मां कात्यायिनी (Maa Katyayani): शक्ति और विजय की देवी – जानिए कथा, पूजा विधि, और मंत्र

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Maa Katyayani

परिचय

नवरात्रि के पावन उत्सव में आप सभी का हार्दिक स्वागत है! आज हम जानेंगे देवी दुर्गा के छठे रूप, मां कात्यायिनी, के बारे में। माँ कात्यायिनी का रूप भक्तों के सभी कष्टों को दूर करने वाला और अद्भुत शक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है। आइए, जानते हैं उनसे जुड़ी कथा, पूजा विधि तथा मंत्र।

कौन हैं मां कात्यायिनी?

मां कात्यायिनी, देवी दुर्गा का छठा रूप हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भक्त कात्यायन ऋषि ने मां दुर्गा को पुत्री रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर माता ने उनके आश्रम में जन्म लिया।

मां कात्यायिनी की कथा

  • ऋषि कात्यायन की तपस्या: महर्षि कात्यायन आदिशक्ति देवी दुर्गा को पुत्री रूप में प्राप्त करना चाहते थे। उन्होंने कठिन तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने उनके घर जन्म लेने का वरदान दिया।
  • महिषासुर का अत्याचार: उसी समय महिषासुर नामक राक्षस अत्याचार करने लगा। सभी देवताओं ने मिलकर देवी दुर्गा की रचना की।
  • मां कात्यायिनी का जन्म: इसी समय महर्षि कात्यायन के घर देवी दुर्गा ने जन्म लिया और उन्हें कात्यायिनी नाम दिया गया। कात्यायिनी नाम उनके पिता के गोत्र के आधार पर रखा गया था।
  • महिषासुर वध: जब कात्यायिनी देवी युवा हुईं, उन्होंने महिषासुर से युद्ध कर उसका वध किया। मां कात्यायिनी का एक नाम महिषासुरमर्दिनी भी है।

मां कात्यायिनी स्वरूप का प्रतीकवाद

मां कात्यायिनी का स्वरूप बेहद गहरा अर्थ और महत्व रखता है। उनसे जुड़े कुछ प्रमुख प्रतीक और उनके अर्थ इस प्रकार हैं:

  • सिंह: माता कात्यायिनी का वाहन सिंह है, जो शक्ति, साहस, और निडरता का प्रतीक है। यह बताता है कि मां कात्यायिनी भक्तों को इन गुणों से परिपूर्ण करती हैं।
  • चार भुजाएं: मां कात्यायिनी के चार हाथ, चार दिशाओं में फैली उनकी शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है। ये भक्तों को सभी दिशाओं से सुरक्षित रखने की उनकी क्षमता प्रदर्शित करती हैं।
  • तलवार: तलवार, अज्ञानता को काटने और बुराई पर विजय का प्रतीक है। इससे यह पता चलता है कि मां कात्यायिनी, अपने भक्तों के जीवन में सभी नकारात्मकता को दूर करती हैं।
  • कमल: देवी के हाथ में मौजूद कमल का फूल, पवित्रता, आध्यात्मिक विकास, और जीवन की चुनौतियों से ऊपर उठने की काबिलियत का प्रतीक है।
  • अभय और वरद मुद्राएँ: अभय मुद्रा भक्तों को आश्वस्त करती है, बताती है कि देवी हमेशा उनके साथ हैं और उनके भय को दूर करेंगी। वरद मुद्रा इच्छाओं और आशीर्वाद प्रदान करने की प्रतीकात्मक है।

मां कात्यायिनी पूजा विधि

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायिनी की पूजा की जाती है।

  • सबसे पहले देवी कात्यायिनी की मनमोहक मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • उन्हें स्नान कराएं और शुद्ध वस्त्र अर्पित करें।
  • पीले फूल, फल, नैवेद्य, चंदन, रोली, धूप-दीप आदि से माता की श्रद्धापूर्वक पूजा करें।
  • कात्यायिनी मंत्र तथा आरती का पाठ करें।

