नर्मदा आरती
परिचय
नमस्कार मित्रों! आध्यात्मिक भारत की हृदय रेखा कही जाने वाली पवित्र नर्मदा नदी की आरती की दिव्यता से आप कितने परिचित हैं? यदि आप इस अलौकिक अनुभव से अनजान हैं, तो चलिए आज मैं आपको नर्मदा आरती के बारे में सब कुछ बताती हूं। नर्मदा आरती भारत के सबसे पवित्र अनुष्ठानों में से एक है, जो मां नर्मदा की पूजा और उन्हें समर्पित एक भव्य उत्सव है। आइए इस आध्यात्मिक यात्रा पर एक साथ चलें!
नर्मदा आरती
नर्मदा आरती इस पवित्र नदी के प्रति श्रद्धा, आदर और कृतज्ञता प्रदर्शित करने का एक तरीका है। यह नर्मदा नदी के घाटों पर की जाने वाली एक बहुत ही सुंदर और विस्तृत आरती है। यह आमतौर पर शाम को होती है और भजन, कीर्तन और घंटियों की मधुर ध्वनि के साथ होती है। जो भक्त नर्मदा आरती में सम्मिलित होते हैं, उन्हें अत्यंत आध्यात्मिक सुकून का अनुभव होता है।
ॐ जय जगदानन्दी,
मैया जय आनंद कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हरि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥देवी नारद सारद तुम वरदायक,
अभिनव पदण्डी ।
सुर नर मुनि जन सेवत,
सुर नर मुनि…
शारद पदवाचन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥
देवी धूमक वाहन राजत,
वीणा वाद्यन्ती।
झुमकत-झुमकत-झुमकत,
झननन झमकत रमती राजन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥
देवी बाजत ताल मृदंगा,
सुर मण्डल रमती ।
तोड़ीतान-तोड़ीतान-तोड़ीतान,
तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥
देवी सकल भुवन पर आप विराजत,
निशदिन आनन्दी ।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा
शंकर तुम भट मेटन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी…॥
मैयाजी को कंचन थार विराजत,
अगर कपूर बाती ।
अमर कंठ में विराजत,
घाटन घाट बिराजत,
कोटि रतन ज्योति ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥
मैयाजी की आरती,
निशदिन पढ़ गावरि,
हो रेवा जुग-जुग नरगावे,
भजत शिवानन्द स्वामी
जपत हरि नंद स्वामी मनवांछित पावे।
ॐ जय जगदानन्दी,
मैया जय आनंद कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हरि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥
नर्मदा आरती के प्रमुख स्थल
मां नर्मदा के कई घाट हैं जहां उनकी आरती की जाती है। यहां कुछ विशेष रूप से प्रसिद्ध स्थान हैं:
- महेश्वर, मध्य प्रदेश: नर्मदा नदी के तट पर बसा यह नगर कई भव्य मंदिरों का घर है। यहां नर्मदा घाट पर की जाने वाली आरती पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है।
- ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश: पवित्र द्वीप ओंकारेश्वर में नर्मदा आरती अविस्मरणीय अनुभव है। ज्योतिर्लिंग की पावन उपस्थिति इसे और भी खास बना देती है।
- होशंगाबाद, मध्य प्रदेश: सेठानी घाट पर होने वाली नर्मदा आरती अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।
- भरूच, गुजरात: यह वह स्थान है जहां नर्मदा अरब सागर में विलीन हो जाती है। यहां की आरती भावपूर्ण और विशिष्ट होती है।
नर्मदा आरती की पूजा विधि
हालांकि हर स्थान की आरती के कुछ अपने विशिष्ट तत्व होते हैं, लेकिन नर्मदा आरती की मूल पूजा विधि इस प्रकार है:
- स्नान: आरती में भाग लेने से पहले भक्त नर्मदा नदी में पवित्र स्नान करते हैं।
- संकल्प: भक्त नर्मदा नदी में दीपक जलाकर अपना संकल्प लेते हैं।
- आचमन: पुजारी नर्मदा का पवित्र जल ग्रहण करके आचमन करते हैं।
- आवाहन: मां नर्मदा का आह्वान किया जाता है।
- नर्मदा मंत्र: विशिष्ट मंत्रों का पाठ किया जाता है।
- आरती: बहु-ज्योति वाले दीपक को मां नर्मदा को अर्पित किया जाता है, साथ ही अगरबत्ती और फूल भी चढ़ाए जाते हैं।
नर्मदा आरती का महत्व
नर्मदा नदी को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। जो इस आरती में हिस्सा लेते हैं, उन्हें कई लाभ प्राप्त होते हैं:
