नर्मदा चालीसा(Narmada chalisa)

पर Akhilesh Gupta द्वारा प्रकाशित

Introduction

भारत की पवित्र नदियों में, माँ नर्मदा का एक अद्वितीय स्थान है। नर्मदा नदी को जीवनदायिनी और मोक्षप्रदायिनी कहा जाता है। माना जाता है कि माँ नर्मदा के स्मरण मात्र से ही पापों का नाश होता है। क्या आप नर्मदा चालीसा के माध्यम से उनके प्रति अपनी भक्ति प्रकट करना चाहेंगे? आइए आज नर्मदा चालीसा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों पर एक नजर डालते हैं और अंत में हम मिलकर चालीसा का पाठ करेंगे।

नर्मदा चालीसा की महत्ता

नर्मदा चालीसा, देवी नर्मदा को समर्पित एक हिन्दू भक्ति स्तोत्र है जो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और गुजरात में प्रचलित है। इसमें माँ नर्मदा की महिमा का गुणगान है और उनका आशीर्वाद मांगा गया है।

श्री नर्मदा चालीसा:

॥ दोहा॥
देवि पूजित, नर्मदा,
महिमा बड़ी अपार ।
चालीसा वर्णन करत,
कवि अरु भक्त उदार॥इनकी सेवा से सदा,
मिटते पाप महान ।
तट पर कर जप दान नर,
पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥
जय-जय-जय नर्मदा भवानी,
तुम्हरी महिमा सब जग जानी ।

अमरकण्ठ से निकली माता,
सर्व सिद्धि नव निधि की दाता ।

कन्या रूप सकल गुण खानी,
जब प्रकटीं नर्मदा भवानी ।

सप्तमी सुर्य मकर रविवारा,
अश्वनि माघ मास अवतारा ॥4

वाहन मकर आपको साजैं,
कमल पुष्प पर आप विराजैं ।

ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं,
तब ही मनवांछित फल पावैं ।

दर्शन करत पाप कटि जाते,
कोटि भक्त गण नित्य नहाते ।

जो नर तुमको नित ही ध्यावै,
वह नर रुद्र लोक को जावैं ॥8

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं,
अंतिम समय परमपद पावैं ।

मस्तक मुकुट सदा ही साजैं,
पांव पैंजनी नित ही राजैं ।

कल-कल ध्वनि करती हो माता,
पाप ताप हरती हो माता ।

पूरब से पश्चिम की ओरा,
बहतीं माता नाचत मोरा ॥12

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं,
सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं ।

शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं,
सकल देव गण तुमको ध्यावैं ।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे,
ये सब कहलाते दु:ख हारे ।

मनोकमना पूरण करती,
सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं ॥16

कनखल में गंगा की महिमा,
कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा ।

पर नर्मदा ग्राम जंगल में,
नित रहती माता मंगल में ।

एक बार कर के स्नाना,
तरत पिढ़ी है नर नारा ।

मेकल कन्या तुम ही रेवा,
तुम्हरी भजन करें नित देवा ॥20

जटा शंकरी नाम तुम्हारा,
तुमने कोटि जनों को है तारा ।

समोद्भवा नर्मदा तुम हो,
पाप मोचनी रेवा तुम हो ।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई,
करत न बनती मातु बड़ाई ।

जल प्रताप तुममें अति माता,
जो रमणीय तथा सुख दाता ॥24

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी,
महिमा अति अपार है तुम्हारी ।

तुम में पड़ी अस्थि भी भारी,
छुवत पाषाण होत वर वारि ।

यमुना मे जो मनुज नहाता,
सात दिनों में वह फल पाता ।

सरस्वती तीन दीनों में देती,
गंगा तुरत बाद हीं देती ॥28

पर रेवा का दर्शन करके
मानव फल पाता मन भर के ।

तुम्हरी महिमा है अति भारी,
जिसको गाते हैं नर-नारी ।

जो नर तुम में नित्य नहाता,
रुद्र लोक मे पूजा जाता ।

जड़ी बूटियां तट पर राजें,
मोहक दृश्य सदा हीं साजें ॥32

वायु सुगंधित चलती तीरा,
जो हरती नर तन की पीरा ।

घाट-घाट की महिमा भारी,
कवि भी गा नहिं सकते सारी ।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा,
और सहारा नहीं मम दूजा ।

