लक्ष्मीजी आरती
- लक्ष्मी जी: धन और समृद्धि की देवी
- लक्ष्मी जी की आरती का महत्व
- लक्ष्मी जी की आरती (हिंदी में):
- लक्ष्मी जी से जुड़ी पौराणिक कथाएं
- लक्ष्मी पूजन सामग्री
- लक्ष्मी पूजा विधि: घर में सुख-समृद्धि लाने का पवित्र अनुष्ठान
- लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
- लक्ष्मी पूजन सामग्री
- पूजा की विस्तृत प्रक्रिया
- लक्ष्मी पूजा के अन्य महत्वपूर्ण पहलू
- ध्यान देने योग्य बातें:
- लक्ष्मी चालीसा/लक्ष्मी मंत्र
- लक्ष्मी जी की आरती करने के अद्भुत लाभ
- लक्ष्मी पूजन कथा
- उपसंहार
लक्ष्मी जी: धन और समृद्धि की देवी
भारतीय संस्कृति में, देवी लक्ष्मी जी को धन, समृद्धि, सौभाग्य और आध्यात्मिक उन्नति की देवी माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से जीवन में सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु की पत्नी के रूप में भी पूजा जाता है।…
लक्ष्मी जी की आरती का महत्व
लक्ष्मीजी की आरती एक भक्ति गीत है जो देवी लक्ष्मी की स्तुति के रूप में गाया जाता है। इसे गाकर हृदय में भक्तिभाव उत्पन्न होता है और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। धनतेरस और दिवाली जैसे विशेष अवसरों पर लक्ष्मी जी की आरती विशेष महत्व रखती है।…
लक्ष्मी जी की आरती (हिंदी में):
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय,
वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
लक्ष्मी जी से जुड़ी पौराणिक कथाएं
समुद्र मंथन की कथा: इस कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया, तो माता लक्ष्मी भी प्रकट हुईं थीं।
माता लक्ष्मी और कुबेर की कथा: इस कथा के अनुसार माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से कुबेर धन के देवता बने।
अन्य प्रचलित कथाएं भी जोड़ सकते हैं।
लक्ष्मी पूजन सामग्री
लक्ष्मी और गणेश प्रतिमाएं
चौकी, लाल कपड़ा
कलश, आम के पत्ते
नारियल, पान के पत्ते, सुपारी
चावल, हल्दी, कुमकुम, सिंदूर
पुष्प, धूप, दीप, अगरबत्ती
फल, मिठाइयां, दक्षिणा
लक्ष्मी पूजन की पुस्तिका, इत्यादि
लक्ष्मी पूजा विधि: घर में सुख-समृद्धि लाने का पवित्र अनुष्ठान
देवी लक्ष्मी, धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी, हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय देवी हैं। धनतेरस और दिवाली जैसे विशेष अवसरों पर उनकी पूजा विशेष महत्व रखती है। लक्ष्मी पूजा, जिसे श्री लक्ष्मी पूजन या दीपावली पूजन भी कहा जाता है, धन, समृद्धि और सुख प्राप्ति के लिए किया जाता है।
लक्ष्मी पूजा विधि विधि-विधान से करने पर ही इसका पूरा लाभ मिलता है। यह ब्लॉग पोस्ट आपको विस्तृत पूजा विधि के बारे में जानकारी देगा, जिसमें पूजा के शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री, और विस्तृत पूजन प्रक्रिया शामिल हैं।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त दिवाली के दिन का प्रदोष काल या वृषभ लग्न माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन सामग्री
- लक्ष्मी जी और गणेश जी की प्रतिमाएं
- चौकी, लाल कपड़ा
- कलश, आम के पत्ते
- नारियल, पान के पत्ते, सुपारी
- चावल, हल्दी, कुमकुम, सिंदूर
- पुष्प, धूप, दीप, अगरबत्ती
- फल, मिठाइयां, दक्षिणा
- लक्ष्मी पूजन की पुस्तिका, इत्यादि
पूजा की विस्तृत प्रक्रिया
1. तैयारी:
- पूजा वाले दिन, घर की साफ-सफाई करें और स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
- पूजा का स्थान साफ और शुद्ध करें।
- पूजा सामग्री इकट्ठा करें।
2. संकल्प:
- पूजा आरंभ करने से पहले, देवी लक्ष्मी से सुख-समृद्धि प्रदान करने की प्रार्थना करते हुए संकल्प लें।
3. गणेश पूजन:
- पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से करें।
