कुबेर चालीसा (Kuber Chalisa)
कुबेर चालीसा: धन और समृद्धि को आकर्षित करने का एक दिव्य मार्ग
नमस्कार दोस्तों! क्या आप आर्थिक संपन्नता और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं? यदि हाँ, तो कुबेर चालीसा के बारे में जानना आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा। आइए, इस शक्तिशाली प्रार्थना की गहराई में उतरें और समझें कि कैसे यह हमारे जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
कुबेर कौन हैं?
हिंदू पौराणिक कथाओं में, कुबेर को धन, भाग्य और समृद्धि के देवता के रूप में जाना जाता है। उन्हें सभी देवताओं का कोषाध्यक्ष माना जाता है। भगवान शिव के परम भक्त, कुबेर को उत्तर दिशा के संरक्षक के रूप में भी पूजा जाता है।
कुबेर चालीसा क्या है?
कुबेर चालीसा भगवान कुबेर की स्तुति में लिखा गया भक्ति-गीत है। ‘चालीसा’ का अर्थ है चालीस छंदों का एक संकलन। इस प्रार्थना के नियमित पाठ से भगवान कुबेर की कृपा प्राप्त हो सकती है, जिससे घर में धन वैभव की कभी कमी नहीं रहती।
कुबेर चालीसा
॥ दोहा ॥
जैसे अटल हिमालय,
और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे,
अविचल खडे कुबेर ॥विघ्न हरण मंगल करण,
सुनो शरणागत की टेर ।
भक्त हेतु वितरण करो,
धन माया के ढेर ॥
॥ चौपाई ॥
जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी ।
धन माया के तुम अधिकारी ॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।
पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी ।
सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी ॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी ।
सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥4॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं ।
युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥
सदा विजयी कभी ना हारैं ।
भगत जनों के संकट टारैं ॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता ।
पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता ।
विभीषण भगत आपके भ्राता ॥8॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया ।
घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया ।
अमृत पान करी अमर हुई काया ॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में ।
देवी देवता सब फिरैं साथ में ॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में ।
बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥12॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं ।
त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं ।
गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं ।
ऋद्धि-सिद्धि नित भोग लगावैं ॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं ।
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं ॥16॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं ।
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं ।
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं ।
पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं ॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं ।
वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ॥20॥
कांधे धनुष हाथ में भाला ।
गले फूलों की पहनी माला ॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला ।
दूर-दूर तक होए उजाला ॥
कुबेर देव को जो मन में धारे ।
सदा विजय हो कभी न हारे ॥
बिगड़े काम बन जाएं सारे ।
अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥24॥
कुबेर गरीब को आप उभारैं ।
कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥
कुबेर भगत के संकट टारैं ।
कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे ।
क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं ।
दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं ॥28॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं ।
अड़े काम को कुबेर बनावैं ॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं ।
कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं ॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे ।
कुबेर गिरे को पुन: उठा दे ॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे ।
कुबेर भूले को राह बता दे ॥32॥
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे ।
भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दे ।
दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दे ।
कारोबार को कुबेर बढ़ा दे ॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दे ।
चोर ठगों से कुबेर बचा दे ॥36॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावै ।
जो कुबेर को मन में ध्यावै ॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं ।
मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ॥
पाठ करे जो नित मन लाई ।
उसकी कला हो सदा सवाई ॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई ।
उसका जीवन चले सुखदाई ॥40॥
जो कुबेर का पाठ करावै ।
उसका बेड़ा पार लगावै ॥
उजड़े घर को पुन: बसावै ।
शत्रु को भी मित्र बनावै ॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई ।
सब सुख भोद पदार्थ पाई ॥
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई ।
मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ॥44॥
॥ दोहा ॥
शिव भक्तों में अग्रणी,
श्री यक्षराज कुबेर ।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर,
कर दो दूर अंधेर ॥
कर दो दूर अंधेर अब,
जरा करो ना देर ।
शरण पड़ा हूं आपकी,
दया की दृष्टि फेर ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
कुबेर चालीसा पाठ के लाभ
- धन की प्राप्ति: कुबेर चालीसा का निरंतर पाठ करने वालों को आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
- समृद्धि में वृद्धि: यह माना जाता है कि प्रार्थना के माध्यम से भगवान कुबेर अपने भक्तों के जीवन में समृद्धि लाते हैं।
- बाधाओं से मुक्ति: कुबेर चालीसा पाठ करने वाले व्यक्तियों पर आने वाली वित्तीय चुनौतियों और बाधाओं से कुबेर रक्षा करते हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: भक्ति भाव से इस प्रार्थना का पाठ करने से आपकी शुभ मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
- सकारात्मकता का संचार: कुबेर चालीसा एक आशा, उत्साह और सकारात्मकता जगाने वाली प्रार्थना है।
कुबेर चालीसा पाठ करने का सही तरीका
- शुद्धिकरण: पाठ से पहले स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें। साफ कपड़े पहनें।
- सामग्री: कुछ फूल, धूप, एक दीपक और प्रसाद के रूप में कुछ मिठाई इकट्ठा करें।
- आसन: एक स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठ जाएं, अधिमानतः उत्तर दिशा की ओर मुख करके।
- संकल्प: भगवान कुबेर का ध्यान करें और उनसे धन और समृद्धि के आशीर्वाद हेतु प्रार्थना करें।
- पाठ: कुबेर चालीसा को पूरी श्रद्धा और एकाग्रता से पढ़ें या सुनें।
- आरती: पाठ के बाद भगवान कुबेर की आरती करें।
- प्रसाद वितरण: प्रसाद को भक्तों में बांटें।
कुबेर चालीसा पाठ का सर्वोत्तम समय
कुबेर चालीसा का जाप आप प्रतिदिन कर सकते हैं। हालांकि, शुक्रवार और प्रदोष के दिन पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है।
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