अम्बे तू है जगदम्बे काली: माँ दुर्गा, माँ काली आरती
- मां दुर्गा और मां काली: शक्ति के प्रतीक
- माँ दुर्गा और माँ काली की आरती
- माँ दुर्गा और माँ काली आरती का महत्व
- माँ दुर्गा/माँ काली की पूजा विधि
- पूजन सामग्री
- माँ दुर्गा/माँ काली पूजा से जुड़ी कथाएं
- मां दुर्गा/मां काली के भक्तों की कहानियां
- मां दुर्गा और मां काली पूजा के लाभ
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- मां दुर्गा और मां काली : मंत्रों की शक्ति
- मंत्र जाप करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- मां दुर्गा/ मां काली चालीसा
- मां दुर्गा/ मां काली से संबंधित महत्वपूर्ण मंदिर
भारतीय संस्कृति और धर्म में, माँ दुर्गा और माँ काली को पूजनीय शक्ति स्वरूप माना जाता है। वह स्त्री-शक्ति और भक्ति का सर्वोच्च रूप हैं, जिनकी आराधना से भय, बाधाएं दूर होती हैं, और साहस व आत्मविश्वास का संचार होता है।
मां दुर्गा और मां काली: शक्ति के प्रतीक
दुर्गा, जिसका अर्थ है “जिस तक पहुंचना या पराजित करना कठिन है”, आदिशक्ति यानी मूल, निराकार शक्ति की अवतार हैं। उन्हें अष्टभुजा (आठ हाथों वाली), शेर पर सवार, और राक्षसों के विनाश के लिए विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण करने वाली शक्तिशाली देवी के रूप में चित्रित किया गया है।
मां काली, भगवान शिव के क्रोध से जन्मीं, विनाश और परिवर्तन की देवी हैं। वह काल या समय का स्त्री रूप मानी जाती हैं। भयावह होते हुए भी, उनकी छवि में एक ममता का भाव है। मां काली अंधकार से लड़ती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।
माँ दुर्गा और माँ काली की आरती
आरती हिंदू पूजा का एक अनिवार्य अंग है, जिसमें घंटियों और शंख की ध्वनि के बीच देवी-देवताओं के समक्ष एक दीपक घुमाते हुए भक्ति गीत कीर्तन किया जाता है। माँ दुर्गा और माँ काली की आरती उनके गुणों, शक्तियों और महिमा का गुणगान करती है तथा उनसे आशीर्वाद और सुरक्षा की याचना करती है।
आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
तेरे भक्त जनो पर,
भीर पडी है भारी माँ ।
दानव दल पर टूट पडो,
माँ करके सिंह सवारी ।
सौ-सौ सिंहो से बलशाली,
अष्ट भुजाओ वाली,
दुष्टो को पलमे संहारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
माँ बेटे का है इस जग मे,
बडा ही निर्मल नाता ।
पूत – कपूत सुने है पर न,
माता सुनी कुमाता ॥
सब पे करूणा दरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखियो के दुखडे निवारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
नही मांगते धन और दौलत,
न चांदी न सोना माँ ।
हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,
इक छोटा सा कोना ॥
सबकी बिगडी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को सवांरती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
—– Addition —-
चरण शरण मे खडे तुम्हारी,
ले पूजा की थाली ।
वरद हस्त सर पर रख दो,
मॉ सकंट हरने वाली ।
मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओ वाली,
भक्तो के कारज तू ही सारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
माँ दुर्गा और माँ काली आरती का महत्व
मां की आरती करना कई प्रकार से लाभकारी माना जाता है:
- आध्यात्मिक विकास: आरती भक्ति और ईश्वर से जुड़ने का माध्यम है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: आरती की मधुर धुनियां शांति और सकारात्मकता का वातावरण बनाती हैं।
- बाधाओं को दूर करने में मदद: ऐसा विश्वास है कि माँ दुर्गा और माँ काली का आशीर्वाद जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देता है।
माँ दुर्गा/माँ काली की पूजा विधि