- गणेश जी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें और उन्हें जल, फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
4. कलश स्थापना:
- एक तांबे या मिट्टी के कलश को लाल कपड़े से ढककर चौकी पर स्थापित करें।
- कलश में जल भरें और उसमें एक नारियल, आम का पत्ता, सुपारी और चावल रखें।
- कलश को हल्दी, कुमकुम और सिंदूर से स्वस्तिक बनाकर सजाएं।
5. लक्ष्मी जी का आह्वान और पूजन (षोडशोपचार पूजा विधि):
- लक्ष्मी जी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें।
- मां लक्ष्मी को जल, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य, सुपारी, हल्दी, कुमकुम, सिंदूर, दक्षिणा आदि अर्पित करें।
- प्रत्येक अर्पण करते समय “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
6. लक्ष्मी स्तोत्र/लक्ष्मी चालीसा/मंत्र का जाप:
- लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा या लक्ष्मी मंत्र का जाप करें।
- आप अपनी श्रद्धा और क्षमतानुसार जितनी बार चाहें उतनी बार मंत्र का जाप कर सकते हैं।
7. आरती:
- लक्ष्मी जी की आरती गाएं।
- आप घी, कपूर या तेल का दीपक जलाकर आरती कर सकते हैं।
8. पुष्पांजलि:
- देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए फूलों की पुष्पांजलि अर्पित करें।
9. परिक्रमा:
- माता लक्ष्मी के आसन की परिक्रमा करते हुए क्षमा याचना करें और आशीर्वाद मांगें।
10. प्रसाद वितरण:
- लक्ष्मी माता को अर्पित किया गया प्रसाद घर के सदस्यों और अतिथियों में वितरित करें।
11. ध्यान:
- अंत में कुछ मिनट ध्यान में बिताएं और माता लक्ष्मी की कृपा के लिए उनका आह्वान करें।
लक्ष्मी पूजा के अन्य महत्वपूर्ण पहलू
- स्वच्छता: लक्ष्मी पूजा के दौरान पूजा स्थल और घर की स्वच्छता विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। देवी लक्ष्मी स्वयं स्वच्छता का प्रतीक हैं।
- रंगोली: रंगोली बनाकर और दीयों के साथ घर को सजाएं। माता लक्ष्मी आकर्षक वातावरण की ओर खिंची चली आती हैं।
- शुभ वस्त्र: पूजा करते समय स्वच्छ और शुभ माने जाने वाले रंगों के वस्त्र पहनने का प्रयास करें। लाल और पीले रंग विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
- दान: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र आदि का दान करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
ध्यान देने योग्य बातें:
- लक्ष्मी पूजा परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ मिलकर की जा सकती है। सामूहिक रूप से की गई पूजा को अधिक शुभ माना जाता है।
- बच्चों को भी पूजा में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उन्हें हमारी परंपराओं से जुड़ने का मौका मिलेगा और धार्मिक संस्कारों का बीज बचपन से बोया जा सकेगा।
- पूजा के बाद देवी लक्ष्मी की आरती और स्तुति गाने से पूजा का महत्व और बढ़ जाता है।
लक्ष्मी चालीसा/लक्ष्मी मंत्र
- लक्ष्मी चालीसा: लक्ष्मी चालीसा के श्लोक पाठकों पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसाते हैं। इसे शामिल करें।
- लक्ष्मी मंत्र: कुछ शक्तिशाली लक्ष्मी मंत्र यहां दिए जा सकते हैं:
- “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
- “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः”
लक्ष्मी जी की आरती करने के अद्भुत लाभ
इस खंड में लक्ष्मी जी की आरती करने के भौतिक और आध्यात्मिक लाभों के बारे में विस्तार से बताएं। कुछ उदाहरण हैं:
धन और संपत्ति में वृद्धि: माना जाता है कि माता लक्ष्मी की आरती करने से घर में धन-धान्य का भंडार भरा रहता है।
सकारात्मक ऊर्जा का आकर्षण: आरती की ध्वनि और भक्तिभाव से घर का वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक शक्तियां आकर्षित होती हैं।
मानसिक शांति: आरती करते समय मन भक्ति में लीन हो जाता है, जिससे तनाव कम होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
