आरती सरस्वती जी: ओइम् जय वीणे वाली

पर purva gudekar द्वारा प्रकाशित

saraswati aarti Om Jai Veene Wali

नमस्कार दोस्तों! हम भारतीयों के लिए, देवी सरस्वती विद्या, ज्ञान, संगीत और कला की देवी हैं। माँ सरस्वती को हम श्रद्धापूर्वक उनकी शक्ति और आशीर्वाद के लिए पूजते हैं। इसी पूजा का एक अभिन्न अंग है ‘ॐ जय सरस्वती माता’ आरती। आइए, आज इस प्रसिद्ध आरती का अर्थ, उसके पीछे की कथा, पूजा विधि, और इसके लाभों के बारे में विस्तार से जानें।

सरस्वती माता

सनातन धर्म में, देवी सरस्वती को ब्रह्मांड की रचनात्मक शक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनका सुंदर श्वेत रूप शुद्धता और ज्ञान का प्रतीक है। उनकी सवारी हंस है जो विवेक का द्योतक है। माँ सरस्वती एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला, और चौथे में अमृत कलश धारण करती हैं। ये प्रतीक कला, विज्ञान, अध्यात्म और मोक्ष के मार्गदर्शक हैं।

‘ॐ जय सरस्वती माता’ आरती के बोल

ओइम् जय वीणे वाली,
मैया जय वीणे वाली
ऋद्धि-सिद्धि की रहती,
हाथ तेरे ताली
ऋषि मुनियों की बुद्धि को,
शुद्ध तू ही करती
स्वर्ण की भाँति शुद्ध,
तू ही माँ करती॥ 1 ॥

ज्ञान पिता को देती,
गगन शब्द से तू
विश्व को उत्पन्न करती,
आदि शक्ति से तू॥ 2 ॥

हंस-वाहिनी दीज,
भिक्षा दर्शन की
मेरे मन में केवल,
इच्छा तेरे दर्शन की॥ 3 ॥

ज्योति जगा कर नित्य,
यह आरती जो गावे
भवसागर के दुख में,
गोता न कभी खावे॥ 4 ॥

‘ॐ जय सरस्वती माता’ आरती का महत्व

ये आरती विद्यार्थियों, कलाकारों, संगीतकारों, और ज्ञान की खोज करने वालों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस सरस्वती वंदना को पूरी श्रद्धा से गाने से माँ का आशीर्वाद मिलता है। माना जाता है इससे हमारी बौद्धिक क्षमता बढ़ती है, एकाग्रता में सुधार होता है, और हममें सकारात्मकता का संचार होता है।

पूजा विधि

  1. शुद्धिकरण: आरती शुरू करने से पहले, स्वयं को स्नान से शुद्ध करें और साफ कपड़े पहनें।
  2. पूजा स्थान: एक साफ-सुथरे स्थान पर देवी सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  3. पूजन सामग्री: फूल, धूप, अगरबत्ती, दीपक, चंदन, रोली, अक्षत, फल और मिठाई जैसी पूजा सामग्री इकट्ठा करें।
  4. आचमन और संकल्प: शुद्ध जल से आचमन करें और पूजा का संकल्प लें।
  5. आह्वान और पूजन: माँ सरस्वती का ध्यान करें और उनका आह्वान करें। फिर उनको पुष्प, अक्षत, फल आदि समर्पित करें।
  6. आरती: एक घी का दीपक जलाएं और ‘ॐ जय सरस्वती माता’ आरती को भक्तिभाव से गाएं।
  7. पुष्पांजलि और प्रार्थना: माता को पुष्प अर्पित करें और उनसे ज्ञान, बुद्धि, और सफलता की कामना करें।

सरस्वती पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा

एक कथा के अनुसार, जब सृष्टि की रचना हुई, तब ब्रह्मा जी ने जीवों का निर्माण किया। लेकिन ये जीव मूक थे। तब ब्रह्मा जी चिंतित हो गए। इस चिंता को दूर करने के लिए उन्होंने देवी सरस्वती को प्रकट होने का आह्वान किया। कहते हैं, जब देवी सरस्वती नदी के रूप में प्रकट हुईं और अपनी वीणा के मधुर स्वर से संसार में वाणी का संचार किया, तभी से उन्हें ‘वागदेवी’ के रूप में भी पूजा जाता है।

सरस्वती पूजा के लाभ

  • एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि: जो भी पूरी निष्ठा से माँ सरस्वती की पूजा करता है, उसकी एकाग्रता बढ़ती है, स्मरण शक्ति तेज होती है।
  • परीक्षा में सफलता: विद्यार्थियों के लिए सरस्वती पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी गई है। इससे परीक्षा में उत्तम परिणाम मिलते हैं।
  • रचनात्मकता में बढ़ोतरी: कला, संगीत और साहित्य के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए सरस्वती आराधना से उनकी रचनात्मक क्षमता विकसित होती है।
  • नकारात्मकता से मुक्ति: सरस्वती पूजा आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति दिलाती है।

वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा

वसंत पंचमी को देवी सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पर माँ सरस्वती की पूजा, पीले वस्त्र धारण करना, और पीले फूल अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है।

देवी सरस्वती से जुड़े भक्तों के अनुभव

कई भक्तों ने यह अनुभव किया है कि ‘ॐ जय सरस्वती माता’ आरती को गाने से उनका मन शांत होता है, और पढ़ाई या कला संबंधी प्रयासों में सफलता मिलती है। माँ सरस्वती पर अटूट विश्वास रखने वाले भक्तों का कहना है कि देवी का आशीर्वाद उनके जीवन में सदैव बना रहता है।

आरती के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  • आरती को शुद्ध हृदय से गाएं। श्रद्धा और भक्ति की भावना सर्वोपरि है।
  • आप आरती बैठकर या खड़े होकर भी कर सकते हैं, लेकिन मन में आदर और एकाग्रता का भाव रखें।
  • आरती में दीपक को पूरे कमरे में घुमाएँ, ताकि सकारात्मक शक्ति का संचार हो।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  • ‘ॐ जय सरस्वती माता’ आरती करने का सबसे अच्छा समय क्या है? आप इस आरती को सुबह या शाम, कभी भी कर सकते हैं। शुक्रवार को या विशेष रूप से वसंत पंचमी पर इसे करने से अधिक फल मिलने की मान्यता है।
  • क्या सरस्वती आरती घर पर कर सकते हैं? जी हाँ, ‘ॐ जय सरस्वती माता’ आरती घर पर आसानी से की जा सकती है।
  • अगर मुझे ‘ॐ जय सरस्वती माता’ आरती के बोल नहीं पता, तो क्या करूँ? आप इंटरनेट पर आरती के बोल सर्च कर सकते हैं या फिर कई भजन की पुस्तकों में ये आरती आसानी से मिल जाती है।

निष्कर्ष

प्रिय मित्रों, ‘ॐ जय सरस्वती माता’ आरती न केवल माँ सरस्वती के गुणों का गुणगान है बल्कि हमारी आध्यात्मिक यात्रा और ज्ञान की खोज का अहम हिस्सा भी है। आइए, हम सब माँ सरस्वती से विनम्र प्रार्थना करें कि हम सबको बुद्धि, विवेक और ज्ञान के मार्ग पर चलने की शक्ति दें l


0 टिप्पणियाँ

प्रातिक्रिया दे

Avatar placeholder

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

hi_INहिन्दी