नवरात्रि का तीसरा दिन(Navratri Third Day) – माँ चंद्रघंटा(Maa Chandraghanta)
नमस्ते! नवरात्रि के पहले दो दिनों में हमने माँ शैलपुत्री और माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना की। आज नवरात्रि के तीसरे दिन शक्ति की एक और अद्भुत स्वरूप, माँ चंद्रघंटा की पूजा का शुभ अवसर प्राप्त होता है।
माँ का यह तीसरा स्वरूप भव्य, शक्तिशाली, और साहस का प्रतीक है। तो फिर, चलिए जानते हैं माँ चंद्रघंटा की कथा, उनकी साधना, और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को प्रकाशित करने का मार्ग।
चंद्रघंटा का अर्थ
चंद्रघंटा नाम दो शब्दों से मिलकर बना है:
- चंद्र: चंद्र शब्द का अर्थ ‘चंद्रमा’ होता है।
- घंटा: घंटा शब्द का अर्थ “घंटी” होता है।
माँ चंद्रघंटा नाम का अर्थ
माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित रहता है जो घंटी के समान प्रतीत होता है। इसलिए माँ दुर्गा के इस स्वरूप को ‘चंद्रघंटा’ नाम से जाना जाता है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत भव्य और शक्तिशाली है।
शारीरिक स्वरूप
- माँ चंद्रघंटा दस भुजाओं वाली देवी हैं।
- उनका रंग सुनहरा है, जो तेज और ऊर्जा का प्रतीक है।
- माँ के मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित है, जो उनके शांत और मनभावन स्वरूप का प्रतीक है।
- माँ चंद्रघंटा सिंह पर सवार हैं, जो शक्ति और वीरता का प्रतीक है।
आभूषण और वस्त्र
- माँ चंद्रघंटा सोने के आभूषण और रत्नों से सजी हुई हैं।
- उनका वस्त्र लाल रंग का है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
हथियार और वस्तुएं
- माँ चंद्रघंटा के दस हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार, कमंडल, कमल का फूल, धनुष-बाण, घंटी, और जपमाला धारण करती हैं।
- त्रिशूल और गदा अशुभ शक्तियों का नाश करते हैं।
- तलवार और धनुष-बाण शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का प्रतीक हैं।
- कमंडल ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक है।
- कमल का फूल पवित्रता और सौंदर्य का प्रतीक है।
- घंटा देवी की दिव्य ध्वनि का प्रतीक है।
- जपमाला भक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
मां चंद्रघंटा का महत्व
मां चंद्रघंटा नवदुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। उनका महत्व कई पहलुओं में देखा जा सकता है:
आध्यात्मिक महत्व
- मां चंद्रघंटा का नाम अर्धचंद्र और घंटी से मिलकर बना है। अर्धचंद्र मन को शांत करने का प्रतीक है, जबकि घंटी आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है।
- मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों में आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति भावना बढ़ती है।
- वे भक्तों को मन को शांत करने और आध्यात्मिक उन्नति करने में मदद करती हैं।
शारीरिक महत्व
- मां चंद्रघंटा को स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।
- उनकी पूजा करने से भक्तों को शारीरिक स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है।
- वे भक्तों को ऊर्जावान और निरोगी रहने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
मानसिक महत्व
- मां चंद्रघंटा को साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
- उनकी पूजा करने से भक्तों में साहस, आत्मविश्वास, और निर्भयता बढ़ती है।
- वे भक्तों को डर और नकारात्मक विचारों से मुक्त होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
सामाजिक महत्व
- मां चंद्रघंटा को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- उनकी पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।
- वे भक्तों को जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा की पूजा विधि इस प्रकार है:
पूजा विधि:
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को स्वच्छ करें और चौकी बिछाकर उस पर मां चंद्रघंटा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- कलश स्थापित करें और उसमें जल भरें।
- दीप प्रज्वलित करें और मां चंद्रघंटा को आह्वान करें।
- मां चंद्रघंटा को फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, पान, सुपारी, और दक्षिणा अर्पित करें।
- मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
- मां चंद्रघंटा की आरती करें।
मां चंद्रघंटा का ध्यान:
ॐ जयंती मंगल कालिके कात्यायनी महामाये। सुमुखी शिवदुहिता त्रैलोक्य सुन्दरी नमः॥
पूजा सामग्री
माँ चंद्रघंटा के लिए पूजा सामग्री इस प्रकार है:
पूजा सामग्री | विवरण |
---|---|
