श्री नर्मदा चालीसा: पवित्र नदी की स्तुति से आशीर्वाद पाएं
परिचय
नमस्कार दोस्तों! भारत की पवित्र नदियों में से एक है नर्मदा नदी। इसे ‘रेवा’ के नाम से भी जाना जाता है। मां नर्मदा के पावन जल को अमृत समान माना जाता है, और ‘श्री नर्मदा चालीसा’ उनकी महिमा का गुणगान है। क्या आप इस चालीसा के महत्व और इसे पढ़ने से होने वाले लाभों के बारे में जानना चाहते हैं? तो आइए, इस अद्भुत स्तोत्र में गहराई से उतरें।
हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान शिव के शरीर से एक पवित्र बूंद से मां नर्मदा का जन्म हुआ था। इसलिए उन्हें ‘शंकरी’ भी कहा जाता है। माना जाता है कि माँ नर्मदा के दर्शन मात्र से ही हर पाप धुल जाता है| यह नदी मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकलती है और पूरे राज्य से होते हुए गुजरात में अरब सागर में मिल जाती है।
श्री नर्मदा चालीसा
॥ दोहा॥
देवि पूजित, नर्मदा,
महिमा बड़ी अपार ।
चालीसा वर्णन करत,
कवि अरु भक्त उदार॥इनकी सेवा से सदा,
मिटते पाप महान ।
तट पर कर जप दान नर,
पाते हैं नित ज्ञान ॥
॥ चौपाई ॥
जय-जय-जय नर्मदा भवानी,
तुम्हरी महिमा सब जग जानी ।
अमरकण्ठ से निकली माता,
सर्व सिद्धि नव निधि की दाता ।
कन्या रूप सकल गुण खानी,
जब प्रकटीं नर्मदा भवानी ।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा,
अश्वनि माघ मास अवतारा ॥4
वाहन मकर आपको साजैं,
कमल पुष्प पर आप विराजैं ।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं,
तब ही मनवांछित फल पावैं ।
दर्शन करत पाप कटि जाते,
कोटि भक्त गण नित्य नहाते ।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै,
वह नर रुद्र लोक को जावैं ॥8
मगरमच्छा तुम में सुख पावैं,
अंतिम समय परमपद पावैं ।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं,
पांव पैंजनी नित ही राजैं ।
कल-कल ध्वनि करती हो माता,
पाप ताप हरती हो माता ।
पूरब से पश्चिम की ओरा,
बहतीं माता नाचत मोरा ॥12
शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं,
सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं ।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं,
सकल देव गण तुमको ध्यावैं ।
कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे,
ये सब कहलाते दु:ख हारे ।
मनोकमना पूरण करती,
सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं ॥16
कनखल में गंगा की महिमा,
कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा ।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में,
नित रहती माता मंगल में ।
एक बार कर के स्नाना,
तरत पिढ़ी है नर नारा ।
मेकल कन्या तुम ही रेवा,
तुम्हरी भजन करें नित देवा ॥20
जटा शंकरी नाम तुम्हारा,
तुमने कोटि जनों को है तारा ।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो,
पाप मोचनी रेवा तुम हो ।
तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई,
करत न बनती मातु बड़ाई ।
जल प्रताप तुममें अति माता,
जो रमणीय तथा सुख दाता ॥24
चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी,
महिमा अति अपार है तुम्हारी ।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी,
छुवत पाषाण होत वर वारि ।
यमुना मे जो मनुज नहाता,
सात दिनों में वह फल पाता ।
सरस्वती तीन दीनों में देती,
गंगा तुरत बाद हीं देती ॥28
पर रेवा का दर्शन करके
मानव फल पाता मन भर के ।
तुम्हरी महिमा है अति भारी,
जिसको गाते हैं नर-नारी ।
जो नर तुम में नित्य नहाता,
रुद्र लोक मे पूजा जाता ।
जड़ी बूटियां तट पर राजें,
मोहक दृश्य सदा हीं साजें ॥32
वायु सुगंधित चलती तीरा,
जो हरती नर तन की पीरा ।
घाट-घाट की महिमा भारी,
कवि भी गा नहिं सकते सारी ।
नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा,
और सहारा नहीं मम दूजा ।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता,
तुम ही मातु मोक्ष की दाता ॥35
जो मानव यह नित है पढ़ता,
उसका मान सदा ही बढ़ता ।
जो शत बार इसे है गाता,
वह विद्या धन दौलत पाता ।
अगणित बार पढ़ै जो कोई,