मां कात्यायिनी मंत्र

कात्यायिनी की महिमा

  • मां कात्यायिनी की पूजा से भक्तों को आरोग्य, धन-धान्य का सुख प्राप्त होता है।
  • देवी भक्तों के सभी पापों को दूर करती हैं और उन्हें शत्रुओं पर विजय प्रदान करती हैं।
  • जिन कन्याओं के विवाह में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, उनकी मनोकामनाएं मां कात्यायिनी की भक्ति से पूर्ण होती हैं।

भक्तों के अनुभव: सफलता की कहानियां

  • “पिछले साल, मैंने नवरात्रि में मां कात्यायिनी की पूजा की थी। मेरी बेटी का विवाह काफी समय से नहीं हो पा रहा था। मां की कृपा से कुछ ही महीनों में उसे एक अच्छा वर प्राप्त हो गया। ” – संगीता देवी, गाजियाबाद
  • “मेरे व्यापार में काफी घाटा चल रहा था। मां कात्यायिनी को समर्पित व्रत और पूजा के बाद, मुझे आर्थिक संकट से मुक्ति प्राप्त हुई। मैं मां कात्यायिनी की कृपा का सदैव आभारी हूं।” – विजय कुमार, दिल्ली

मां कात्यायिनी के आशीर्वाद से मिलने वाले लाभ:

  • शत्रुओं पर विजय तथा भय से मुक्ति प्राप्त होती है।
  • विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  • जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • रोगों का नाश होता है और भक्त निरोगी रहते हैं।

नवरात्रि का छठा दिन: मां कात्यायिनी को समर्पित

नवरात्रि में मां कात्यायिनी के स्वरूप के साथ योग में ‘आज्ञा चक्र’ की पूजा का विशेष महत्व है।

आइए अब जानते हैं नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाने वाली मां कात्यायनी के योग में स्थित आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra) से कैसे जुड़ाव है।

आज्ञा चक्र हमारे शरीर में स्थित सात प्रमुख चक्रों में से एक है। यह भौंहों के बीचोंबीच स्थित होता है और अंतर्ज्ञान, ज्ञान, और स्पष्ट सोच से जुड़ा हुआ है। एक जाग्रत आज्ञा चक्र हमें बेहतर निर्णय लेने, आत्मनिरीक्षण करने, और आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है।

मां कात्यायिनी को ज्ञान और शक्ति दोनों का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा करने और उनका ध्यान करने से आज्ञा चक्र जाग्रत होता है। इससे व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

  • अंतर्ज्ञान का विकास: मां कात्यायिनी की उपासना से अंतर्ज्ञान की शक्ति बढ़ती है, जिससे सही फैसले लेने में मदद मिलती है।
  • ध्यान की गहराई: मां कात्यायिनी की कृपा से ध्यान की गहराई बढ़ती है और आध्यात्मिक अनुभवों की प्राप्ति संभव हो पाती है।
  • मन की स्पष्टता: मां कात्यायिनी की पूजा से मन की चंचलता कम होती है और स्पष्टता आती है।
  • आत्मविश्वास: मजबूत आज्ञा चक्र आत्मविश्वास को बढ़ाता है, जिससे लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
  • ध्यान: मां कात्यायिनी का ध्यान करें और कल्पना करें कि उनके तीसरे नेत्र से दिव्य प्रकाश निकल रहा है, जो आपके आज्ञा चक्र को जाग्रत कर रहा है।
  • मंत्र जप: कात्यायिनी मंत्र “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” का जप करें। जप करते समय भौंहों के बीच ध्यान केंद्रित करें।
  • पीले रंग का प्रयोग: पीला रंग आज्ञा चक्र का रंग है। पूजा के दौरान पीले वस्त्र पहनें और पीले फूलों का अर्घ्य दें।

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायिनी की भक्ति से आप न केवल उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने आज्ञा चक्र को भी जाग्रत कर सकते हैं, जिससे आध्यात्मिक विकास और जीवन में सफलता की प्राप्ति संभव होती है।


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