मां स्कंदमाता (Maa Skandmata): मातृत्व और शौर्य की देवी – कथा, पूजा विधि, मंत्र, और आशीर्वाद

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maa Skandmata - मां स्कंदमाता

परिचय

नवरात्रि के पावन त्यौहार के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता रूप की पूजा की जाती है। देवी स्कंदमाता ममता और साहस की प्रतिमूर्ति हैं। भगवान कार्तिकेय (जिन्हें ‘स्कंद’ भी कहा जाता है) की माता होने के कारण इन्हें ‘स्कंदमाता’ नाम से जाना जाता है। आइए, जानते हैं मां स्कंदमाता की कथा, पूजा-विधि, मंत्र, और उनसे प्राप्त होने वाले आशीर्वाद के बारे में।

मां स्कंदमाता कौन हैं?

मां स्कंदमाता देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय, देवताओं के सेनापति थे। इन्होंने देवताओं को तारकासुर नामक राक्षस के अत्याचार से मुक्त कराया था।

मां स्कंदमाता की कथाVideo

मां स्कंदमाता की कथा: तारकासुर का अंत

  • तारकासुर का अत्याचार: पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि तारकासुर नाम के एक शक्तिशाली राक्षस ने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया था। उसने यह वरदान प्राप्त किया कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही हो सकती है। अपनी इस शक्ति से बलशाली होकर, तारकासुर ने देवताओं के राज्य पर अधिकार कर लिया और उनके साथ अत्याचार करना शुरू कर दिया।
  • भगवान शिव एवं देवी पार्वती का विवाह: परेशान देवता भगवान शिव के पास गए और तारकासुर से मुक्ति के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव के पुत्र के ही हाथों तारकासुर का वध संभव था, इसलिए देवताओं ने शिव और पार्वती के मिलन के लिए प्रयास किए। कामदेव की सहायता से देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे विवाह कर लिया।
  • कार्तिकेय का जन्म: शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय (स्कंद) का जन्म हुआ। कार्तिकेय को देवताओं ने युद्ध की कला में प्रशिक्षित किया और वे देवसेना के सेनापति बने।
  • तारकासुर का वध: कार्तिकेय और ताकारासुर में भीषण युद्ध हुआ। अपनी शक्ति और युद्ध कौशल के बल पर कार्तिकेय ने तारकासुर को परास्त कर उसका वध कर दिया। इस प्रकार, देवताओं को राक्षस के अत्याचार से मुक्ति मिली।
  • स्कंदमाता का स्वरूप कार्तिकेय से युद्ध के लिए जाते समय पार्वती जी ने स्कंदमाता का रूप लिया था। वे सिंह पर विराजमान थीं, उनकी गोद में बालक कार्तिकेय थे, जो युद्ध के लिए आगे बढ़ रहे थे।

मां स्कंदमाता और भक्तजन

स्कंदमाता की कथा हमें संदेश देती है कि साहस और धर्म की राह पर चलने वाले की हमेशा विजय होती है। देवी उन भक्तों का भी विशेष ध्यान रखती हैं जो अपने जीवन में निडरता और साहस का परिचय देते हैं।

मां स्कंदमाता का स्वरूप

मां स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। अपनी दो ऊपर वाली भुजाओं में कमल का पुष्प धारण करती हैं, नीचे की एक भुजा में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) बाल रूप में उनकी गोद में विराजते हैं, और चौथी भुजा भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में है। इनका वाहन सिंह है। माँ स्कंदमाता का स्वरूप सौम्य तथा स्नेह से भरा हुआ है।

पूजन सामग्री

मां स्कंदमाता की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

1. मूर्ति या चित्र: मां स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र पूजा के लिए आवश्यक है।

2. फूल: लाल या गुलाबी रंग के फूल, जैसे कि गुलाब, कमल, या चमेली, मां स्कंदमाता को अर्पित किए जाते हैं।

3. धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है।

4. रोली, अक्षत, और सिंदूर: रोली, अक्षत, और सिंदूर देवी को चढ़ाए जाते हैं।

5. फल: विभिन्न प्रकार के फल देवी को भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं।

6. नैवेद्य: नैवेद्य देवी को भोजन के रूप में चढ़ाया जाता है। नैवेद्य में खीर, हलवा, या अन्य मिठाईयां शामिल हो सकती हैं।

7. पान: पान देवी को अर्पित किया जाता है।

8. सुपारी: सुपारी देवी को अर्पित की जाती है।

9. दक्षिणा: दक्षिणा देवी को दान के रूप में दी जाती है।

10. वस्त्र: लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र देवी को चढ़ाए जाते हैं।

11. आभूषण: देवी को आभूषण भी चढ़ाए जा सकते हैं।

12. जप माला: जप माला देवी की पूजा के लिए उपयोग की जाती है।

मां स्कंदमाता पूजा विधि

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है।

  • सबसे पहले देवी स्कंदमाता को स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र पहनाएं।
  • उन्हें रोली, अक्षत, सिंदूर अर्पित करें।
  • केले, धूप, दीप, फल, नैवेद्य आदि से उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करें।
  • स्कंदमाता मंत्र तथा आरती का पाठ करें।

मां स्कंदमाता मंत्र

आइए, जानते हैं माता की आराधना का विशेष मंत्र-

ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:

अर्थात, ओमकार स्वरूपी स्कंध माता जो कि अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं को क्षण भर में पूर्ण कर देने वाली है, उनके चरणों में बारंबार नमस्कार है।

मां स्कंदमाता के आशीर्वाद

  • देवी भक्तों के सभी दुख और कष्ट दूर करती हैं।
  • मां स्कंदमाता की भक्ति से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • देवी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उन्हें मोक्ष प्रदान करती हैं।
  • जिन जातकों की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर होता है, उन्हें विशेष रूप से लाभ होता है।

मां स्कंदमाता के भक्तों ने कई प्रकार के अनुभव किए हैं। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाला है। अन्य भक्तों ने बताया है कि देवी ने उन्हें ज्ञान और शक्ति प्रदान की है। कुछ भक्तों ने बताया है कि देवी ने उनकी मनोकामनाएं पूरी की हैं।

  • एक भक्त ने बताया कि वह कई सालों से बच्चे के लिए प्रयास कर रहे थे। उन्होंने मां स्कंदमाता की पूजा शुरू की और कुछ ही महीनों में उनकी पत्नी गर्भवती हो गई।
  • एक अन्य भक्त ने बताया कि वह एक परीक्षा में फेल हो गए थे। उन्होंने मां स्कंदमाता की पूजा शुरू की और अगली बार उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
  • एक तीसरे भक्त ने बताया कि वह एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। उन्होंने मां स्कंदमाता की पूजा शुरू की और कुछ ही महीनों में वे पूरी तरह से ठीक हो गए।

नवरात्रि का पांचवां दिन: स्कंदमाता को समर्पित

नवरात्रि में इस दिन भक्तों को मां दुर्गा के इसी रूप की उपासना करनी चाहिए ताकि मां उन्हें ममता और साहस का आशीर्वाद दें। आईए आज हम सब मां स्कंदमाता के चरणों में अपनी भक्ति समर्पित करें।


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