- मोक्ष की प्राप्ति: ऐसा कहा जाता है कि मां नर्मदा के दर्शन और उनकी आरती करने से मोक्ष के मार्ग में आने वाली बाधाओं का नाश होता है।
- पापों का विनाश: नर्मदा के जल में स्नान करने और आरती में शामिल होने से भक्तों पर से पाप धुल जाते हैं।
- मन की शांति: आरती का आध्यात्मिक वातावरण अत्यंत शांति और सकारात्मकता से भर देता है।
नर्मदाष्टकम और नर्मदा आरती मंत्र
नर्मदाष्टकम, मां नर्मदा की स्तुति वाला स्तोत्र है। वहीं, आरती के दौरान विशेष नर्मदा मंत्र भी बोला जाता है:
ॐ जय नर्मदे हर हर नर्मदे
नर्मदा आरती से जुड़ी कथा
एक लोकप्रिय कथा आदि शंकराचार्य से जुड़ी है। कहा जाता है कि उन्होंने नर्मदा नदी के महत्व को समझाने के लिए नर्मदाष्टकम स्तोत्र की रचना की थी।
पवित्र नर्मदा परिक्रमा
नर्मदा नदी को इतना पवित्र माना जाता है कि कई धर्मनिष्ठ हिंदू इसके पूरे मार्ग की परिक्रमा भी करते हैं। यह एक कठिन और लंबी यात्रा है जिसमें भक्त नदी के दोनों किनारों के साथ-साथ पैदल चलते हैं। यह भक्ति और साहस का कार्य है।
नर्मदा आरती में कैसे शामिल हों
यदि आप इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो यहां बताया गया है कि आप इसे कैसे कर सकते हैं:
- स्थान का चुनाव: ऊपर दिए गए विकल्पों में से आप जिस घाट पर जाना चाहते हैं, उसे चुनें। यात्रा की योजना करते समय उस विशेष स्थान की नर्मदा आरती के समय पर ध्यान दें।
- यात्रा और आवास: चुने गए घाट के अनुसार अपनी यात्रा और आवास की बुकिंग करें।
- सम्मानपूर्ण व्यवहार: इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पवित्र स्थलों पर आचरण संयमित और सम्मानपूर्ण हो।
नर्मदा आरती से जुड़ी भक्तों की कहानियां
- ऐसे अनगिनत भक्त हैं, जिन्होंने नर्मदा आरती के बाद अपने जीवन में आध्यात्मिक परिवर्तन और आशीर्वाद की अनुभूति की है। कुछ लोग गंभीर बीमारियों से ठीक होने का श्रेय मां नर्मदा को देते हैं, तो कुछ को लगता है कि उनको सही दिशा में मार्गदर्शन मिला।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- नर्मदा आरती का सबसे अच्छा समय क्या है? आरती के लिए सबसे अच्छा समय शाम का है, लेकिन कुछ स्थानों पर सुबह की आरती भी की जाती है।
- क्या मैं अपने परिवार के साथ नर्मदा आरती में शामिल हो सकता हूं? जी हां! नर्मदा आरती पूरी तरह से एक पारिवारिक क्रिया है।
- क्या आरती में भाग लेने के लिए कोई शुल्क है? नहीं, नर्मदा आरती में भाग लेना पूरी तरह से निःशुल्क है।
- आरती के दौरान मुझे क्या पहनना चाहिए? संयमित और आरामदायक कपड़े पहनना सबसे सही विकल्प है। महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार सूट उचित है, जबकि पुरुष कुर्ता पायजामा या शर्ट पैंट पहन सकते हैं।
नर्मदा आरती के लाभ
नर्मदा आरती में शामिल होने के अनेक लाभ हैं:
- आध्यात्मिक उत्थान: पवित्र माहौल आपको ईश्वर और आध्यात्मिकता से जोड़ता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: मंत्रों का जाप और भजनों से मन में पवित्र भावों का संचार होता है।
- मन को शांति: आरती अत्यंत मन को शांति देने वाला अनुभव है।
- आशा और विश्वास का जागरण: यह विश्वास को पुष्ट करता है कि मां नर्मदा हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।
निष्कर्ष
नर्मदा आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि भारत की प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा का जीवंत रूप है। यदि आप अपनी आत्मा को पोषित करने वाले अनुभव की तलाश में हैं, तो मैं आपको नर्मदा आरती का हिस्सा बनने के लिए अत्यधिक प्रोत्साहित करती हूं।
मैं आशा करती हूं, यह ब्लॉग आपको नर्मदा आरती के बारे में सब कुछ समझाने में उपयोगी रहा होगा। यदि आपके मन में कोई और प्रश्न हो, तो आप टिप्पणी के माध्यम से पूछ सकते हैं। क्या आपने कभी किसी नर्मदा आरती में हिस्सा लिया है? मुझे अपने अनुभव जरूर बताएं!
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