नवरात्रि का दूसरा दिन(Navratri Second Day) -माँ ब्रह्मचारिणी(Maa Brahmcharini)
नमस्ते! नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करके हमने माँ दुर्गा के आशीर्वाद से इन शुभ दिनों की शुरुआत की। आज हम चर्चा करेंगे नवरात्रि के दूसरे दिन में पूजी जाने वाली माता ब्रह्मचारिणी के बारे में। यह दूसरा दिन माता के तप, त्याग और ज्ञान के स्वरूप को समर्पित है। आइये, इस स्वरूप के बारे में विस्तार से जानें!
ब्रह्मचारिणी का अर्थ
‘ब्रह्मचारिणी’ दो शब्दों से मिलकर बना है:
- ब्रह्म: इस शब्द के कई अर्थ हैं। इसका अर्थ है ईश्वर, परम सत्य, आत्मा, पवित्र ज्ञान या वैदिक मंत्र।
- चारिणी: इस शब्द का अर्थ है ‘आचरण करने वाली’ या ‘अनुसरण करने वाली’।
इस प्रकार, ब्रह्मचारिणी का अर्थ इस प्रकार है:
- वह देवी जो ब्रह्म का आचरण करती हैं (ईश्वर का अनुसरण करती हैं)।
- जो तपस्या के मार्ग पर चलती हैं।
- जो पवित्र ज्ञान के मार्ग का अनुसरण करती हैं।
ब्रह्मचारिणी के संदर्भ में ब्रह्म का अर्थ:
माँ ब्रह्मचारिणी के संदर्भ में ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ है ‘तपस्या’ या ‘ध्यान’। माँ ब्रह्मचारिणी ने हज़ारों साल तपस्या की थी और इसीलिए उनका नाम ‘ब्रह्मचारिणी’ पड़ा।
ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत सादा, तेजस्वी, और दिव्य है। उनका यह रूप ज्ञान, तपस्या, और सादगी का प्रतीक है। देवी ब्रह्मचारिणी की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
- आभूषण: देवी ब्रह्मचारिणी स्वर्ण आभूषण धारण करती हैं। लेकिन इनकी सादगी के कारण यह अलंकार उनकी शोभा नहीं छुपा पाते।
- वस्त्र: ब्रह्मचारिणी माँ साधारण सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करती हैं। वह सादगी के प्रतीक के रूप में जानी जाती हैं।
- हाथ: माँ ब्रह्मचारिणी के दो हाथ हैं। उनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है।
- वाहन: देवी ब्रह्मचारिणी नंगे पैर चलती हैं। उनका कोई वाहन नहीं है।
- मुद्रा: उनका चेहरा शांत और तेजपूर्ण है, जो ध्यान और तपस्या से प्राप्त आंतरिक शांति को दर्शाता है।
ब्रह्मचारिणी देवी के स्वरूप की विशेषताएँ
- जपमाला: उनके हाथ में जपमाला उनके द्वारा की गई कठोर तपस्या और उनके द्वारा जपे जाने वाले मंत्रों का प्रतीक है।
- कमंडल: यह जल और आध्यात्मिक सफाई का प्रतीक है। साथ ही यह उस सादगी का प्रतीक है जिसमें माँ ब्रह्मचारिणी ने अपने जीवन के हजारों वर्ष व्यतीत किए।
- दिव्य तेज: देवी ब्रह्मचारिणी अपनी कठोर तपस्या के फलस्वरूप एक अद्वितीय तेज से आलोकित हैं। यह तेज उनके साहस, संकल्प शक्ति, और दृढ़ता का प्रतीक है।
- नंगे पैर: ब्रह्मचारिणी के नंगे पैर चलना सादगी और त्याग का प्रतीक है। यह पृथ्वी से प्रत्यक्ष संपर्क और प्रकृति के साथ उनके संबंध को भी दर्शाता है।
ब्रह्मचारिणी देवी का महत्व
आध्यात्मिक महत्व
- ज्ञान और तपस्या: ब्रह्मचारिणी माँ ज्ञान और तपस्या का प्रतीक हैं। उनका स्वरूप हमें जीवन में ज्ञान प्राप्त करने और तपस्या के माध्यम से आत्म-सुधार करने की प्रेरणा देता है।
- आत्म-संयम और त्याग: माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप सादगी, त्याग, और आत्म-संयम का प्रतीक है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि भौतिक सुखों से परे रहकर आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त की जा सकती है।
- शक्ति और साहस: माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी शक्ति और साहस हमें जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।
व्यक्तिगत महत्व
- सकारात्मक सोच: माँ ब्रह्मचारिणी का सकारात्मक और शांत स्वरूप हमें जीवन में आने वाली नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मक सोच अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
- विद्या और ज्ञान: माँ ब्रह्मचारिणी ज्ञान की देवी भी हैं। उनका स्वरूप हमें ज्ञान प्राप्त करने और शिक्षा में सफलता प्राप्त करने का आशीर्वाद प्रदान करता है।
- सफलता और समृद्धि: माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
सामाजिक महत्व
- समानता और न्याय: माँ ब्रह्मचारिणी सभी के साथ समानता और न्याय का व्यवहार करती हैं। उनका स्वरूप हमें समाज में समानता और न्याय स्थापित करने के लिए प्रेरित करता है।
- सद्भाव और प्रेम: माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप प्रेम, करुणा, और सद्भाव का प्रतीक है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से समाज में प्रेम और सद्भाव स्थापित होता है।
