नवरात्रि का सातवां दिन(Navratri Seventh Day) – माँ कालरात्रि(Maa Kaalratri)

पर Shreya Dwivedi द्वारा प्रकाशित

नवरात्रि का सातवां दिन(Navratri Seventh Day) - माँ कालरात्रि(Maa Kaalratri)

नमस्ते! नवरात्रि के पवित्र पर्व में माँ दुर्गा के हर स्वरूप का अपना एक विशेष महत्व है। आज, हम माँ कालरात्रि के विषय में बात करेंगे जोकि नवरात्रि के सातवें दिन पूजी जाती हैं। शत्रुओं का विनाश करने वाली माँ कालरात्रि के भव्य स्वरूप और उनसे जुड़ी कथा को जानकर आप भक्ति भाव से सराबोर हो जाएंगे। तो आइये, जानते हैं माँ कालरात्रि के बारे में कुछ अनसुनी बातें।

कालरात्रि का अर्थ

कालरात्रि का अर्थ है “अंधेरी रात” या “रात का काला स्वरूप”। यह देवी दुर्गा का सातवां स्वरूप है, जो अत्यंत भयानक और शक्तिशाली माना जाता है। माँ कालरात्रि का रंग काला या नीला होता है, जो अंधेरी रात का प्रतीक है।

यहाँ कुछ अन्य अर्थ भी दिए गए हैं:

  • काल = मृत्युरात्रि = रात : मृत्यु की रात, यानी मृत्यु से भी भयानक।
  • काल = समयरात्रि = रात : समय का अंधेरा, यानी समय का वह पहलू जो अज्ञात और भयानक है।
  • काल = कर्मरात्रि = रात : कर्मों का अंधेरा, यानी कर्मों का वह परिणाम जो भयानक और दुखदायक होता है।

कालरात्रि माँ का स्वरूप बहुत ही भयानक है।

  • आभूषण: वह गले में बिजली की माला पहनती हैं।
  • वाहन: उनका वाहन एक गर्दभ (गधा) है।
  • भुजाएं: माँ कालरात्रि के तीन नेत्र और चार भुजाएं हैं।
  • हाथों में अस्त्र-शस्त्र: माँ के एक हाथ में लोहे का काँटा और दूसरे हाथ में खड्ग है। मां एक हाथ को वर मुद्रा में रखा हुआ है और एक हाथ अभय मुद्रा में है।
  • रंग: माता का रंग रात्रि की भांति काजल के समान अत्यंत काला है।
  • बाल: उनके बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की माला है।
  • मुख: माँ कालरात्रि की नासिका से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं।
  • संकट से रक्षा: माँ कालरात्रि अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और भूत, प्रेत और राक्षस आदि से उनकी रक्षा करती हैं।
  • अंतर्दृष्टि प्रदान करने वाली: माँ कालरात्रि अपने भक्तों को अज्ञात के बारे में बताती हैं और उन्हें उनके वास्तविक स्वरूप को समझने में भी मदद करती हैं।
  • ज्ञान की देवी: माँ कालरात्रि देवी दुर्गा का ऐसा रूप हैं जो अपने भक्तों को परम ज्ञान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
  • विजय का आशीर्वाद: माँ कालरात्रि अपने भक्तों को उनकी हर लड़ाई में विजय का आशीर्वाद देती हैं।

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि देवी दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं, जो अत्यंत भयानक और शक्तिशाली माना जाता है। माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और उन्हें माँ की कृपा प्राप्त होती है।

पूजा विधि

1. स्नान आदि:

  • सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
  • पूजा स्थल को साफ़ करें तथा एक चौकी पर लाल या नीले रंग का वस्त्र बिछाकर माँ कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • कलश पर मौली बांध कर, उसमें आम के पत्ते रखें और चौकी पर स्थापित करें।

2. मंत्रों से आह्वाहन:

  • मंत्रों का जाप करते हुए माँ कालरात्रि का आह्वाहन करें।
  • आह्वान मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।

कुछ महत्वपूर्ण बातें:

  • पूजा करते समय ध्यान केंद्रित करें और सकारात्मक विचार रखें।
  • पूजा सामग्री स्वच्छ और ताज़ी होनी चाहिए।
  • पूजा के दौरान मौन रहें और किसी से बात न करें।
  • पूजा के बाद प्रसाद सभी को वितरित करें।
सामग्रीमात्रा
दीप1
घी1 बड़ा चम्मच
बत्ती1
कपूर1 टुकड़ा
धूप1 अगरबत्ती
फल1 (केला, सेब, या मौसमी फल)
फूल10-12 (गुलाब, चमेली, या मौसमी फूल)
रोली1 चुटकी
चावल (अक्षत)1 मुट्ठी
कुमकुम1 चुटकी
जल1 गिलास
नारियल1 (हलका टूटा हुआ)
पान1
सुपारी1
दक्षिणाअपनी इच्छानुसार
नैवेद्यगुड़

