सन्तोषी माता आरती
नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करेंगे संतोषी माता की, जो अपनी भक्तों पर आशीर्वाद की वर्षा करती हैं। संतोषी माता को सुख-समृद्धि और संतोष की देवी माना जाता है। आइए, उनकी दिव्य आरती, शुक्रवार व्रत की विधि, व्रत कथा, और उनकी भक्ति के लाभों पर एक नज़र डालते हैं।
संतोषी माता आरती
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे ।
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो ।
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही ।
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
मंदिर जग मग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
दुखी दारिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए ।
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनन्द आयो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे ।
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
जी भर के पावे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥
संतोषी माता व्रत कथा
संतोषी माता का व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस कथा में एक वृद्ध महिला और उसके सात बेटों का वर्णन है। सबसे छोटा बेटा कामचोर था और उसकी पत्नी बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी। इसी तरह एक दिन … ( आपको संतोषी माता व्रत की पूरी कथा ऑनलाइन या धार्मिक किताबों से मिल जाएगी)
शुक्रवार व्रत की विधि
शुक्रवार के दिन संतोषी माता का व्रत रखा जाता है। इसकी विधि इस प्रकार है:
- सुबह जल्दी उठकर नहाएं और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर का मंदिर साफ करें और संतोषी माता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- माता की पूजा करें। उन्हें फूल, फल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- संतोषी माता की आरती करें और व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
- पूरा दिन उपवास रखें। आप साबूदाना, फल, और कुछ विशेष व्रत सामग्री का सेवन कर सकते हैं।
- खट्टे फलों और अचार का विशेष ध्यान रखते हुए सेवन न करें।
- शाम को आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करके व्रत पूरा करें।
संतोषी माता व्रत का महत्व
- मनोकामना पूर्ति: संतोषी माता की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- सुख-शांति: माता के आशीर्वाद से भक्तों के जीवन में सुख और शांति आती है।
- संकटों से मुक्ति: संतोषी माता अपने भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से बचाती हैं।
व्रत से जुड़ी भक्तों की कहानियां
संतोषी माता की भक्ति चमत्कारी है। इंटरनेट या आस-पास आप उनकी भक्ति से जुड़े कई चमत्कारी अनुभव सुन सकते हैं। इन कथाओं से लोगों का माता की शक्ति में विश्वास और बढ़ता है।
व्रत से जुड़े लाभ
- मन की शांति: इस व्रत से मन शांत होता है, और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
- इच्छा शक्ति में वृद्धि: संतोषी माता व्रत करने से व्यक्ति की इच्छा शक्ति मजबूत होती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: व्यक्ति में आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
पूजा सामग्री
पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- संतोषी माता की मूर्ति या तस्वीर
- रोली, मौली, अक्षत (चावल)
- फूल और फूलों की माला
- फल
- कलावा
- धूप, अगरबत्ती, दीया
- गुड़ और चना
- कपूर
- पूजा की थाली
- शुद्ध घी
- एक छोटा कलश या लोटा
संतोषी माता का मंत्र
“ॐ श्री संतोषी माताये नमः”
संतोषी माता व्रत से जुड़े कुछ प्रश्न (FAQs)
- कितने शुक्रवार तक व्रत रखना चाहिए? यह आपकी श्रद्धा पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर भक्त 16 शुक्रवार तक व्रत रखते हैं।
- क्या इस व्रत में नमक खाया जा सकता है? इस व्रत में नमक खाना निषेध है क्योंकि यह खट्टा माना जाता है।
- क्या गर्भवती महिलाएं संतोषी माता का व्रत रख सकती हैं? आम तौर पर गर्भवती महिलाओं को उपवास करने की सलाह नहीं दी जाती है। बेहतर है इस बारे में आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर लें।
- व्रत के उद्यापन की क्या विधि है? सोलह शुक्रवार का व्रत पूरा करने के बाद उद्यापन किया जाता है। आमतौर पर इसमें कन्या भोज और ब्राह्मण भोज कराया जाता है।
अहम बातें
- संतोषी माता के व्रत में खटाई का परहेज आवश्यक है।
- व्रत को भक्ति और समर्पण के साथ करना चाहिए।
- इस व्रत को शुद्ध मन से करने पर ही मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
दोस्तों, मुझे आशा है कि संतोषी माता पर लिखी गयी ये जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर आपने भी माता का सच्चे मन से व्रत किया है और आपको उसका शुभ फल मिला है, तो हमारे साथ अपनी कहानी ज़रूर साझा करें। आप सभी की टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
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