पूरण मनोकामना होई ।
सबके उर में बसत नर्मदा,
यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ॥40
॥ दोहा ॥
भक्ति भाव उर आनि के,
जो करता है जाप ।
माता जी की कृपा से,
दूर होत संताप॥
॥ इति श्री नर्मदा चालीसा ॥
श्री नर्मदा चालीसा का महत्व
नर्मदा चालीसा चालीस छंदों का एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो देवी नर्मदा की पूजा करता है। इस चालीसा को पढ़ने और सुनाने से कई तरह के फायदे होते हैं। आइए उन पर एक नजर डालते हैं:
- आपके सभी पापों को धो देता है: नर्मदा चालीसा को सच्ची श्रद्धा से पढ़ने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: माना जाता है कि यह चालीसा पढ़ने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- सुख-शांति लाता है: इस चालीसा का जाप आपके जीवन में सुख और शांति लाता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: नर्मदा महिमा की यह चालीसा भक्तों को मोक्ष (जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति) पाने में मदद करती है।
नर्मदा चालीसा पाठ विधि
इष्टतम परिणामों के लिए श्री नर्मदा चालीसा का पाठ इस तरह से करना चाहिए:
- शुद्धिकरण: स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- पूजन स्थल: अपने पूजा स्थल को साफ कर लीजिए, और मां नर्मदा की एक तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- सामग्री: कुछ फूल, धूप, दीपक, और प्रसाद (फल या मिठाई) इकट्ठा करें।
- संकल्प: दीपक menyalें और सच्चे हृदय से नर्मदा चालीसा पढ़ने का संकल्प लें।
- पाठ: पूरी श्रद्धा से चालीसा का पाठ करें।
- आरती: नर्मदा चालीसा का पाठ करने के बाद आरती करें।
- प्रसाद वितरण: अंत में सभी को प्रसाद बांटें।
नर्मदा चालीसा के लाभ
श्री नर्मदा चालीसा का नियमित पाठ करने से अनगिनत लाभ होते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख लाभ यहां दिए गए हैं:
- आध्यात्मिक विकास: यह चालीसा आपकी आध्यात्मिक यात्रा में आपका मार्गदर्शन कर सकती है, जिससे आपकी चेतना ऊंची उठेगी।
- नकारात्मकता से सुरक्षा: माना जाता है कि यह चालीसा आपको नकारात्मक ऊर्जाओं और किसी भी तरह के नुकसान से बचाता है।
- भौतिक समृद्धि: इस चालीसा के नियमित पाठ से धन और भौतिक समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
- अच्छा स्वास्थ्य: माँ नर्मदा आपको उत्तम स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति प्रदान करती हैं।
श्री नर्मदा चालीसा से जुड़ी भक्त कथाएं
अनेक भक्त कथाएं हैं, जो नर्मदा चालीसा की शक्ति को प्रमाणित करती हैं। यहां ऐसी ही एक कथा है:
कभी एक गरीब ब्राह्मण हुआ करता था। वह बहुत श्रद्धालु था लेकिन हमेशा आर्थिक तंगी से जूझता रहता। एक दिन उसे श्री नर्मदा चालीसा के बारे में बताया गया। अपनी स्थिति को बदलने के लिए बेताब होकर उसने नियमित रूप से चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया। कुछ समय के भीतर ही, उसकी किस्मत पलट गई, और वह एक अमीर और समृद्ध व्यक्ति बन गया।
श्री नर्मदा चालीसा: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- श्री नर्मदा चालीसा का पाठ करने का सबसे अच्छा समय क्या है? सुबह जल्दी या शाम को स्नान के बाद नर्मदा चालीसा का पाठ करना आदर्श माना जाता है।
- क्या मैं प्रतिदिन श्री नर्मदा चालीसा का पाठ कर सकता हूँ? जी हाँ, आप इस चालीसा को नित्य पढ़ सकते हैं। दैनिक पाठ से इसके अधिकतम लाभ मिलते हैं।
- अगर मैं इस चालीसा के सभी छंदों को याद नहीं कर सकता तो क्या होगा? चिंता न करें! आप एक चालीसा पुस्तिका की मदद ले सकते हैं। पाठ पर पूर्ण ध्यान देना अधिक महत्वपूर्ण है। समय के साथ, आप इसके छंदों को आसानी से याद कर लेंगे।
निष्कर्ष
दोस्तों, जैसा कि हमने चर्चा की, श्री नर्मदा चालीसा एक बहुत शक्तिशाली प्रार्थना है। यदि आप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका पाठ करते हैं, तो माँ नर्मदा निश्चित रूप से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगी।
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