Santoshi Mata Chalisa
Introduction
Mother Santoshi is the goddess of contentment and inner peace. Devotees regularly recite Santoshi Mata Chalisa to receive her blessings. This Chalisa is a devotional hymn that praises the Mother Goddess and asks for her grace and blessings.
Importance of Santoshi Mata Chalisa
Reciting Santoshi Mata Chalisa is believed to have many benefits, including:
- One gets peace of mind.
- Satisfaction and fulfillment of devotees’ life increases.
- By the grace of Mother Santoshi one gets relief from troubles.
- The wishes of the devotees are fulfilled.
Method of recitation of Santoshi Mata Chalisa
Santoshi Mata Chalisa is recited on the most auspicious day, Friday. Here are a few suggestions:
- Light a lamp in front of the goddess.
- Offer jaggery and gram prasad to Mother Santoshi.
- Recite Chalisa with full devotion and devotion.
Santoshi Mata Chalisa
॥ दोहा ॥
बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार॥
भक्तों को संतोष दे संतोषी तव नाम।
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम॥
॥ चालीसा ॥
जय सन्तोषी मात अनुपम।
शांति दायिनी रूप मनोरम॥
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूप।
वेश मनोहर ललित अनुपा॥
श्वेताम्बर रूप मनहारी।
माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी॥
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन।
दर्शन से हो संकटमोचन॥
जय गणेश की सुता भवानी।
रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी॥
अगम अगोचर तुम्हरी माया।
सब पर करो कृपा की छाया॥
नाम अनेक तुम्हारे माता।
अखिल विश्व है तुमको ध्याता॥
तुमने रूप अनेकों धारे।
को कहि सके चरित्र तुम्हारे॥
धाम अनेक कहाँ तक कहिये।
सुमिरन तब करके सुख लहिये॥
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी।
कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी॥
कलकत्ते में तू ही काली।
दुष्ट नाशिनी महाकराली॥
सम्बल पुर बहुचरा कहाती।
भक्तजनों का दुख मिटाती॥
ज्वाला जी में ज्वाला देवी।
पूजत नित्य भक्त जन सेवी॥
नगर बम्बई की महारानी।
महा लक्ष्मी तुम कल्याणी॥
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो।
सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो॥
राजनगर में तुम जगदम्बे।
बनी भद्रकाली तुम अम्बे॥
पावागढ़ में दुर्गा माता।
अखिल विश्व तेरा यश गाता॥
काशीपुराधीश्वरी माता।
अन्नपूर्णा नाम सुहाता॥
सर्वानंद करो कल्याणी।
तुम्हीं शारदा अमृतवाणी॥
तुम्हरी महिमा जल में थल में।
दुःख दारिद्र सब मेटो पल में॥
जेते ऋषि और मुनीशा।
नारद देव और देवेशा।
इस जगती के नर और नारी।
ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी॥
जापर कृपा तुम्हारी होती।
वह पाता भक्ति का मोती॥
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता।
ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता॥
जो जन तुम्हरी महिमा गावै।
ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै॥
जो मन राखे शुद्ध भावना।
ताकी पूरण करो कामना॥
कुमति निवारि सुमति की दात्री।
जयति जयति माता जगधात्री॥
शुक्रवार का दिवस सुहावन।
जो व्रत करे तुम्हारा पावन॥
गुड़ छोले का भोग लगावै।
कथा तुम्हारी सुने सुनावे॥
विधिवत पूजा करे तुम्हारी।
फिर प्रसाद पावे शुभकारी॥
शक्ति- सामरथ हो जो धनको।
दान- दक्षिणा दे विप्रन को॥
वे जगती के नर औ नारी।
मनवांछित फल पावें भारी॥
जो जन शरण तुम्हारी जावे।
सो निश्चय भव से तर जावे॥
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे।
निश्चय मनवांछित वर पावै॥
सधवा पूजा करे तुम्हारी।
अमर सुहागिन हो वह नारी॥
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा।
भवसागर से उतरे पारा॥
जयति जयति जय संकट हरणी।
विघ्न विनाशन मंगल करनी॥
हम पर संकट है अति भारी।
वेगि खबर लो मात हमारी॥
॥ दोहा ॥
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास।
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास॥
॥ इति श्री संतोषी माता चालीसा ॥
Santoshi Mata Pooja Material
- Statue or picture of Santoshi Mata
- flowers and garlands
- incense, incense sticks
- Deepak (with oil or ghee)
- roli and kumkum
- Prasad – Jaggery and gram
- Santoshi Mata Vrat Katha Book
Conclusion
Santoshi Mata Chalisa is a powerful way to achieve contentment and peace in life. By chanting it regularly, devotees definitely get the blessings of Maa Santoshi.
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