- शुद्धि: स्नान आदि करके खुद को और पूजा स्थान को शुद्ध करें।
- संकल्प: एक संक्षिप्त संकल्प लें, जिसमें पूजा का उद्देश्य प्रकट हो।
- आवाहन: मां दुर्गा या काली को अपने पूजा स्थल में पधारने का आह्वान करें।
- पूजा: मां की प्रतिमा/तस्वीर को फूल, फल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- स्तवन: मंत्रों, स्तोत्रों या भक्ति गीतों के माध्यम से देवी की स्तुति करें।
- आरती: माँ दुर्गा या माँ काली की आरती हृदयपूर्वक गाएं।
पूजन सामग्री
- मां दुर्गा/ काली की प्रतिमा या तस्वीर
- फूल, माला
- रोली, सिंदूर
- अक्षत
- फल, मिठाई, अन्य प्रसाद
- धूप, दीपक, तेल/घी
- आरती की थाली
- जल
माँ दुर्गा/माँ काली पूजा से जुड़ी कथाएं
मां दुर्गा और मां काली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, उनमें से कुछ प्रसिद्ध हैं:
- महिषासुर वध: महिषासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से धरती त्रस्त थी। देवताओं ने मिलकर आदिशक्ति को प्रकट किया और उन्होंने दुर्गा का रूप धरकर महिषासुर का वध किया।
- रक्तबीज वध: शुम्भ और निशुम्भ नामक राक्षसों से युद्ध में, देवी दुर्गा को रक्तबीज का सामना करना पड़ा, एक ऐसा राक्षस जिसके खून की बूंदों से उसके जैसे ही नए राक्षस पैदा होते थे। मां दुर्गा ने काली का रूप धर कर रक्तबीज का वध किया।
मां दुर्गा/मां काली के भक्तों की कहानियां
कई भक्तों ने मां दुर्गा और मां काली के चमत्कारों और उनके प्रति हृदय में भक्ति से प्राप्त होने वाले सुखों का वर्णन किया है। भारत में ऐसे अनगिनत उदाहरण मिल जाएंगे जहां संकट के समय मां की आराधना से भक्त की जान बचाई, उसे असंभव कार्य में सफलता मिली, या मन को शांति का अनुभव हुआ।
मां दुर्गा और मां काली पूजा के लाभ
- आंतरिक शक्ति: मां की उपासना करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है, और मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
- सुरक्षा: मां दुर्गा व काली के भक्तों को एक प्रकार की सुरक्षा का अहसास होता है। वे मानते हैं कि देवी उनकी रक्षा करती हैं।
- मन की शांति: मां की भक्ति और आरती करने से मन में एक अद्भुत शांति का संचार होता है। चिंताएं और नकारात्मक भाव दूर होते हैं।
- इच्छा पूर्ति: माना जाता है कि माता की सच्चे मन से की गई आराधना से भक्तों की उचित मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- नवरात्रि में मां दुर्गा व काली की पूजा का विशेष महत्व क्यों है? नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की शक्ति की उपासना को समर्पित है। नवरात्रि में नौ दिनों तक उनकी प्रतिदिन पूजा और आराधना की जाती है।
- मां दुर्गा और मां काली को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए? मां की सच्चे मन से पूजा करने, शुद्ध आचरण रखने, किसी का बुरा न करने और नियमित रूप से उनकी आरती करने से मां प्रसन्न होती हैं।
- आरती करने का सबसे अच्छा समय क्या है? मां की आरती दिन में कभी भी की जा सकती है, लेकिन बहुत से लोग सुबह और/या शाम को आरती करने का विशेष ध्यान रखते हैं।
- क्या आरती के दौरान कोई विशेष ध्यान रखने योग्य है? आरती करते हुए मन में भाव रखना, श्रद्धा से गाना, और आरती के माध्यम से मां के प्रति अपने समर्पण का भाव व्यक्त करना महत्वपूर्ण है।
क्या आप इस आराधना से जुड़े हैं?
प्रिय पाठकों, अगर माँ दुर्गा या माँ काली की उपासना आपकी दिनचर्या का एक हिस्सा है, या उनकी कृपा के किस्से आपने सुने हैं, तो कृपया उन्हें नीचे टिप्पणी में साझा करें। आपकी कहानियां निश्चित रूप से इस जानकारी में एक आध्यात्मिक आयाम जोड़ देंगी और बाकी भक्तों के लिए प्रेरणादायक होंगी!
