चैत्र नवरात्रि: माता का श्रृंगार – मनोवांछित फल प्राप्ति का द्वार

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माता का श्रृंगार- Mata Shringar

नवरात्रि बस आने को हैं! भक्तजन उत्साह से माता की आराधना की तैयारियों में लग चुके हैं। नवरात्रि में मां की पूजा के साथ-साथ उनका श्रृंगार करना भी अत्यंत शुभफलदायी माना जाता है। आइए, जानते हैं कैसे मां का श्रृंगार करने से भक्तों पर बरसती है दुर्गा मां की कृपा।

माता का श्रृंगार: महत्व और आध्यात्मिक पहलू

चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के श्रृंगार का विशेष महत्व है। श्रृंगार को मां को प्रसन्न करने और अपना प्रेम व भक्ति अर्पित करने का एक तरीका माना जाता है। कहते हैं कि माता को किया गया श्रृंगार उनकी शक्ति और भक्तों पर उनकी अनुकंपा को बढ़ाता है। जिस प्रकार हम अपने लिए श्रृंगार करते हैं, उसी तरह माता के श्रृंगार के पीछे हमारी यही भावना होती है।

चैत्र नवरात्रि श्रृंगार सामग्री

माता के श्रृंगार के लिए अनेक वस्तुओं का उपयोग होता है। यह वस्तुएं प्रतीकात्मक महत्व रखती हैं और साथ ही मां को आकर्षक रूप देने के लिए उपयोगी होती हैं। आइए, जानते हैं कुछ आवश्यक श्रृंगार सामग्री के बारे में:

  • लाल या पीली चुनरी: माता को चुनरी ओढ़ाना अत्यंत शुभ है।
  • सिंदूर: सुहागनों का प्रतीक माना जाने वाला सिंदूर मां दुर्गा की मांग में भी लगाया जाता है।
  • चूड़ियां: चूड़ियां श्रृंगार का अभिन्न हिस्सा हैं। मां को कांच की चूड़ियां विशेष रूप से पहनाई जाती हैं।
  • बिंदी और महावर: माता के माथे पर बिंदी और पैरों में महावर (अलता) लगाया जाता है।
  • काजल और मेहंदी: माता की आंखों को सजाने के लिए काजल और हाथों पर सुंदर मेहंदी रचाई जा सकती है।
  • नेलपॉलिश, लिपस्टिक, इत्र: मां के श्रृंगार को पूरा करने के लिए इन वस्तुओं का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • गहने: मां दुर्गा को मंगलसूत्र, बाली, नथ, पायल आदि गहने पहनाए जाते हैं।
  • फूल-माला, गजरा: ताज़े फूल और गजरा देवी के श्रृंगार में चार चांद लगाते हैं।

माता के श्रृंगार की विधि

  1. सबसे पहले माता की मूर्ति या तस्वीर को साफ जल से स्नान कराएं।
  2. उनको चुनरी ओढ़ाएं और सिंदूर लगाएं।
  3. चूड़ियां, बिंदी, काजल, महावर आदि से मां को सजाएं।
  4. मंगलसूत्र, बाली, नथ जैसे गहने पहनाएं।
  5. मां का श्रृंगार फूलों और सुगंधित इत्र के साथ पूरा करें।

नवरात्रि के 9 दिनों में माता के वस्त्रों के रंग:

दिनदेवी का नामवस्त्र का रंग
पहला दिनशैलपुत्रीपीला
दूसरा दिनब्रह्मचारिणीहरा
तीसरा दिनचंद्रघंटाभूरा
चौथा दिनकुष्मांडानारंगी
पांचवा दिनस्कंदमातासफेद
छठा दिनकात्यायनीलाल
सातवां दिनकालरात्रिनीला
आठवां दिनमहागौरीगुलाबी
नौवां दिनसिद्धिदात्रीजामुनी

माता का श्रृंगार करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

स्वच्छता और शुद्धता:

  • माता का श्रृंगार करते समय केवल स्वच्छ और शुद्ध वस्तुओं का उपयोग करें।
  • श्रृंगार सामग्री को पहले से ही धोकर और सुखाकर रख लें।
  • माता की मूर्ति या तस्वीर को स्नान कराने के बाद ही श्रृंगार करें।

भावना और एकाग्रता:

  • माता का श्रृंगार करते समय मन में भक्तिभाव और एकाग्रता रखें।
  • माता के प्रति प्रेम और भक्ति के भाव से श्रृंगार करें।
  • मन में कोई भी नकारात्मक विचार न लाएं।

समय और नियम:

  • माता का श्रृंगार करने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है।
  • यदि आप पूरे दिन श्रृंगार नहीं कर सकते हैं, तो कम से कम सुबह और शाम को जरूर करें।
  • श्रृंगार करते समय शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन करें।

अन्य बातें:

  • माता का श्रृंगार करते समय अपनी इच्छा से न करें, बल्कि शास्त्रों में बताए गए तरीके से करें।
  • माता को श्रृंगार करते समय गहनों और अन्य वस्तुओं का चयन करते समय सावधानी बरतें।
  • माता को भोजन और जल अर्पित करना भी न भूलें।
  • माता का श्रृंगार करने से भक्तों पर उनकी कृपा बरसती है।
  • मनोवांछित फल प्राप्ति में सहायता मिलती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है।

माता के श्रृंगार से जुड़ी कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियां:

श्रृंगार का सांस्कृतिक और क्षेत्रीय महत्व:

  • भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में माता के श्रृंगार की परंपराएं थोड़ी अलग हो सकती हैं।
  • उदाहरण के लिए, बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान माता को विशेष मुकुट और साज-सज्जा से सुशोभित किया जाता है। वहीं, गुजरात और राजस्थान में देवी के श्रृंगार में पारंपरिक आभूषण प्रमुख होते हैं।

वस्त्र और आभूषण के विकल्प:

  • चुनरी: लाल या पीले रंग के अलावा, आप गुलाबी, नारंगी जैसे चटक रंगों की चुनरी भी चुन सकते हैं। बनारसी, कांजीवरम, बांधनी जैसी पारंपरिक साड़ियों का चयन भी बहुत शुभ माना जाता है।
  • आभूषण: सोने, चांदी, मोतियों, या नकली गहनों का प्रयोग कर सकते हैं। पारंपरिक डिजाइन जैसे मंदिर के आकार के गहने, कमल के फूल आदि के आभूषण माता के रूप को और भी दिव्य बनाते हैं।

प्राकृतिक श्रृंगार सामग्री:

  • कई भक्त कुमकुम, चंदन, हल्दी, फूल, बेलपत्र आदि प्राकृतिक सामग्रियों से मां का श्रृंगार करना पसंद करते हैं। यह पर्यावरण के अनुकूल भी होता है।

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