उस पर अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा या तस्वीर रखें। कुछ फूल, धूप, एक दीपक, और प्रसाद (मिठाई या फल) चढ़ाएं।
- विधि: आसन पर बैठकर आँखें बंद कर देवी अन्नपूर्णा का ध्यान करें। श्रद्धापूर्वक अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करें। पाठ के बाद देवी को प्रसाद चढ़ाएं, क्षमा याचना करें, और अपनी इच्छाएं उनके समक्ष प्रकट करें।
अन्नपूर्णा चालीसा के लाभ
- घर में अन्न-धन का भंडार भरता है।
- सुख, शांति और संतुष्टि मिलती है।
- भय और नकारात्मकता दूर होती है।
- सभी तरह की परेशानियाँ समाप्त होती हैं।
- मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अन्नपूर्णा माता से जुड़े भक्तों के अनुभव
अनेक भक्तों का अन्नपूर्णा चालीसा के प्रति अटूट विश्वास है। कई भक्तों ने अपने जीवन में अन्नपूर्णा चालीसा के सकारात्मक प्रभाव के बारे में अपनी गाथाएं सुनाई हैं। कुछ का मानना है कि चालीसा पाठ करने से उनकी आर्थिक समस्याएं दूर हो गई हैं, तो कुछ को अन्नपूर्णा देवी की कृपा से सुख और शांति प्राप्त हुई है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- क्या मुझे अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करने की आवश्यकता है? इस चालीसा के पाठ के लिए कोई सख्त नियम नहीं हैं। आप इसे शुद्ध हृदय और श्रद्धा के साथ पढ़ सकते हैं। हालांकि, सुबह स्नान के बाद और साफ कपड़े पहनकर पाठ करना अधिक शुभ माना जाता है।
- क्या मैं अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ बिना प्रतिमा या चित्र के कर सकता हूँ? बिल्कुल! अगर आपके पास अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा या चित्र नहीं है, तो भी आप मानसिक रूप से माता का ध्यान करके चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
- मैं अन्नपूर्णा चालीसा कहां से प्राप्त कर सकता हूं? आप किसी भी धार्मिक किताब की दुकान में अन्नपूर्णा चालीसा की किताब खरीद सकते हैं। कई वेबसाइटें भी ऑनलाइन चालीसा पाठ और ऑडियो प्रदान करती हैं। [invalid URL removed] जैसी वेबसाइटें एक उपयोगी संसाधन हो सकती हैं।
- कितनी बार अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करना चाहिए? आप अपनी इच्छा अनुसार प्रतिदिन या विशेष तिथियों पर चालीसा का पाठ कर सकते हैं । नवरात्रि और शुक्रवार का दिन अन्नपूर्णा देवी के पूजन के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
जीवन में अन्न का महत्व
आइए, एक क्षण रुक कर अन्न के महत्व पर विचार करें। भोजन हमारे अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। यह हमें वह ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है जिससे हम स्वस्थ और सक्रिय रहते हैं। बेशक, हम भोजन किए बिना जीवित नहीं रह सकते। इसलिए, हमारे भोजन और किसानों को सम्मान देना अति आवश्यक है। हमें भोजन की बर्बादी से हर हाल में बचना चाहिए।
देवी अन्नपूर्णा हमें भोजन के महत्व और कृतज्ञता के भाव को सिखाती हैं। उनके आशीर्वाद से हमें जीवन में कभी भी भोजन और अन्य आवश्यकताओं की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
निष्कर्ष
मित्रों, मुझे आशा है अन्नपूर्णा चालीसा की इस विस्तृत जानकारी से आप लाभान्वित हुए होंगे। यदि आपके मन में कोई अन्य प्रश्न हों तो उन्हें अवश्य टिप्पणी अनुभाग में लिखें। अन्नपूर्णा माता की दया से आप सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे!
माता अन्नपूर्णा से मेरी प्रार्थना है कि वे सदा आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखें। जय अन्नपूर्णा माता!
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