बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa)
भूमिका (Introduction)
- बगलामुखी रूप का गूढ़ रहस्य (The Enigma of Baglamukhi’s Form): हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मां बगलामुखी का स्वरूप मंत्र-शक्ति की अवधारणा का प्रतीक है। उनका पीला रंग वाणी और ज्ञान का, उनका दंड शत्रुओं पर नियंत्रण का, और उनके शत्रु के स्तंभन का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रतीकात्मकता के अर्थ को समझने से पाठक को देवी की शक्ति का गहरा संबंध महसूस करने में मदद मिलती है।
बगलामुखी चालीसा
॥ दोहा ॥
सिर नवाइ बगलामुखी,
लिखूं चालीसा आज ॥
कृपा करहु मोपर सदा,
पूरन हो मम काज ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री बगला माता ।
आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥
बगला सम तब आनन माता ।
एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥
शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी ।
असतुति करहिं देव नर-नारी ॥
पीतवसन तन पर तव राजै ।
हाथहिं मुद्गर गदा विराजै ॥ 4 ॥
तीन नयन गल चम्पक माला ।
अमित तेज प्रकटत है भाला ॥
रत्न-जटित सिंहासन सोहै ।
शोभा निरखि सकल जन मोहै ॥
आसन पीतवर्ण महारानी ।
भक्तन की तुम हो वरदानी ॥
पीताभूषण पीतहिं चन्दन ।
सुर नर नाग करत सब वन्दन ॥ 8 ॥
एहि विधि ध्यान हृदय में राखै ।
वेद पुराण संत अस भाखै ॥
अब पूजा विधि करौं प्रकाशा ।
जाके किये होत दुख-नाशा ॥
प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै ।
पीतवसन देवी पहिरावै ॥
कुंकुम अक्षत मोदक बेसन ।
अबिर गुलाल सुपारी चन्दन ॥ 12 ॥
माल्य हरिद्रा अरु फल पाना ।
सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना ॥
धूप दीप कर्पूर की बाती ।
प्रेम-सहित तब करै आरती ॥
अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे ।
पुरवहु मातु मनोरथ मोरे ॥
मातु भगति तब सब सुख खानी ।
करहुं कृपा मोपर जनजानी ॥ 16 ॥
त्रिविध ताप सब दुख नशावहु ।
तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ॥
बार-बार मैं बिनवहुं तोहीं ।
अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं ॥
पूजनांत में हवन करावै ।
सा नर मनवांछित फल पावै ॥
सर्षप होम करै जो कोई ।
ताके वश सचराचर होई ॥ 20 ॥
तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै ।
भक्ति प्रेम से हवन करावै ॥
दुख दरिद्र व्यापै नहिं सोई ।
निश्चय सुख-सम्पत्ति सब होई ॥
फूल अशोक हवन जो करई ।
ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई ॥
फल सेमर का होम करीजै ।
निश्चय वाको रिपु सब छीजै ॥ 24 ॥
गुग्गुल घृत होमै जो कोई ।
तेहि के वश में राजा होई ॥
गुग्गुल तिल संग होम करावै ।
ताको सकल बंध कट जावै ॥
बीलाक्षर का पाठ जो करहीं ।
बीज मंत्र तुम्हरो उच्चरहीं ॥
एक मास निशि जो कर जापा ।
तेहि कर मिटत सकल संतापा ॥ 28 ॥
घर की शुद्ध भूमि जहं होई ।
साध्का जाप करै तहं सोई ॥
सेइ इच्छित फल निश्चय पावै ।
यामै नहिं कदु संशय लावै ॥
अथवा तीर नदी के जाई ।
साधक जाप करै मन लाई ॥
दस सहस्र जप करै जो कोई ।
सक काज तेहि कर सिधि होई ॥ 32 ॥
जाप करै जो लक्षहिं बारा ।
ताकर होय सुयशविस्तारा ॥
जो तव नाम जपै मन लाई ।
अल्पकाल महं रिपुहिं नसाई ॥
सप्तरात्रि जो पापहिं नामा ।
वाको पूरन हो सब कामा ॥