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि देवी दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं, जो अत्यंत भयानक और शक्तिशाली माना जाता है। माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और उन्हें माँ की कृपा प्राप्त होती है।

शुभ मुहूर्त:

  • अभिजीत मुहूर्त: 11:37 AM से 12:22 PM तक
  • विजय मुहूर्त: 08:07 AM से 08:52 AM तक
  • ब्रह्म मुहूर्त: 03:54 AM से 04:39 AM तक

इसके अलावा, कुछ अन्य शुभ मुहूर्त भी हैं:

  • रवि योग: 06:59 AM से 09:14 AM तक
  • सिद्ध योग: 09:14 AM से 11:37 AM तक
  • साध्य योग: 11:37 AM से 01:59 PM तक

सातवे दिन मां कालरात्रि को गुड़ या मेवों से बनी चीजों का भोग लगाएं। इससे माँ आपके उपर आने वाले सभी संकटों से आपको दूर रखेंगी। ऐसे में, आप गुड़ ओर मेवे से बने लड्डू का भोग लगा सकते हैं।

लड्डू बनाने के लिए, मेवे को बारीक काट लें और देशी घी में भून लें। इसके बाद, गुड़ को कड़ाही में डालें और पिघलने पर उसमें कटे हुए मेवे डाले। हल्का ठंडा होने पर उसके लड्डू बना लें और माता रानी को भोग लगाएं।

पौराणिक कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में अपना आंतक मचाना शुरू कर दिया तो देवतागण परेशान हो गए और भगवान शंकर के पास पहुंचे। तब भगवान शंकर ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा। भगवान शंकर का आदेश प्राप्त करने के बाद पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध किया। लेकिन जैसे ही मां दुर्गा ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त की बूंदों से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। तब मां दुर्गा ने मां कालरात्रि के रूप में अवतार लिया। मां कालरात्रि ने इसके बाद रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को अपने मुख में भर लिया।

ॐ जय जय कालरात्रि मैया ॐ जय जय कालरात्रि

दुष्टों की संहारिणी दुष्टों की संहारिणी सुखों की माँ दात्री ॐ जय जय कालरात्रि

रूप भयंकर माँ का दुष्ट सदा काँपे मैया दुष्ट सदा काँपे

भक्त सदा हर्षावे भक्त सदा हर्षावे रिद्धि सिद्धि पाते ॐ जय जय कालरात्रि

महामाई हो जग की दयामयी हो माँ मैया दयामयी हो

माँ भैरवी भद्रकाली भैरवी भद्रकाली चामुंडा कई नाम ॐ जय जय कालरात्रि

सप्तम नवराते में साधक करता ध्यान मैया साधक करता ध्यान

सिद्धियाँ भक्ता पावे सिद्धियाँ भक्ता पावे मिटता हर अज्ञान ॐ जय जय कालरात्रि

खड्गधारिणी मैया वरमुद्राधारी मैया वरमुद्राधारी

सृष्टि करे नित आरती सृष्टि करे नित आरती गुण गावे नर नारी ॐ जय जय कालरात्रि

सर्वजगत हे मैया तुमसे प्रकाशित है मैया तुमसे प्रकाशित है

कर दो कृपा हे मैया कर दो कृपा हे मैया हम सब याचक हैं ॐ जय जय कालरात्रि

भूत प्रेत डर जावे जब तुम हो आती मैया जब तुम हो आती

शत्रु डर न सतावे शत्रु डर न सतावे करुणा माँ बरसाती ॐ जय जय कालरात्रि

गर्द्भव सवारी साजे दुख दूर करें मैया दुख दूर करें

निर्बल शक्ति पावे निर्बल शक्ति पावे भय से मुक्त करें ॐ जय जय कालरात्रि

मातु कालरात्रि की आरती जो गावे मैया आरती जो गावे

शक्ति भक्ति नित पावे शक्ति भक्ति नित पावे डर न निकट आवे ॐ जय जय कालरात्रि

ॐ जय जय कालरात्रि मैया ॐ जय जय कालरात्रि

दुष्टों की संहारिणी दुष्टों की संहारिणी सुखों की माँ दात्री ॐ जय जय कालरात्रि


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