मां कालरात्रि (Maa Kalratri): शक्ति का विनाशकारी रूप – जानिए कथा, पूजा विधि, और मंत्र
परिचय
नवरात्रि के पवित्र पर्व के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें रूप, मां कालरात्रि, की पूजा अर्चना की जाती है। मां कालरात्रि का स्वरूप भक्तों के लिए भयावह होते हुए भी, उनकी रक्षा के लिए समर्पित है। आइए, जानते हैं मां कालरात्रि की कथा, पूजा विधि तथा मंत्र, और उनकी कृपा से प्राप्त होने वाले लाभ।
मां कालरात्रि कौन हैं?
मां कालरात्रि को देवी दुर्गा का सर्वाधिक भयंकर रूप माना जाता है। ‘कालरात्रि’ – यानी जिसकी ‘रात्रि’ ‘काल’ के समान काली है। शास्त्रों के अनुसार मां का यह रूप सृष्टि में उत्पन्न अंधकार और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिया अवतरित हुआ। इनका स्वरूप दिखने में भले भयानक हो, पर वे अपने भक्तों के लिए स्नेह और सुरक्षा की प्रतीक हैं।
मां कालरात्रि की कथा – Video
मां कालरात्रि की कथा: शुंभ-निशुंभ के अत्याचार का अंत
- देवताओं की हार: पौराणिक कथाओं के अनुसार, दुर्गम नामक एक शक्तिशाली राक्षस ने दो शूरवीर सेनापतियों शुंभ और निशुंभ की मदद से अपनी शक्ति बढ़ाई और स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया। देवताओं को त्राहि-त्राहि करते देख कर, आदिशक्ति ने दुर्गा का रूप धर लिया।
- मां दुर्गा का क्रोध और कालरात्रि का प्रकटीकरण: देवताओं की पुकार सुनकर मां दुर्गा क्रोध से कांप उठीं। उनका क्रोध इतना भयंकर था कि उनके माथे से एक अत्यंत उग्र देवी प्रकट हुईं, जिनका रंग रात्रि के समान काला था। उनका रूप विकराल और रौद्र था। इन देवी को ‘कालरात्रि’ नाम से जाना जाता है।
- शुंभ-निशुंभ का घमंड और चुनौती: देवताओं के दुखों से व्यथित देवी कालरात्रि ने युद्ध के लिए दुर्गमासुर की सेना को ललकारा। दुर्गमासुर ने शुंभ और निशुंभ को देवी से सामना करने के लिए भेजा। उन राक्षसों ने देवी के भयंकर रूप को देखकर हंसी उड़ाई और कहा,” हे काली!” जिसके बाद से देवी मां का एक नाम कालरात्रि पड़ गया।
- मां कालरात्रि का भयंकर युद्ध: कालरात्रि ने अपनी दहाड़ से आकाश को गुंजा दिया। क्रोध में आकर उन्होंने भयंकर युद्ध किया। उन्होंने शुंभ-निशुंभ और दुर्गमासूर के असंख्य सैनिकों और रक्तबीज जैसे शक्तिशाली राक्षस का भी वध कर दिया। इस महायुद्ध के बाद, उनका विकराल रूप देखकर सभी दैत्य भयभीत होकर वहां से भाग गए।
- सृष्टि में धर्म की पुनर्स्थापना: इस प्रकार, मां कालरात्रि ने एक भयानक युद्ध लड़कर, धर्म की सत्ता को पुनर्स्थापित किया और देवताओं को भयमुक्त किया।
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि का रंग काले अंधकार की तरह है, तथा उनका स्वरूप अत्यंत ही रौद्र है। इनके बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। उनकी तीन आंखें ब्रह्मांड की तरह विशाल और गोलाकार हैं, जो चमकती रहती हैं। इनकी नासिका से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती हैं। मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है। वह चार भुजाओं वाली हैं। उनके ऊपर वाले दाहिने हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले दाहिने हाथ में खड्ग है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में वरमुद्रा और नीचे वाले हाथ में अभयमुद्रा है।
पूजन सामग्री
मां कालरात्रि की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
1. मूर्ति या चित्र: मां कालरात्रि की मूर्ति या चित्र पूजा के लिए आवश्यक है।
2. फूल: नीले रंग के फूल, जैसे कि नीलकमल, देवी को अर्पित किए जाते हैं।
3. धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है।
4. रोली, अक्षत, और सिंदूर: रोली, अक्षत, और सिंदूर देवी को चढ़ाए जाते हैं।
5. फल: विभिन्न प्रकार के फल देवी को भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं।
6. नैवेद्य: नैवेद्य देवी को भोजन के रूप में चढ़ाया जाता है। नैवेद्य में गुड़ से बनी चीजें, जैसे कि गुड़ की खीर, गुड़ का हलवा, आदि शामिल हो सकते हैं।
7. पान: पान देवी को अर्पित किया जाता है।
8. सुपारी: सुपारी देवी को अर्पित की जाती है।
9. दक्षिणा: दक्षिणा देवी को दान के रूप में दी जाती है।
10. वस्त्र: नीले रंग के वस्त्र देवी को चढ़ाए जाते हैं।
11. आभूषण: देवी को आभूषण भी चढ़ाए जा सकते हैं।
12. जप माला: जप माला देवी की पूजा के लिए उपयोग की जाती है।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