नव दिन जाप करे जो कोई ।
व्याधि रहित ताकर तन होई ॥ 36 ॥
ध्यान करै जो बन्ध्या नारी ।
पावै पुत्रादिक फल चारी ॥
प्रातः सायं अरु मध्याना ।
धरे ध्यान होवैकल्याना ॥
कहं लगि महिमा कहौं तिहारी ।
नाम सदा शुभ मंगलकारी ॥
पाठ करै जो नित्या चालीसा ।
तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा ॥ 40 ॥
॥ दोहा ॥
सन्तशरण को तनय हूं,
कुलपति मिश्र सुनाम ।
हरिद्वार मण्डल बसूं ,
धाम हरिपुर ग्राम ॥
उन्नीस सौ पिचानबे सन् की,
श्रावण शुक्ला मास ।
चालीसा रचना कियौ,
तव चरणन को दास
पीताम्बरा का महत्व (Significance of the Yellow Cloth):
पीले वस्त्र पर पूजा करने के निर्देश से परे, बताइए कि पीला रंग शुद्धता, ज्ञान और शुभता का प्रतीक होने के कारण माँ बगलामुखी को अत्यंत प्रिय है। यह स्पष्टीकरण पाठक के लिए पूजा प्रक्रिया को और भी सार्थक बनाता है।
हल्दी चढ़ाने का उद्देश्य (Purpose of offering turmeric)
हल्दी अपनी औषधीय और शुद्धिकरण गुणों के लिए जानी जाती है। यह बताकर कि भक्त हल्दी चढ़ाकर खुद को नकारात्मकता से शुद्ध करने की इच्छा दिखाते हैं, आप पूजा के पीछे के प्रतीकवाद को अधिक गहराई से उजागर कर रहे हैं।
बगलामुखी पूजा के लिए आवश्यक सामग्री ( Pujan Samagri for Baglamukhi Puja)
- मां बगलामुखी की मूर्ति या चित्र (Maa Baglamukhi Idol or Picture): यह पूजा का केंद्र बिंदु है। अगर मूर्ति नहीं है तो देवी बगलामुखी का एक पवित्र चित्र भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- पीला वस्त्र (Yellow Cloth): एक पीले वस्त्र को पूजा स्थल या चौकी पर बिछाएं जहां देवी की मूर्ति/तस्वीर स्थापित की जाएगी। पीला रंग माँ बगलामुखी को प्रसन्न करने वाला माना जाता है।
- हल्दी (Turmeric): हल्दी अपने शुद्धिकरण गुणों के साथ-साथ माँ बगलामुखी के पीले रंग से जुड़ी है। पूजा अनुष्ठानों में हल्दी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
- पीले फूल (Yellow Flowers): गेंदा, गुलाब, या कोई अन्य मौसमी पीले फूलों की माला या ढेर। फूल भक्ति और पवित्रता का प्रतीक हैं।
- सिंदूर (Vermillion): सिंदूर का हिंदू अनुष्ठानों में बहुत महत्व है, और देवी के माथे पर सिंदूर चढ़ाया जाता है।
- अक्षत (Rice Grains): अखंड, साबुत चावल के दाने समृद्धि और शुभता के प्रतीक हैं। इन्हें देवी को अर्पित किया जाता है।
- पीली मिठाई (Yellow Sweets): लड्डू, बर्फी, या हलवा जैसी पीली मिठाई का नैवेद्य के रूप में प्रयोग करें।
- फल (Fruits): केले या कोई अन्य मौसमी पीले फल भेंट के रूप में उपयुक्त होते हैं।
- हवन सामग्री (Havan Ingredients): यदि बगलामुखी हवन भी किया जा रहा है, तो आपको समिधा (सूखी लकड़ी), घी, कपूर आदि की आवश्यकता होगी।
- नारियल (Coconut): एक नारियल अनुष्ठान के लिए आवश्यक है क्योंकि यह एक शुभ फल माना जाता है।
- पंचामृत (Panchamrit) पांच अमृतों का मिश्रण – दूध, दही, घी, शहद और चीनी।
- जनेऊ (Sacred Thread): एक पवित्र जनेऊ, विशेष रूप से पीले रंग का, अगर उपलब्ध हो।
- दीपक (Oil lamp) घी या तेल वाला दीपक पूजा के दौरान जलाना चाहिए।
- धूप / अगरबत्ती (Incense) पूजा स्थल पर सुखदायक वातावरण बनाने के लिए सुगंधित धूप या अगरबत्ती।
- जल कलश (Water Vessel) एक तांबे या कांसे का कलश शुद्ध जल से भरा हुआ।
0 टिप्पणियाँ