- बुराई पर अच्छाई की जीत: माँ ब्रह्मचारिणी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से हम जीवन में आने वाली बुराइयों का सामना कर सकते हैं और उन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी तपस्या, ज्ञान और सादगी का प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को ज्ञान, शक्ति और आत्म-संयम प्राप्त होता है।
पूजा विधि
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को साफ करके चौकी बिछाएं।
- चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर माँ ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- कलश स्थापित करें और उस पर मौली बांधकर चौकी पर रख दें।
- माता को जल, दूध, दही, घी, शहद अर्पित करें।
- फूल, माला, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
- माता का ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें।
माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्र
- दधाना करपद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
- या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
पूजा सामग्री
पूजा सामग्री | वस्तु |
---|---|
मुख्य मूर्ति या तस्वीर | माँ ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या तस्वीर |
वस्त्र | लाल रंग का वस्त्र |
पूजा का सामान | फूल, माला, धूप, दीप, नैवेद्य |
भोग | फल, मिठाई, पान |
अन्य सामग्री | चौकी, कलश, जल, दूध, दही, घी, शहद, चंदन, रोली, अक्षत |
नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ मुहूर्त
नवरात्र के दूसरे दिन माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का बहुत महत्व है। इस वर्ष नवरात्रि का दूसरा दिन 16 अक्टूबर 2023 को है।
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:20 से दोपहर 12:06 PM तक अमृत काल सुबह 10:17 से सुबह 11:58 तक ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:24 से सुबह 05:12 तक
माँ ब्रह्मचारिणी को क्या भोग लगाएं
- नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी को चीनी, सफेद मिठाई या मिश्री का भोग लगाया जाता है। इस दिन, आप घर पर काजू की बर्फी भी बना सकते हैं।
- काजू की बर्फी बनाने के लिए, सबसे पहले थोड़े से काजू लेकर, उसे पीस लें लें। फिर उसमें मिल्क पाउडर मिलाएं और चाशनी तैयार करें। इसके बाद, काजू पाउडर को चाशनी में डालें और फिर मिठाई को मनचाहे आकार में काट लें।
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा
जन्म:
माँ ब्रह्मचारिणी का जन्म पर्वतराज हिमालय और रानी मेना के घर हुआ था। माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या के दौरान उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
तपस्या:
माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की। उन्होंने केवल फल-फूल खाकर और बाद में पत्तों पर भी निर्वाह करके अपना जीवन व्यतीत किया।
विवाह:
माँ ब्रह्मचारिणी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना पत्नी स्वीकार किया।
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां मैया जय ब्रह्मचारिणी मां जन-जन की उद्धारिणी जन-जन की उद्धारिणी चरणों में हमें रखना ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
माला धारणी मैया, जो जन तुम्हें ध्याता मैया जो जन तुम्हें ध्याता ज्ञान ध्यान बढ़ जावे ज्ञान ध्यान बढ़ जावे सिद्धि नर पाता ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
अष्ट कमण्डल सोहे भक्तों की प्यारी मैया भक्तों की प्यारी तपस्विनी है मैया तपस्विनी है मैया सेवक नर नारी ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
साधक सिद्धि पावे मां कल्याण करे मैया मां कल्याण करे निज भक्तों की मैया निज भक्तों की मैया नित उद्धार करे ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
श्वेत वस्त्र है न्यारा ऋषि मुनि हर्षावे मैया ऋषि मुनि हर्षावे त्याग और संयम बढ़ता त्याग और संयम बढ़ता जो मां को ध्यावे ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
पूजा जो नित करता ज्ञान सदा पावे मैया ज्ञान सदा पावे अज्ञान तिमिर को मिटावे अज्ञान तिमिर को मिटावे चरणों निज आवे ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
द्वितीय नवरात्रों में पूजा मां की करो पूजा मां की करो शक्ति स्वरूपा मां के शक्ति स्वरूपा मां के चरणों का ध्यान करो ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
योगियों के मन में मां सदा निवास करें मैया सदा निवास करें साधक कष्ट मिटावे साधक कष्ट मिटावे मां भव पार करे ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
ब्रह्मचारिणी मां की आरती जो भी करे मैया आरती जो भी करे ज्योतिर्मय जीवन हो ज्योतिर्मय जीवन हो मां से दुख टरे ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
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