1. स्नान: सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. दीप प्रज्वलित करें: एक दीप प्रज्वलित करें और देवी का ध्यान करें।
3. आह्वान: देवी का आह्वान करें और उनसे पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें।
4. पंचोपचार पूजन: देवी का पंचोपचार पूजन करें, जिसमें आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, और सुगंध शामिल हैं।
5. षोडशोपचार पूजन: आप षोडशोपचार पूजन भी कर सकते हैं,
षोडशोपचार पूजन में षोडश सामग्री का उपयोग किया जाता है, जो इस प्रकार हैं:
- आचमन: देवी को जल अर्पित करके पूजा शुरू होती है।
- स्नान: देवी को दूध, दही, घी, शहद, और जल से स्नान कराया जाता है।
- वस्त्र: देवी को सुंदर वस्त्र पहनाए जाते हैं।
- आभूषण: देवी को आभूषण पहनाए जाते हैं।
- सुगंध: देवी को सुगंध अर्पित किया जाता है।
- पुष्प: देवी को फूल अर्पित किए जाते हैं।
- दीप: देवी के समक्ष दीप प्रज्वलित किया जाता है।
- धूप: देवी को धूप अर्पित की जाती है।
- नैवेद्य: देवी को भोजन अर्पित किया जाता है।
- ताम्बूल: देवी को ताम्बूल अर्पित किया जाता है।
- दक्षिणा: देवी को दान दिया जाता है।
- प्रदक्षिणा: देवी की परिक्रमा की जाती है।
- स्तवन: देवी की स्तुति की जाती है।
- नमस्कार: देवी को प्रणाम किया जाता है।
- क्षमा प्रार्थना: देवी से क्षमा मांगी जाती है।
- आशीर्वाद: देवी से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
Note – यह षोडशोपचार पूजन विधि का एक संक्षिप्त विवरण है।
6. आरती और भजन: मां कालरात्रि की आरती और भजन गाएं।
7. प्रार्थना: अपनी मनोकामनाओं को ध्यान में रखकर देवी से प्रार्थना करें।
8. दान: देवी को दान में फल, फूल, और मिठाई चढ़ाएं।
9. प्रसाद ग्रहण करें: देवी का प्रसाद ग्रहण करें।
10. विसर्जन: देवी का विसर्जन करें।
मां कालरात्रि की पूजा का शुभ समय:
मां कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन, यानी महासप्तमी को की जाती है। पूजा का सबसे शुभ समय रात्रि का समय होता है।
मां कालरात्रि मंत्र
ॐ देवी कालरात्र्यै नम:
अर्थात, ओम के समान निर्विकारी माँ कालरात्रि दुख रूपी अंधकार का नाश करने वाली हैं। दुष्टों व राक्षसों का अंत करने वाली माँ हम सब का कल्याण करें।
यह मंत्र 108 बार जपने से मां कालरात्रि प्रसन्न होती हैं।
कालरात्रि देवी से मिलने वाले आशीर्वाद
- देवी भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें बुरी शक्तियों, ग्रह बाधाओं, भूत-प्रेत आदि से मुक्ति दिलाती हैं।
- देवी भक्तों के भय और रोगों का नाश करती हैं।
- मां कालरात्रि की भक्ति से व्यक्ति को शौर्य, पराक्रम, निर्भीकता की प्राप्ति होती है।
- इनकी पूजा से ब्रह्मांड के सारे रहस्य भक्त के समक्ष खुल जाते है।
भक्तों के अनुभव
मां कालरात्रि के भक्तों ने कई प्रकार के अनुभव किए हैं। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाला है। अन्य भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें शक्ति और साहस प्रदान किया है। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उनकी मनोकामनाएं पूरी की हैं।
यहां कुछ भक्तों के अनुभव दिए गए हैं:
- एक भक्त ने बताया कि वह कई वर्षों से एक बीमारी से पीड़ित थे। उन्होंने मां कालरात्रि की पूजा शुरू की और कुछ ही महीनों में वे पूरी तरह से ठीक हो गए।
- एक अन्य भक्त ने बताया कि वह एक परीक्षा में फेल हो गए थे। उन्होंने मां कालरात्रि की पूजा शुरू की और अगली बार उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
- एक तीसरे भक्त ने बताया कि वह एक गंभीर आर्थिक संकट में थे। उन्होंने मां कालरात्रि की पूजा शुरू की और कुछ ही महीनों में उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया।
मां कालरात्रि की पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- पूजा के दौरान स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा के स्थान को स्वच्छ और पवित्र रखें।
- पूजा के दौरान मन को एकाग्र रखें।
- पूजा करते समय किसी से बात न करें।
- पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें।
नवरात्रि का सातवां दिन: मां कालरात्रि की साधना
इस शुभ दिन मां कालरात्रि की मन से की गई पूजा-अर्चना अत्याधिक फलदायी होती है। आईए, आज हम सब मां कालरात्रि के चरणों में अपनी समस्त परेशानियां रखकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
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