हो प्रसन्न ऊपर मम माता,
तुम ही मातु मोक्ष की दाता ॥35

जो मानव यह नित है पढ़ता,
उसका मान सदा ही बढ़ता ।

जो शत बार इसे है गाता,
वह विद्या धन दौलत पाता ।

अगणित बार पढ़ै जो कोई,
पूरण मनोकामना होई ।

सबके उर में बसत नर्मदा,
यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ॥40

॥ दोहा ॥
भक्ति भाव उर आनि के,
जो करता है जाप ।

माता जी की कृपा से,
दूर होत संताप॥
॥ इति श्री नर्मदा चालीसा ॥

नर्मदा नदी का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व

  • उद्गम और पुराण कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, नर्मदा नदी का उद्गम भगवान शिव के शरीर से हुआ। इसलिए नर्मदा नदी को अत्यंत पवित्र माना जाता है।
  • अतुल्य शक्ति: नर्मदा नदी में स्नान और उसके जल से आचमन को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग बताया गया है।
  • नर्मदेश्वर शिवलिंग: माँ नर्मदा के तट से प्राप्त नर्मदेश्वर शिवलिंग एक दिव्य ज्योतिर्लिंग के समान पूजनीय है।

नर्मदा चालीसा के लाभ

नर्मदा चालीसा का नियमित पाठ करने से न केवल भक्तों को माँ नर्मदा का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि कई अन्य लाभ भी हैं:

  • आंतरिक शांति: नर्मदा चालीसा का पाठ करने से मन में शांति और स्थिरता आती है।
  • पापों से मुक्ति: यह मन को निर्मल कर पापों से मुक्ति प्रदान करती है।
  • भौतिक सुख की प्राप्ति: नर्मदा चालीसा का पाठ भक्तों को सांसारिक सुख, संपत्ति, और उन्नति का आशीर्वाद भी देता है।
  • इच्छाओं की पूर्ति: सच्चे मन और श्रद्धा से नर्मदा चालीसा पढ़ने से मनोकामनाएं पूरी होने का मार्ग खुलता है।

नर्मदा चालीसा पाठ की विधि

  • समय और स्थान: नर्मदा चालीसा के पाठ के लिए पवित्र नर्मदा तट आदर्श स्थान है, पर घर पर भी इसे किया जा सकता है। ब्रह्म मुहूर्त, सूर्योदय का समय, या शाम का समय सबसे शुभ माना जाता है।
  • तैयारी: पाठ से पूर्व स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। एक स्वच्छ और शांत स्थान का चुनाव करें।
  • पूजन सामग्री: एकत्र करें:
    • देवी नर्मदा की मूर्ति या तस्वीर
    • दीपक, धूप, अगरबत्ती
    • कुमकुम, चन्दन, हल्दी
    • प्रसाद (फल, मेवे, मिष्ठान)
    • ताजे पुष्प और पुष्पमाला
  • पाठ: पूजा स्थापना कर दीपक प्रज्वलित करें। धूप या अगरबत्ती जलाएं। पूरी श्रद्धा और भक्ति से नर्मदा चालीसा का पाठ करें।

निष्कर्ष

नर्मदा चालीसा का प्रेरणादायक पाठ कर, जीवन में भक्ति और आध्यात्मिकता को प्रवाहित करें। मेरा विश्वास है, माँ नर्मदा हर भक्त के जीवन में प्रेम, आनंद, और समृद्धि की धारा बहाएंगी। क्या आप आज ही से नर्मदा चालीसा का पाठ शुरु करने का विचार कर रहे हैं? अपने विचार मुझे नीचे टिप्पणियों में अवश्य बताएं।


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