देवी की प्रतिमा या तस्वीर | मां चंद्रघंटा की मूर्ति या तस्वीर |
वस्त्र | पीला या सुनहरे रंग का वस्त्र |
पूजा के बर्तन/सामान | कलश, दीपक, चौकी, अगरबत्ती स्टैंड |
भोग और प्रसाद | फल, फूल, नैवेद्य (मिठाई या खीर), पान, सुपारी |
अन्य सामग्री | जल, धूप, घी, दक्षिणा |
अतिरिक्त सामग्री (वैकल्पिक)
- रोली
- सिंदूर
- अक्षत (चावल)
- नारियल
- हवन सामग्री
नवरात्रि के तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त
नवरात्र के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा का बहुत महत्व है। इस वर्ष नवरात्रि का दूसरा दिन 17 अक्टूबर 2023 को है।
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:20 से दोपहर 12:06 तक अमृत काल सुबह 11:22 से दोपहर 01:02 तक ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:25 से सुबह 05:13 तक
माँ चंद्रघंटा को क्या भोग लगाएं
नवरात्रि का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा का होता है, जिनको दूध से बनी मिठाई और खीर अत्यधिक प्रिय है। इस दिन, दूध से बनी चीज़ का भोग लगाकर ब्राह्मणों को दान करने से सभी प्रकार के दुख और पीड़ा दूर हो जाती है। ऐसे में, आप भोग में मखाने की खीर बनाएं।
मखाने की खीर बनाने के लिए, सबसे पहले एक पैन में मखाने को भून लें और ठंडा हो जाने पर, उसे बारीक पीस लें। इसके बाद, एक पैन में दूध, मखाना, चीनी, मेवे और इलायची पाउडर डाल कर उसे अच्छे से मिला दें और धीमी आंच पर पकाएं। इस तरह, आपकी मखाने की खीर तैयार है।
मां चंद्रघंटा की कथा
मां चंद्रघंटा नवदुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। उनकी कथा भक्तों को साहस, वीरता और आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करती है।
कथा
एक बार, चंद्रमा देवता को रावण द्वारा अपहरण कर लिया गया था। चंद्रमा देवता देवी दुर्गा की शरण में गए। देवी दुर्गा ने चंद्रमा देवता को रावण से मुक्त कराने का वचन दिया।
इसके बाद, देवी दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का रूप धारण किया। मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत भव्य और शक्तिशाली था। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित था और उनके दस हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार, कमंडल, कमल का फूल, धनुष-बाण, घंटी, और जपमाला धारण करती हैं।
मां चंद्रघंटा ने रावण से युद्ध किया और उसे पराजित कर दिया। उन्होंने चंद्रमा देवता को मुक्त कर दिया और उन्हें देवताओं को वापस सौंप दिया।
कथा का महत्व
मां चंद्रघंटा की कथा हमें सिखाती है कि:
- अन्याय के खिलाफ लड़ना: मां चंद्रघंटा ने रावण के अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी और चंद्रमा देवता को मुक्त कराया।
- साहस और वीरता: मां चंद्रघंटा साहस और वीरता का प्रतीक हैं।
- आध्यात्मिक ज्ञान: मां चंद्रघंटा का अर्धचंद्र ज्ञान का प्रतीक है।
माँ चंद्रघंटा की आरती
ॐ जय चंद्रघंटा माँ मैया जय चंद्रघंटा माँ सर्वजगत की स्वामिनी सर्वजगत की स्वामिनी कृपा सदा करना ॐ जय चंद्रघंटा माँ
अर्ध-चंद्रमा माथे पर रूप अति सुन्दर मैया रूप अति सुन्दर गृह गृह तुम्हारी पूजा गृह गृह तुम्हारी पूजा पूजत नारी नर ॐ जय चंद्रघंटा माँ
तृतीय नव रातों में माँ का ध्यान करो मैया माँ का ध्यान करो माँ से ममता पाओ माँ से ममता पाओ जय जयकारा करो ॐ जय चंद्रघंटा माँ
दस भुज धारिणी मैया असुरों का नाश करे मैया असुरों का नाश करे मोक्ष भक्त को दे माँ मोक्ष भक्त को दे माँ विपदा नित माँ हरे ॐ जय चंद्रघंटा माँ
खड्ग खप्पर धारिणी जगजननी है माँ जगजननी है माँ दिव्य करे साधक को दिव्य करे साधक को देती माँ करुणा ॐ जय चंद्रघंटा माँ
कल्याणकारिणी मैया दुखों का नाश करे मैया दुखों का नाश करे मंगल मंगल नित हो मंगल मंगल नित हो माँ की जो पूजा करे ॐ जय चंद्रघंटा माँ
अनुपम रूप माँ धर्म सदा ही बढे मैया धर्म सदा ही बढे काज सफल करो माता काज सफल करो माता द्वारे तेरे खड़े ॐ जय चंद्रघंटा माँ
श्रद्धा पुष्प माता को नित अर्पण करो मैया नित अर्पण करो माँ के ध्यान में रमकर माँ के ध्यान में रमकर जीवन सफल करो ॐ जय चंद्रघंटा माँ
चंद्रघंटा माता की आरती नित गाओ आरती नित गाओ कामना पूरी होगी कामना पूरी होगी माँ की शरण आओ ॐ जय चंद्रघंटा माँ
ॐ जय चंद्रघंटा माँ मैया जय चंद्रघंटा माँ सर्वजगत की स्वामिनी सर्वजगत की स्वामिनी कृपा सदा करना ॐ जय चंद्रघंटा माँ
ॐ जय चंद्रघंटा माँ मैया जय चंद्रघंटा माँ सर्वजगत की स्वामिनी सर्वजगत की स्वामिनी कृपा सदा करना ॐ जय चंद्रघंटा माँ
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