मां दुर्गा और मां काली : मंत्रों की शक्ति
माँ दुर्गा और काली की आराधना में विशेष मंत्रों का जाप महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक मंत्र की अपनी एक विशेष ऊर्जा होती है, और माना जाता है कि इनके जाप से विशिष्ट लाभ प्राप्त होते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण मंत्र हैं:
दुर्गा मंत्र:
- ॐ दुं दुर्गायै नमः – यह सरल लेकिन शक्तिशाली मंत्र मां दुर्गा का मूल मंत्र है। यह सुरक्षा, आंतरिक शक्ति प्रदान करता है और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में मदद करता है।
- नवार्ण मंत्र – नौ अक्षरों वाला यह मंत्र (ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे) मां दुर्गा के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करता है। यह मंत्र मनोकामनाओं की पूर्ति, बाधाओं को दूर करने और सफलता प्राप्त करने में सहायक माना जाता है।
काली मंत्र:
- ॐ क्रीं कालिकायै नमः – मां काली को समर्पित यह बीज मंत्र जीवन में बड़े बदलाव लाने, अंधकार का सामना करने की ताकत देने, और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक माना जाता है।
- ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरी कालिकायै स्वाहा – यह एक तांत्रिक मंत्र है जो सावधानी के साथ उपयोग किया जाना चाहिए। अत्यंत शक्तिशाली, यह मंत्र सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति और त्वरित परिणामों के लिए जाना जाता है।
मंत्र जाप करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- उच्चारण: मंत्रों का सही उच्चारण अति आवश्यक है। यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं, तो ऑनलाइन संसाधनों या किसी जानकार व्यक्ति से सीख लें।
- भाव: मंत्र का अर्थ समझने का प्रयास करें, और जाप करते समय उस भाव के साथ जुड़ें।
- एकाग्रता: एक शांत जगह ढूंढें जहां आप बिना किसी बाधा के मंत्र पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
- नियमितता: नियमित अभ्यास से मंत्र जाप का सबसे अधिक लाभ मिलता है।
मां दुर्गा/ मां काली चालीसा
चालीसा भक्ति काव्य की एक शैली है जिसमें चालीस छंद होते हैं। मां दुर्गा और मां काली के समक्ष भी भक्तों द्वारा हृदयपूर्वक चालीसा का पाठ किया जाता है। चालीसा के माध्यम से, भक्त देवी का गुणगान करते हैं, अपनी समस्याओं का निवारण करते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं।
मां दुर्गा/ मां काली से संबंधित महत्वपूर्ण मंदिर
भारत में, माँ दुर्गा और माँ काली के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। यहाँ कुछ सबसे प्रतिष्ठित हैं:
- वैष्णो देवी मंदिर (जम्मू और कश्मीर): पहाड़ियों में स्थित यह प्राचीन मंदिर एक अत्यधिक लोकप्रिय तीर्थस्थल है।
- कालकाजी मंदिर (दिल्ली): मां काली को समर्पित यह प्राचीन मंदिर दिल्ली में स्थित है।
- दक्षिणेश्वर काली मंदिर (कोलकाता): रामकृष्ण परमहंस से जुड़ा यह मंदिर कोलकाता के निकट हुगली नदी के तट पर स्थित है।
- कामाख्या मंदिर (असम): शक्ति पीठों में से एक, यह गुवाहाटी में स्थित मंदिर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
सारांश
मां दुर्गा और मां काली शक्ति, भक्ति और परिवर्तन का प्रतीक हैं। उनकी आरती करना, मंत्रों का जाप करना और चालीसा पढ़ना भक्तों को एक उच्च शक्ति से जोड़ता है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है।
यदि आप मां के भक्त हैं, या उनकी शक्ति के बारे में और जानना चाहते हैं, तो आपको अपने पूजा स्थान में इस अद्भुत आरती को शामिल करना चाहिए …
जय मां दुर्गा! जय मां काली!
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