गणेश चालीसा: अर्थ, लाभ, पूजा विधि, और इस शक्तिशाली प्रार्थना की कथा
परिचय
नमस्कार दोस्तों! भगवान गणेश को हम सभी विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि के देवता के रूप में मानते हैं। गणेश चालीसा एक भक्ति प्रार्थना है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। यह उनका आह्वान करती है, उनकी प्रशंसा करती है और उनसे आशीर्वाद मांगती है। आइए, आज इस ब्लॉग में गणेश चालीसा का अर्थ, लाभ, पूजा विधि और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में गहराई से जानते हैं।
गणेश चालीसा
॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,
ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो,
मंगल मूर्ती गणेश ॥
गणेश चालीसा के लाभ
- बाधाओं को दूर करता है: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है। उनका आह्वान करने से जीवन में चल रही समस्याएं दूर होती हैं।
- बुद्धि प्रदान करता है: गणेश चालीसा के नियमित पाठ से बुद्धि का विकास होता है और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
- सफलता और समृद्धि: गणेश चालीसा पढ़ने से जीवन में सफलता आकर्षित होती है और सभी प्रयासों में शुभता आती है।
- आत्मविश्वास और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है: यह चालीसा हमें मन की शांति प्रदान करती है और जीवन के प्रति एक आशावादी दृष्टिकोण बनाने में मदद करती है।
चालीसा पाठ की पूजा विधि
- घर के पूजा स्थल को साफ करें: गणपति की मूर्ति या तस्वीर को एक साफ चौकी पर लाल वस्त्र के साथ स्थापित करें।
- संकल्प लें: अपने सामने एक कलश में जल रखें और गणपति बप्पा से अपने जीवन की बाधाएं दूर करने, और सफलता पाने का संकल्प लें।
- गणेश जी का आह्वान : घी का दीपक और धूप जलाएं। अक्षत (चावल), फूल, दूर्वा, और मिठाई चढ़ाएं। हाथ में जल लेकर गणेश जी ध्यान व उनका आह्वान करें।
- गणेश चालीसा का पाठ करें: श्रद्धापूर्वक गणेश चालीसा का पाठ करें। पाठ के बाद भगवान की आरती उतारें।
- प्रसाद वितरण करें: पूजा के उपरांत प्रसाद सभी में वितरित करें।
गणेश चालीसा से संबंधित कथा
गणेश चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी ऐसा माना जाता है। एक कथा के अनुसार, तुलसीदास जी को मुगल शासक अकबर ने कैद कर लिया था। तब भगवान गणेश से प्रार्थना करते हुए उन्होंने गणेश चालीसा की रचना की। इसे पढ़ने मात्र से वे जेल से छूट गए और भगवान राम पर आधारित रामचरितमानस जैसा महान ग्रंथ लिखने में भी सफल हुए।
उपसंहार
मैं आशा करता हूं कि आपको गणेश चालीसा के बारे में यह विस्तृत जानकारी पसंद आई होगी। गणेश चालीसा को सच्चे मन और श्रद्धा से जपने से आपके जीवन में निश्चित रूप से सकारात्मक बदलाव आएंगे। गणपति बप्पा मोरया!
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