अध्यात्मिक विकास: माता लक्ष्मी की भक्ति करने से साधक की आध्यात्मिक यात्रा को गति मिलती है।
लक्ष्मी पूजन कथा
देवी लक्ष्मी, धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी, सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। लक्ष्मी जी की कृपा से जुड़ी अनेक प्रेरक कथाएं प्रचलित हैं जो भक्तों में आस्था और विश्वास को मजबूत करती हैं।
1. समुद्र मंथन की कथा:
यह प्रसिद्ध कथा भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के अवतरण की कहानी बताती है। देवताओं और असुरों के युद्ध के बाद, अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया। मंथन से अनेक रत्न और देवियां प्रकट हुईं, जिनमें देवी लक्ष्मी भी शामिल थीं। भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
2. राजा हरिश्चंद्र की कथा:
राजा हरिश्चंद्र सत्यवादी और परोपकारी थे। सत्य की रक्षा के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, यहां तक कि अपनी पत्नी और पुत्र को भी बेच दिया। गरीबी और कष्टों से घिरे होने के बावजूद, राजा हरिश्चंद्र ने अपनी सत्यनिष्ठा का पालन नहीं छोड़ा। देवी लक्ष्मी उनकी सत्यनिष्ठा से प्रसन्न हुईं और प्रकट होकर उन्हें धन-दौलत और समृद्धि प्रदान की।
3. गरीब ब्राह्मण की कथा:
एक बार, एक गरीब ब्राह्मण नियमित रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा करता था। उसकी श्रद्धा देखकर, देवी लक्ष्मी एक दिन प्रकट हुईं और उसे एक सोने का सिक्का दिया। ब्राह्मण ने सिक्के को बेचकर धन प्राप्त किया और अपना जीवन बेहतर बनाया।
4. धनपाल की कथा:
धनपाल नाम का एक व्यक्ति देवी लक्ष्मी का भक्त था। वह प्रतिदिन उनकी पूजा करता था और उन्हें भोग लगाता था। एक दिन, देवी लक्ष्मी स्वयं धनपाल के घर आईं और उन्हें धन का भंडार प्रदान किया।
5. राजा बलि की कथा:
राजा बलि एक दानवीर राजा थे। उन्होंने भगवान विष्णु को वामन रूप में अपने महल में आश्रय दिया। वामन रूप में, भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान करने की मांग की। राजा बलि ने सहर्ष भूमि दान कर दी। जब वामन ने अपना विशाल रूप धारण किया, तो उन्होंने दो पगों से ही सारी पृथ्वी और आकाश को ढक लिया। तीसरे पग के लिए, राजा बलि ने अपना सिर झुका दिया। भगवान विष्णु ने उनकी भक्ति और दानशीलता से प्रसन्न होकर उन्हें पाताल लोक का स्वामी बना दिया और देवी लक्ष्मी को उनकी पत्नी के रूप में प्रदान किया।
FAQs
- आरती का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
- शाम का समय (विशेषकर प्रदोष काल)
- क्या आरती के दौरान कोई विशेष नियम हैं?
- शुद्धता, सात्विक वातावरण, भक्तिभाव, दीपक जलाकर आरती करना
- क्या मैं रोज़ लक्ष्मी आरती कर सकता हूँ?
- हाँ, शुक्रवार विशेष लाभकारी माना जाता है।
- क्या मैं आरती केवल ऑडियो के साथ सुनकर भी लाभ पा सकता हूँ?
- हां, परंतु स्वयं आरती गाने से और भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
उपसंहार
देवी लक्ष्मी माँ की आरती पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। लक्ष्मी जी सदैव अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और उनके घर को धन-धान्य से भर देती हैं। माता लक्ष्मी का आह्वान करते हुए आज हम सबने उनकी आरती की और उनसे अपने जीवन में सुख, शांति और संपन्नता का आशीर्वाद मांगा।
चलिए आज एक और संकल्प के साथ माता लक्ष्मी का स्मरण करते हैं: हम सदाचार के मार्ग पर चलेंगे, जरूरतमंदों की सहायता करेंगे और धन का सदुपयोग करेंगे। देवी लक्ष्मी को ऐसे भक्त अति प्रिय हैं जो भौतिक समृद्धि के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास पर भी ध्यान देते हैं।
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